इराक में अमरिकी अड्डों पर हमलें करने की ईरान की आक्रामकता पर डोनाल्ड ट्रम्प ने दी कडी चेतावनी

इराक में अमरिकी अड्डों पर हमलें करने की ईरान की आक्रामकता पर डोनाल्ड ट्रम्प ने दी कडी चेतावनी

वॉशिंग्टन/तेहरान – ईरान के नंबर दो के लष्करी नेता कासेम सुलेमानी अमरिकी हमले में मारे जाने के बाद दी धमकी के अनुसार ईरान ने इराक में बने अमरिकी अड्डों पर हमलें किए है| इराक के इरबिल में बने अमरिका के लष्करी और ताजी के हवाई अड्डे पर ईरान ने हमला किया है| इस हमलें में २२ मिसाइल गिराए गए और ८० लोग मारे जाने का दावा ईरान ने किया| सुलेमानी की हत्या का इन्तिकाम लेने के लिए यह हमले करने की बात ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस्ने कही है| इसी बीच अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इराक में स्थित अमरिकी लष्करी अड्डों पर ईरान ने हमला करने की खबर की पुष्टी करके इन हमलों में अमरिका की बडी जीवित हानी होने का ईरान ने किया दावा ठुकराया| अमरिका की प्रगत लष्करी तकनीक से हमलें की पूर्वसूचना प्राप्त हुई और संभावित नुकसान से बचने के लिए जरूरी प्रावधान एवं ध्यान रखने से इन अड्डों पर मौजूद किसी भी अमरिकी नागरिक का नुकसान नही हो सका| सभी लोग सुरक्षित होने की बात राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने साझा की|

पिछले हफ्ते में अमरिका ने बगदाद पहुंचे ईरान के कुदस् फोर्सेस के प्रमुख कासेम सुलेमानी को ड्रोन हमला करके मार दिया था| इस पर भडके ईरान ने कासेम सुलेमानी के हत्या का प्रतिशोध लेने का ऐलान भी किया था| ऐसे में अमरिका के प्रमुख नेताओं ने ईरान को हमलों में अमरिकी हितसंबंधों को लक्ष्य करने की गलती ना करने की चेतावनी भी दी?थी| इससे बनी गरमाहट में ईरानअमरिका संघर्ष तीसरें विश्‍वयुद्ध की चिंगारी भडकाने का कारण साबित होगी, यह डर दुनिया भर में व्यक्त किया जा रहा था|

ऐसे में जागतिक समुदाय अमरिकाईरान के बीच बना तनाव कम करने की कोशिश में जुटें थे तभी ईरान ने बडी आक्रामकता दिखाकर वर्ष २०१५ में किया गया परमाणु समझौता पुरी तरह से तोडकर युरेनियम संवर्धन बढाने की धमकी भी दी थी| इसके नकारात्मक परिणाम जागतिक स्तर पर दिखाई दे रहे थे तभी ईरान ने मंगलवार की शाम इराक में स्थित अमरिकी अड्डों पर बैलेस्टिक मिसाइलों से हमलें किए|

इराक में इरबिल और ताजी में बने अमरिकी अड्डों को ईरान ने मिसाइल एवं राकेटस् हमलों से लक्ष्य किया| इस हमले में ८० लोग मारे गए है और अमरिकी अड्डों पर काफी बडा नुकसान होने का दावा ईरान कर रहा था|

इसी बीच ईरान ने सभी अमरिकी सैनिकों को आतंकी घोषित किया था| इसी के चलते इराक में किए हमलों में ८० अमरिकी दहशतगर्दों को मार गिराया है, यह दावा ईरान ने किया| तभी ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस् ने ईरान पर जहा कही से हमला होगा, वह अड्डा जीस देश में होगा उस हर एक देश को ईरान लक्ष्य करेगा, यह धमकी भी दी थी| ऐसे में अमरिकी अड्डों को लक्ष्य करने के बाद ईरान की रिव्होल्युशनरी गार्डस् ने इस हमले की कामयाबी बयान करते समय अपने किसी भी मिसाइल को अमरिका की हवाई सुरक्षा यंत्रणा रोक नही सकी है, यह दावा किया|

ईरान ने किए हमलों के बाद अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्विट करके इन हमलों की जानकारी साझा की और इन हमलों में हुए नुकसान का जायजा लेने का काम शुरू है यह कहकर सो फार, सो गुडइन शब्दों में नुकसान की मात्रा मामुली होने के संकेत भी दिए थे|

इसी ट्विट में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने बुधवार के दिन बयान देने का ऐलान भी किया था| इसके अनुसार बुधवार की सुबह वार्तापरिषद को संबोधित करते समय उन्होंने इन हमलों को लेकर ईरान ने किए दावे ठुकरानेवाला बयान दिया| इस हमले की अमरिकी अर्ली वॉर्निग सिस्टिमने चेतावनी देते ही आवश्यक प्रावधान किए गए और इससे किसी अमरिकी नागरिक का नुकसान ना होने की बात उन्होंने रखी| ईरान के हमलों में हुआ नुकसान काफी मामुली है| इसके आगे ईरान पर और भी कडे प्रतिबंध लगाए जाएंगे और ईरान को कभी भी परमाणु ताकत प्राप्त करने नही देंगे, यह इशारा भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने दिया| इसके साथ ही ईरान को नियंत्रण में रखने के लिए युरोपिय देश जरूरी योगदान दे, और ईरान के साथ किए परमाणु समझौते से पीछे हटें, यह निवेदन भी उन्होंने किया|

इस दौरान राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरानी लष्करी अधिकारी कासेम सुलेमानी आतंकी था, और उसे काफी पहले मार गिराना जरूरी था, यह भी कहा|

गौरतलब है की, ईरान ने इराक में किए हमलों पर बात करते समय ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी ने ऐसा कहा है की, यह हमलें अमरिका के मुंह पर जडा तमाचा है, सच्चाई में खाडी क्षेत्र से अमरिका का अस्तित्व मिटाना ही सबसे अहम है| मंगलवार को किया गया हमला काफी होगा, यह ना समझे| खाडी क्षेत्र में बनी अमरिका की भ्रष्ट मौजुदगी खतम करना अधिक अहम है, जागतिक स्तर पर दबंगगिरी कर रहे देशों का सामना करने के लिए ईरान तैयार है, यह इशारा देकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर अमरिका के साथ किसी भी प्रकार का समझौता मुमकिन नही है, यह बात भी ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी ने स्पष्ट की है|

ईरान ने अमरिकी अड्डों को लक्ष्य करने की बडी गुंज जागतिक स्तर पर सुनाई दे रही थी| रशिया, चीन जैसे देशों ने स्थिति अधिक विस्फोटक ना हो, इस लिए दोनों देशों से संयम बरतने का निवेदन किया| वही, ब्रिटेन, फ्रान्स जैसे देशों ने ईरान की आक्रामकता को लेकर आलोचना की| वही, जागतिक स्तर के विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषक ईरानअमरिका संघर्ष तीसरें विश्‍वयुद्ध की चिंगारी भडकाएगा एवं परमाणु युद्ध की शुरूआत करेगा, यह चेतावनी दे रहे थे|

इसी बीच ईरान के विदेशमंत्री जावेद झरिफ ने ईराने किए हमलें आत्मरक्षा का हिस्सा थे और यह हमलें संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों के दायरें में बैठते है, यह दावा किया| साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया की, ‘ईरान को स्थिति और बिगाड कर युद्ध की शुरूआत नही करनी है, पर अपनी देश की रक्षा के लिए हम तैयार है|’ इसी बीच ईरान ने कासेम सुलेमानी के मारे जाने के बाद बनी तनाव की स्थिति कम करने के लिए भारत के कोशिश की उम्मीद बयान की थी| इस दिशा में भारत की हर एक कोशिश का स्वागत करेंगे, यह बयान भी ईरान से प्राप्त हुआ था| इन्हीं गतिविधियों के बीच में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बातचीत की थी| इस दौरान क्षेत्रिय सुरक्षा और भारतअमरिका धारणात्मक सहयोग पर बातचीत होने की जानकारी व्हाईट हाउस ने दी थी|

इसी दौरान ईरान ने इराक में मिसाइल हमलें करके अमरिकी लष्करी ठिकानों को लक्ष्य किया| इसके बाद अमरिका क्या कदम उठाएगी, इस पर पुरे विश्‍व की नजरें टिकी थी| इसी बीच ईरानअमरिका युद्ध शुरू होने की संभावना भी जताई जा रही थी| तभी यह युद्ध ना हो, इस लिए अमरिका में सियासी नेता कोशिश करते दिख रहे है| साथ ही जंग करने का निर्णय करने का अधिकार कांग्रेस को हो, ना की राष्ट्राध्यक्ष को, ऐसे प्रावधान करने की आवश्यकता अमरिकी सियासी नेता व्यक्त कर रहे है|

इसी बीच, बुधवार के दिन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इराक में हुए हमलों के बाद ईरान पर और भी सख्त प्रतिबंध लगाने की और फिलहाल लष्करी कार्रवाई ना करने के दिए संकेतों का असर दिखाई देने लगा है| ट्रम्प के इन संकेतों के पश्‍चात पिछले कुछ दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार उछल रहे ईंधन के दामों में भी कमी हुई है और जागतिक शेअर बाजार में देखी गई गिरावट को भी ब्रेक लगा है| इससे खास तौर पर ईंधन की बडी आयात करनेवालें देशों को बडी राहत मिलती दिख रही है|

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