चीन की नौसेना में दो प्रगत आण्विक सबमरिन्स् दाख़िल

चीन की नौसेना में दो प्रगत आण्विक सबमरिन्स् दाख़िल

बीजिंग – चीन की नौसेना में बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्रों से लैस दो प्रगत आण्विक सबमरिन्स् (पनडुब्बियाँ) दाख़िल हुईं होने की जानकारी सामने आयी है। हाँगकाँग स्थित दैनिक ने चिनी लष्करी सूत्रों के हवाले से यह ख़बर छापी होने की बात स्पष्ट की। पिछले महीने ही, अमरीका की संसदीय रिपोर्ट में, चिनी नौसेना के, उसमें भी नयीं सबमरिन्स् के बढ़ते सामर्थ्य के बारे में चिंता ज़ाहिर की गयी थी। इस पृष्ठभूमि पर नयीं प्रगत पनडुब्बियों का समावेश ग़ौरतलब साबित होता है।

गत हफ़्ते ही चिनी नौसेना के ७१वें वर्धापनदिन की पृष्ठभूमि पर संचलन आयोजित किया गया था। इसी दौरान सबमरिन्स् का समावेश किया गया, ऐसा ख़बर में नमूद किया गया है। चीन के ये दोनों प्रगत पनडुब्बियाँ ‘जीन क्लास’ (टाईप ०९४) श्रेणि कीं होकर, उनका विडिओ भी चिनी नौसेना ने जारी किया। इस विडिओ में, दोनों प्रगत पनडुब्बियों पर से ‘जेएल-२’ इन बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्रों का टेस्टिंग किया, ऐसा दिखाया गया है।

इन प्रगत पनडुब्बियों में अत्याधुनिक रडार तथा सोनार तंत्रज्ञान का समावेश होकर, टोर्पेडोज एवं क्षेपणास्त्रों की संख्या भी बढ़ा दी गयी है, ऐसी जानकारी चिनी लष्करी सूत्रों ने दी। हाँगकाँग के ‘साऊथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ दैनिक अख़बार ने दी हुई खबर में, नईं सबमरिन्स् का समावेश गहरे समुद्र में चिनी नौदल की युद्धक्षमता बढ़ानेवाला है, ऐसा कहा है। नईं प्रगत सबमरिन्स् में १६ ‘जेएल-२’ बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्र तैनात होकर, उनकी क्षमता पूरे सात हज़ार किलोमीटर्स तक फेंक करने की है।

नईं प्रगत सबमरिन्स् का समावेश चिनी नौसेना द्वारा गत कुछ वर्षों से शुरू होनेवाले आक्रमक विस्तारीकरण का भाग माना जाता है। पिछले साल ही, चीन की नौसेना में स्वदेशी बनावट का विमानवाहक युद्धपोत ‘शॅंडोंग’ शामिल हुआ था। उसके अलावा नई विनाशिका का भी समावेश किया गया होकर, ‘न्यूक्लिअर अटॅक सबमरीन’ विकसित करने का काम भी शुरू है। नईं पनडुब्बियों के समावेश के बाद चीन की नौसेना की पनडुब्बियों की संख्या ६६ हुई होकर, आनेवाले दशकभर में १० अथवा उससे अधिक पनडुब्बियों का समावेश किया जायेगा, ऐसे संकेत अमरिकी संसद की रिपोर्ट में दिये गए हैं।

चिनी नौसेना का यह आक्रमक विस्तार ‘साऊथ चायना सी’ के साथ ही, ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र पर वर्चस्व हासिल करने की महत्वाकांक्षी नीति का भाग माना जाता है।

सारी दुनिया कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ रही होने का फ़ायदा उठाकर चीन ने ‘साऊथ चायना सी’ पर अपनी पकड़ मज़बूत करने की कोशिश जारी रखी है। कुछ दिन पहले, ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में चीन की गश्तीनौकाएँ व्हिएतनाम के मच्छिमार जहाज़ से टकरायीं थीं। उससे पहले इस सागरी क्षेत्र में चीन और मलेशिया के जहाज़ आमनेसामने आये थे। ये घटनाएँ ‘साऊथ चायना सी’ का तनाव अधिक ही बिग़ड़ने के संकेत देनेवालीं हैं। महामारी का संकट रहते हुए भी, चीन अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरीं करने के लिए आक्रमक गतिविधियाँ कर रहा होकर, इस कारण ‘साऊथ चायना सी’ के मुद्दे को लेकर चीन को होनेवाला विरोध अधिक ही तीव्र होने लगा है।

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