हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र विकसित करके जापान का चीन को प्रत्युत्तर

हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र विकसित करके जापान का चीन को प्रत्युत्तर

टोकिओ – ‘ईस्ट चायना सी’ के साथ साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता वर्चस्व और लष्करी आक्रमकता   इनपर रोक लगाने के लिए जापान ने हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र का विकास तेज़ गति से चालू किया है। ‘मॅक ५’ अर्थात् ध्वनि के पाँच गुना रफ़्तार होनेवाला यह क्षेपणास्त्र चीन के विमानवाहक युद्धपोतों को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है, ऐसा दावा जापान के लष्करी सूत्रों ने किया। इस क्षेपणास्त्र के निर्माण के बाद जापान हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र विकसित करनेवाला रशिया, चीन एवं अमरीका के बाद का दुनिया का चौथा देश होगा। चीन ने न्युक्लीअर सबमरिन दाख़िल करने के बाद इस ख़बर का आना, यह जापान ने चीन को उसी भाषा में दिया जवाब दिख रहा है।

हाँगकाँगस्थित ‘साऊथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ इस दैनिक ने, जापान के रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी होने का दावा किया। सन २०२६ तक जापान के रक्षादल में तैनात होनेवाला यह क्षेपणास्त्र ‘हायपर व्हेलॉसिटी ग्लायडिंग प्रोजेक्टाईल’ (एचव्हीजीपी) क्लास का है। इसके ‘हायपरसोनिक ग्लायडिंग’ तंत्रज्ञान के कारण, क्षेपणास्त्र तेज़ी से अंतरिक्ष में जाकर नीचे का लक्ष्य छेतने के लिए उड़ान भरेगा, ऐसा दावा जापान द्वारा किया गया। उसी समय, फिलहाल सक्रिय होनेवाली, दुनिया की कोई भी क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा इस क्षेपणास्त्र को छेद नहीं सकेगा, ऐसा भी दावे में कहा गया है।

गत कुछ वर्षों में चीन ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए आक्रमक लष्करी नीति अपनायी है। एशिया के साथ ही, इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में चीन ने बड़े पैमाने पर लष्करी तैनाती शुरू की है। इस क्षेत्र के अमरीका के प्रभाव को मात देने के लिए विमानवाहक युद्धपोत, विनाशिका, सबमरिन्स, लड़ाक़ू विमान और प्रगत क्षेपणास्त्रों का निर्माण तथा तैनाती तेज़ी से की जा रही है।

‘साऊथ चायना सी’ और जापान के नज़दीक होनेवाले ईस्ट चायना सी क्षेत्र में चीन की लष्करी गतिविधियाँ बड़े पैमाने पर बढ़ीं हैं। ईस्ट चायना सी स्थित ‘सेंकाकू’ द्वीपों को लेकर जापान तथा चीन में पूर्वापार विवाद शुरू है। फिलहाल आंतर्राष्ट्रीय समुदाय कोरोना महामारी के विरोध में संघर्ष कर रहा होते समय भी चीन के आक्रमक कारनामें रुके नहीं हैं। उल्टे चीन द्वारा साऊथ चायना सी तथा ईस्ट चायना सी के नज़दीक युद्धनौकाओं की तैनाती और लड़ाक़ू विमानों की घुसपैंठ जारी ही है।

इस पृष्ठभूमि को मद्देनज़र रखते हुए, जापान ने हायपरसोनिक क्षेपणास्त्रों के विकास को दी गति महत्त्वपूर्ण साबित होती है। जापान का नया हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र, चीन के विमानवाहक युद्धपोतों को छेदने की क्षमता रखता होने के कारण, उसका निर्माण यह चीन की बढ़ती लष्करी आक्रमकता को ठेंठ चेतावनी है, ऐसा माना जा रहा है।

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