चीन को रोकने के लिए अमरीका के विमानवाहक युद्धपोत ‘साऊथ चायना सी’ में

चीन को रोकने के लिए अमरीका के विमानवाहक युद्धपोत ‘साऊथ चायना सी’ में

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की नौसेना द्वारा साऊथ चायना सी के ‘पॅरासेल आयलंड’ भाग में अभ्यास जारी है कि तभी अमरीका ने उसी क्षेत्र में अपने दो प्रचंड विमानवाहक युद्धपोतों के साथ अन्य युद्धपोत भेजे होने की बात सामने आयी है। चीन का अभ्यास रविवार तक शुरू रहनेवाला होकर, अमरीका अपना अभ्यास शनिवार से शुरू करनेवाली है, ऐसा बताया गया। अमरीका और चीन ने एक ही समय एक ही भाग में अभ्यास करने की पिछले कुछ सालों में यह पहली ही घटना है। फिलहाल इन दो देशों के बीच बढ़े हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर, किसी छोटीसी दुर्घटना में से संघर्ष की चिंगारी भड़क सकती है, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी। चीन ने शुरू किये अभ्यास पर ‘आसियन’ देशों ने तीव्र नाराज़गी ज़ाहिर की है।

पिछले कुछ महीनों में चीन द्वारा साऊथ चायना सी क्षेत्र में ज़ोरदार क़ारनामें शुरू हैं। पड़ोसी देशों के पोत डूबाना, सागरी सीमा में घुसपैंठ करना और लष्करी ताक़त के ज़ोर पर धमकाना, इन जैसीं हरक़तें लगातार जारी हैं। उसीमें, हाँगकाँग पर कब्ज़ा करने के लिए क़ानून पारित किया है और तैवान पर आक्रमण की धमकियाँ भी दी जा रहीं हैं। साऊथ चायना सी क्षेत्र में वर्चस्व प्राप्त करने के लिए चीन ‘एअर डिफेन्स आयडेंटिफिकेशन झोन’ लागू करने की कोशिशें कर रहा होने की ख़बर भी सामने आयी है। ‘पॅरासेल आयलंड’ भाग में चीन ने बुधवार से शुरू किया अभ्यास भी, इस क्षेत्र में वर्चस्व पाने के लिए जारी गतिविधियों का ही भाग माना जा रहा है।

चीन की इस मग़रूरी को पर रोक लगाने के लिए अमरीका ने पहल की होकर, साऊथ चायना सी समेत इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में व्यापक रक्षातैनाती शुरू की है। अप्रैल महीने से अमरीका ने इस क्षेत्र मे अपने युद्धपोत, विनाशिका, लड़ाक़ू विमान, ड्रोन्स, टोह विमान और बॉम्बर्स की गतिविधियाँ बड़े पैमाने पर बढ़ायीं हैं। उसी समय, इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र का भाग होनेवाले ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साथ लगातार अभ्यास भी जारी हैं। मई महीने में एक ही समय पर तीन विमानवाहक युद्धपोत और उनके साथ के ‘कॅरिअर स्ट्राइक ग्रुप्स’ को साऊथ चायना सी में तैनात करके अमरीका ने चीन को कड़ी चेतावनी दी थी।

उसके बाद अब फिर एक बार, चीन का अभ्यास शुरू रहनेवाले क्षेत्र में ही अपने दो विमानवाहक युद्धपोत रवाना कर अमरीका ने चीन पर दबाव अधिक ही बढ़ाया है। इससे पहले भी साऊथ चायना सी में अमरीका और चीन की नौसेना एक-दूसरे के सामने आने की घटनाएँ घटित हुईं हैं। लेकिन उनमें से अधिकांश घटनाएँ, चीन की नौसेना ने अमरिकी युद्धपोतों का मार्ग रोकने की अथवा जानबूझकर उक़साने की कोशिश, इस रूप की हैं। कुछ महीने पहले मलेशिया की सागरी सीमा में घुसपैंठ करनेवाले चिनी युद्धपोतों को रोकने के लिए अमरीका अपने युद्धपोत भेजने की घटना भी घटित हुई थी। लेकिन चीन का अभ्यास शुरू रहते ही, अमरीका ने उसी क्षेत्र में अपने दो विमानवाहक युद्धपोतों समेत अन्य युद्धपोतों का बेड़ा भेजने की यह पहली ही बारी है, ऐसा बताया जाता है।

फिलहाल, अमरीका और चीन इन दोनों देशों के बीच तनाव ज़बरदस्त बढ़ा होकर, द्विपक्षीय संबंध पूरी तरह बिगड़ गये हैं, ऐसा माना जाता है। ऐसी स्थिति में यदि दोनों देशों की नौसेनाएँ आमने-सामने खड़ीं हुईं, तो एकाद दुर्घटना घटित होकर संघर्ष भड़क सकता है, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी है। सागरी क्षेत्र में संघर्ष टालने के लिए हालाँकि दोनों देशों ने इससे पहले समझौता किया है, फिर भी वर्तमान स्थिति में चिंगारी भड़क उठने का ख़तरा ही अधिक है, ऐसा डर ब्रिटनस्थित अभ्यासगुट के विशेषज्ञ ‘लिन कुओक’ ने व्यक्त किया।

इसी बीच, चीन ने शुरू किये नौसेना अभ्यास की, वियतनाम तथा फिलिपीन्स इन दो ‘आसियन’ देशों ने आलोचना की है। चीन का अभ्यास वियतनाम की सार्वभूमता का उल्लंघन करनेवाला होकर, यह आचरण ‘आसियन’ देशों के साथ होनेवाले संबंधों का सम्मान करनेवाला नहीं है, ऐसा वियतनाम के प्रवक्ता ने जताया। फिलिपीन्स के रक्षा मंत्रालय ने भी एक स्वतंत्र निवेदन जारी किया होकर, उसमें चीन का अभ्यास उक़साऊ होने का दावा किया। चीन की आक्रमक हरक़तें, यह आग्नेय एशियाई देशों के लिए ख़तरे की घंटी है, ऐसा भी फिलिपीन्स ने कहा है। वियतनाम तथा फिलिपीन्स ने चीन के विरोध में अपनाई इस भूमिका का अमरीका ने स्वागत किया होकर, सहयोग का यक़ीन दिलाया है।

साऊथ चायना सी के साथ ही, एशिया के अन्य देशों से भी चीन की मग़रूरी को अब चुनौती मिलने लगी है। कुछ दिन पहले चीन ने एक जागतिक बैठक में, भूतान के भाग पर अपना हक़ जताया था। उस समय भारत समेत अन्य देशों ने चीन का यह दावा ठुकराया था। अब भूतान ने भी इसके विरोध में चीन के पास ठेंठ नाराज़गी व्यक्त की होने की बात सामने आयी है। भूतान सरकार ने अधिकृत रूप में चीन के विरोध में राजनीतिक स्तर पर निषेध व्यक्त किया होकर, उस संदर्भ में निवेदन भी जारी किया है।

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