पूर्व राष्ट्राध्यक्ष निक्सन की ‘चिनी भस्मासुर’ संदर्भ की भविष्यवाणी सच साबित हो रही है – विदेशमंत्री पोम्पिओ ने चीन को लगाई फ़टकार

पूर्व राष्ट्राध्यक्ष निक्सन की ‘चिनी भस्मासुर’ संदर्भ की भविष्यवाणी सच साबित हो रही है – विदेशमंत्री पोम्पिओ ने चीन को लगाई फ़टकार

वॉशिंग्टन – ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए विश्‍व के द्वार खुले करके ‘भस्मासुर’ का निर्माण करने का ड़र मुझे सता रहा है, यह बयान अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष रिचर्ड निक्सन ने किया था। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की जारी हरकतों को देखें, तो निक्सन ने की हुई भविष्यवाणी दुर्भाग्य से सच होती दिखाई दे रही है’, इन शब्दों में अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने चीन की हुकूमत को फ़टकार लगाई है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की हरकतों के विरोध में खड़े होने के लिए यही अवसर है और यदि अब हमनें उसके सामने घुटनें टेंकें, तो हमारी अगली पीढ़ियाँ, कम्युनिस्ट पार्टी की दया पर जीवित रहने की कगार पर होंगी, ऐसें कड़े शब्दों में पोम्पिओ ने कम्युनिस्ट हुकूमत के ख़तरों का एहसास कराया।

भस्मासुर, अमरीका, चीन

अमरीका के साथ विश्‍वभर में लाखों लोगों की जानें लेनेवाली कोरोना की महामारी के पीछे चीन ही सूत्रधार होने का आरोप करके, अमरीका ने चीन के विरोध में आक्रामक राजनीतिक संघर्ष शुरू किया है। इस संघर्ष के तहत अमरिकी जनता को चीन की साज़िश की जानकारी से अवगत कराने के लिए प्रचार मुहिम चलाई गई है। इसी के एक हिस्से के तौर पर, ट्रम्प प्रशासन के सर्वोच्च अधिकारी अमरीका में अलग अलग कार्यक्रमों के दौरान चीन के विरोध में कड़ी भूमिका पेश कर रहे हैं। पिछले महीने से अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन, जाँच यंत्रणा ‘एफबीआय’ के प्रमुख ख्रिस्तोफर रे और एटर्नी जनरल विल्यम बार ने अपने भाषणों से, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की हरकतों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने कैलिफोर्निया के ‘द रिचर्ड निक्सन प्रेसिडेन्शियल लायब्ररी ॲण्ड म्युझियम’ में किया बयान इसी का अगला चरण है।

‘कम्युनिस्ट चायना ॲण्ड फ्री वर्ल्डस्‌ फ्युचर’ इस नाम के तहत अमरिकी विदेशमंत्री ने किए भाषण में, पूर्व राष्ट्राध्यक्ष रिचर्ड निक्सन का किया हुआ ज़िक्र ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हुआ है। चीन के साथ किसी भी तरह के राजनीतिक संबंध नहीं थे, तभी सन १९७२ में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष रिचर्ड निक्सन ने चीन की यात्रा की थी। निक्सन की इस यात्रा के पीछे अमरिका के ज्येष्ठ कूटनीतिक एवं भूतपूर्व विदेशमंत्री हेन्री किसिंजर ने की हुई कोशिश ज़िम्मेदार होने की बात कही जा रही है। निक्सन की इस यात्रा के बाद चीन और अमरीका के बीच शुरू हुआ सहयोग, उस समय की सोवियत रशिया के विरोध में हो रहे शीत युद्ध का अहम चरण साबित हुआ था। इस अमरीका-चीन सहयोग को लगभग पाँच दशक पुरे हो रहे हैं और तभी विदेशमंत्री पोम्पिओ ने, निक्सन ने किए बयान का ज़िक्र करके, इस सहयोग का अन्त हो रहा हैं, ऐसें संकेत दिए हैं।

भस्मासुर, अमरीका, चीन

अपने भाषण के शुरू में ही विदेशमंत्री पोम्पिओ ने, चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी की वर्चस्ववादी नीति की ओर ध्यान आकर्षित किया। कोरोना की महामारी के साथ हाँगकाँग और झिंजिआंग में जारी दबावतंत्र, व्यापारी लूट एवं चिनी सेना की आक्रामक गतिविधियाँ भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विस्तारवादी हरकतों का हिस्सा होने का एहसास अमरिकी विदेशमंत्री ने कराया। विश्‍व के मुक्त एवं जनतांत्रिक देशों ने इसके विरोध में खड़े होने की ज़रूरत है, ऐसा भी पोम्पिओ ने इस दौरान कही। ‘मुक्त एवं जनतांत्रिक विश्‍व ने कम्युनिस्ट चीन को बदलने के लिए ठोंस कोशिश नहीं की, तो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी हमें ही बदल देगी’, ऐसी चेतावनी भी उन्होंने इस दौरान दी।

‘हमें चीन के सर्वेसर्वा शी जिनपिंग के सपने का चिनी विश्‍व नहीं, बल्कि मुक्त और आज़ाद २१ वीं सदी की आवश्‍यकता है। इसके लिए चीन के साथ अंधेपन से मेलजोल करने का पुराना दायरा तोड़ना ही होगा। इसके आगे यह नहीं चल सकता और दोबारा पीछे हटकर उसकी ओर आगे बढ़ना भी संभव नहीं होगा’, यह कहकर अमरिकी विदेशमंत्री ने अमरीका-चीन संबंध पहले की तरह नहीं रहेंगे, ऐसें स्पष्ट संकेत दिए। चिनी कम्युनिझम के घातक विषाणु की ओर पश्‍चिमी जगत ने अबतक अनदेखा किया है। लेकिन, इसके आगे अन्य देशों की तरह एक आम देश के रूप में चीन के साथ व्यवहार करना संभव नहीं होगा’, ऐसा भी इस समय पोम्पिओ ने डटकर कहा।

भस्मासुर, अमरीका, चीन

कम्युनिस्ट हमेशा झूठ ही बोलते हैं, यह आरोप करके, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की सेना, ये चिनी जनता से उत्तरदायी ना होने का दावा अमरिकी विदेशमंत्री ने किया। कम्युनिस्ट पार्टी की हरकतों के विरोध में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प और प्रशासन ने अपनाई कड़ी नीति का ज़िक्र करते समय पोम्पिओ ने, ह्युस्टन में स्थित चीनी दूतावास पर लगाए प्रतिबंधों की जानकारी प्रदान की। यह दूतावास चीन द्वारा जारी जासूसी और बौद्धिक संपदा की चोरी का केंद्र बना था, इन शब्दों में प्रतिबंधों का समर्थन किया।

अमरीका के विदेशमंत्री ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत पर किए कड़े प्रहार पर तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। ‘पोम्पिओ का बयान यानी चींटी ने पेड़ हिलाने के लिए की हुई फ़िज़ूल कोशिश है। चीन के विरोध में नई मुहिम शुरू करने के लिए गतिविधियाँ शुरू हुई हैं’, ऐसी आलोचना चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने की है। अमरीका ने ह्युस्टन दूतावास पर लगाए प्रतिबंधों पर भी चीन ने प्रत्युत्तर दिया है और अपने चेंगदू शहर में स्थित अमरिकी दूतावास बंद करने के आदेश चीन ने दिए है।

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