नागोर्नो-कैराबख पर कब्जा करने के लिए अज़रबैजान किसी भी स्तर तक जाएगा – राष्ट्राध्यक्ष इलहाम अलीयेव्ह का इशारा

नागोर्नो-कैराबख पर कब्जा करने के लिए अज़रबैजान किसी भी स्तर तक जाएगा – राष्ट्राध्यक्ष इलहाम अलीयेव्ह का इशारा

बाकु/येरेवान – मौजूदा स्थिति में समस्या का हल बातचीत के माध्यम से निकले, यह हमारी इच्छा है। आर्मेनिय सेना को नागोर्नो-कैराबख से पीछे हटना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो क्षेत्रिय एकता दुबारा स्थापित करने के लिए अज़रबैजान किसी भी स्तर तक जा सकता है। इसके लिए आखिर तक संघर्ष जारी रहेगा, ऐसा इशारा अज़रबैजान के राष्ट्राध्यक्ष इलहाम अलीयेव्ह ने दिया है। अलीयेव के इस इशारे की वजह से बीते एक महीने से अधिक काल हो रहा आर्मेनिया-अज़रबैजान का युद्ध थमने की संभावना पूरी तरह से खत्म होती हुई दिख रही है। राष्ट्राध्यक्ष अलीयेव ने तुर्की के मंत्री से की हुई भेंट के दौरान यह बयान किया है और इस वजह से इस युद्ध में तुर्की की दखलअंदाज़ी तथा उकसानेवाली भूमिका की पुष्टी हो रही है।

इलहाम अलीयेव्ह

सितंबर के आखिरी दिनों से आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच हो रहा युद्ध अब प्रतिदिन अधिक तीव्र होता हुआ दिख रहा है। इन दो देशों में युद्धविराम के उद्देश्‍य से रशिया, अमरीका और यूरोप ने चार बार की हुई कोशिशें नाकाम हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति के लिए कोशिश कर रहा हैं और तभी तुर्की जैसा देश यह युद्ध अधिक भड़काने के लिए गतिविधियां करने में जुटा हुआ दिख रहा है। तुर्की के मंत्री एवं लष्करी अधिकारी लगातार अज़रबैजान की यात्रा कर रहे हैं और एक के बाद एक आक्रामक बयान कर रहे हैं। तुर्की से प्राप्त हो रहे समर्थन के बल पर ही अब अज़रबैजान भी आक्रामक और उकसानेवाले बयान करने लगा है, यही बात राष्ट्राध्यक्ष अलीयेव के इशारे से दिख रही है।

इलहाम अलीयेव्ह

अज़रबैजान के राष्ट्राध्यक्ष ने दिए इशारे के पीछे रशिया ने आर्मेनिया को सहयोग देने के दिए संकेत कारण होने की बात कही जा रही है। बीते पांच हफ्तों से अधिक समय से जारी संघर्ष में अज़रबैजान पहले से ज्यादा क्षेत्र पर कब्ज़ा करने में सफल हुआ है। तुर्की के बल पर प्राप्त की हुई यह बढ़त आगे बरकरार रखने के इरादे अज़रबैजान रखता हैं। रशिया ने आर्मेनिया को सहायता देना शुरू करने पर इस युद्ध का पलड़ा बदल सकता हैं, इसका अहसास अज़रबैजान और तुर्की को भी हैं। इसी कारण बातचीत करने से पहले दबाव बनाने की कोशिश शुरू होने की बात दिख रही हैं।

इलहाम अलीयेव्ह

इसी बीच नागोर्नो-कैराबख में अज़रबैजान के हो रहें हमलों में आर्मेनिया के १,१६६ सैनिकों समेत १,२०० से भी अधिक लोग मारे जाने की जानकारी स्थानिय प्रशासन ने जारी की हैं। अज़रबैजान की सेना नागोर्नो-कैराबख के दुसरें क्रमांक के शुसी शहर से पांच किलोमीटर दूरी पर जा पहुँचने का दावा भी किया गया हैं। शुसी समेत चार शहरों पर लगातार मिसाइल एवं तोप के हमले जारी होने का आरोप भी आर्मेनिया ने किया है। अज़रबैजान ने यह आरोप ठुकराए हैं और उल्टा आर्मेनियन सेना ही हमारे शहरों पर हमले कर रही है, यह आरोप भी अज़रबैजान ने किया है।

सोवियत रशिया से वर्ष १९९१ में अलग होने के बाद से ही अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच सीमाविवाद जारी है। नागोर्नो-कैराबख इस स्वायत्त प्रांत के मुद्दे पर यह विवाद बना है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह क्षेत्र अज़रबैजान का हिस्सा समझा जाता है। लेकिन, क्षेत्र में आर्मेनियन वंशिय नागरिकों की संख्या अधिक है और इस प्रांत के कुछ क्षेत्र पर आर्मेनिया ने कब्ज़ा किया है। बीते तीन दशकों में इन दोनों मध्य एशियाई देशों की सीमा पर संघर्ष की कई घटनाएं हुई थीं। लेकिन, बीते चार वर्षों में इन पड़ोसी देशों की सीमा पर तनाव में अधिक बढ़ोतरी हो रही है। फिलहाल जारी युद्ध दोनों देशों के बीच हो रहा सबसे तीव्र संघर्ष समझा जा रहा है और तुर्की के उतरने से इसका दायरा और जटिलता अधिक बढ़ी हुई दिख रही है।

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