ब्रिटन की सागरी सीमा के पास रशियन नौसेना की गतिविधियों में बढ़ोतरी – दो हफ़्तों में नौं रशियन युद्धपोत पाये जाने की ब्रिटन की जानकारी

ब्रिटन की सागरी सीमा के पास रशियन नौसेना की गतिविधियों में बढ़ोतरी – दो हफ़्तों में नौं रशियन युद्धपोत पाये जाने की ब्रिटन की जानकारी

लंदन/मॉस्को – रशिया के नौं युद्धपोत ब्रिटन की सागरी सीमा के पास आवाजाही करते हुए पाये गए होने की जानकारी ब्रिटीश नौसेना ने दी है। महज़ दो हफ़्तों की कालावधि में इतने बड़े पैमाने पर रशियन युद्धपोत इस क्षेत्र में पहली ही बार पाये गये हैं, ऐसा बताया जाता है। दो महीने पहले ही, नाटो के प्रमुख ने यह जताया था कि रशिया अपने प्रभावक्षेत्र से बाहर लष्करी सामर्थ्य का प्रदर्शन करके नया शीतयुद्ध छेड़ने की तैयारी में है।

नौसेना, लष्करी सामर्थ्य का प्रदर्शन, डेव्हिड कॅमेरॉन, युद्धपोत, दबावतंत्र, ब्रिटन, रशिया, सायबरहमला, TWW, Third World War

पिछले कुछ सालों में ब्रिटन और रशिया के संबंधों में लगातार अनबन हो रही है। सन २०१४ में रशिया ने युक्रेन पर हमला करके क्रिमिआ पर कब्ज़ा करने के बाद ब्रिटन ने रशिया के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्रा डेव्हिड कॅमेरॉन ने रशिया के साथ होनेवाला लष्करी सहयोग रोककर निर्बंधों की घोषणा की थी। ब्रिटन में ‘स्कॉटलंड’ तथा ‘ब्रेक्झिट’ के मुद्दे पर हुए जनमतसंग्रह के दौरान रशिया ने दख़लअन्दाज़ी करने की कोशिशें कीं होने के दावे भी किये गए थे।

सन २०१८ में ब्रिटन में निवास कर रहें पूर्व रशियन अधिकारी तथा उसके बेटी को मारने की कोशिश की गयी थी। इस मामले में रशिया का हाथ सामने आने के बाद ब्रिटन और रशिया के बीच का तनाव ज़बरदस्त बढ़ गया था। ब्रिटन ने अपने यहाँ के २३ रशियन राजनीतिक अधिकारियों का देशनिकाला किया था। जवाब के तौर पर रशिया ने भी ब्रिटीश अधिकारियों को स्वदेश लौटने को कहा था। रशियाविरोधी संभाव्य कार्रवाई के भाग के रूप में ब्रिटन ने बड़ा सायबरहमला कराने की योजना बनायी होने की बात बाद में सामने आयी थी। उसी समय, रशिया ने भी ब्रिटन के तक़रीबन ४० शहर तथा लष्करी अड्डों पर परमाणुहमला करने की तैयारी की होने का दावा भी ब्रिटीश माध्यमों ने किया था।

नौसेना, लष्करी सामर्थ्य का प्रदर्शन, डेव्हिड कॅमेरॉन, युद्धपोत, दबावतंत्र, ब्रिटन, रशिया, सायबरहमला, TWW, Third World War

इसी दौर में रशिया और नाटो के बीच के संबंधों में भी तनाव बढ़ने लगा था। इस तनाव की पृष्ठभूमि पर, नाटो सदस्य देशों पर दबाव बढ़ाने के लिए रशियन युद्धपोत, पनडुब्बियाँ और लड़ाक़ू विमानों ने युरोप की सीमा में घुसने का सिलसिला शुरू किया। शीतयुद्ध के दौर में रशिया द्वारा इस क्षेत्र में भेजे जानेवाले युद्धपोतों और विमानों की अपेक्षा इन घुसपैठों की व्याप्ति और तीव्रता अधिक होने की बात पर पश्चिमी विश्‍लेषकों ने लगातार ग़ौर फ़रमाया था। रशिया का यह दबावतंत्र अभी भी क़ायम है, यह ब्रिटन की सागरी सीमा के पास बढ़ीं गतिविधियों से स्पष्ट हुआ है।

ब्रिटन की नौसेना दी जानकारी के अनुसार, पिछले १४ दिनों में रशिया की पनडुब्बी के साथ नौं युद्धपोत सागरी सीमा के पास आवाजाही करते हुए पाये गए हैं। उसमें रशियन विनाशिकाएँ ‘ऍडमिरल कुलाकोव’ एवं ‘बोयकि’, रशियन पनडुब्बी ‘स्तारि ओस्कोल’ और गश्तीनौका ‘व्हॅसिली बायकोव्ह’ के साथ सपोर्ट शिप्स का समावेश है। रशिया के अन्य युद्धपोतों के नाम सार्वजनिक नहीं किये गए हैं। ब्रिटन के पास के ‘नॉर्थ सी’, ‘सेल्टिक सी’, ‘डोव्हर स्ट्रेट’ तथा इंग्लिश खाड़ी के क्षेत्र में रशियन युद्धपोत पाये गए होनेकी जानकारी ब्रिटन ने दी। रशिया के ये सभी युद्धपोत ब्रिटन की सीमा से नज़दीक के क्षेत्र से पूरी तरह से बाहर निकलने तह उनपर नज़र रखी गयी, ऐसा ब्रिटन द्वारा बताया गया।

रशियन युद्धपोतों की बढ़तीं गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, ब्रिटन की नौसेना किसी भी ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए सिद्ध होने का यक़ीन नौसेनाप्रमुख ‘फर्स्ट सी लॉर्ड ऍडमिरल टोनी रॅडाकिन’ ने दिलाया है।

English    मराठी

इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:

https://twitter.com/WW3Info
https://www.facebook.com/WW3Info