चीन-ऑस्ट्रेलिया व्यापारयुद्ध में ‘फाईव्ह आईज अलायन्स’ द्वारा चीन को प्रत्युत्तर देने की गतिविधियाँ

चीन-ऑस्ट्रेलिया व्यापारयुद्ध में ‘फाईव्ह आईज अलायन्स’ द्वारा चीन को प्रत्युत्तर देने की गतिविधियाँ

कैनबेरा/बीजिंग – पिछले कुछ महीनों से चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ छेड़े व्यापारयुद्ध में चीन को बड़ा झटका लगने के संकेत मिल रहे हैं। दुनिया के अग्रसर गुटों में से एक होनेवाले ‘फाईव्ह आईज अलायन्स’ ने, इस व्यापारयुद्ध में चीन को प्रत्युत्तर देने की गतिविधियाँ शुरू कीं होने का दावा ऑस्ट्रेलियन विश्‍लेषकों ने किया है। इस मुहिम में जापान भी सहभागी हो सकता है, ऐसा भी कहा जा रहा है। ‘गुप्तचर यंत्रणाओं का गुट’ यह पहचान होनेवाले ‘फाईव्ह आईज अलायन्स’ में ऑस्ट्रेलिया समेत अमरीका, कैनडा, ब्रिटन और न्यूज़ीलंड़ का समावेश है।

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पिछले कुछ सालों में, चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप कर रही होने की कई घटनाएँ सामने आयीं थीं। चीन के बढ़ते प्रभाव के परिणाम सामने आने के बाद ऑस्ट्रेलिया सरकार ने, चीन के खिलाफ़ आक्रामक भूमिका अपनाकर ठेंठ क़ानूनी कार्रवाई हाथ में ली थी। यह कार्रवाई शुरू रहते समय ही, कोरोना महामारी के पीछे चीन सूत्रधार होने का शक़ ज़ाहिर करके ऑस्ट्रेलिया ने तहकिक़ात की माँग की। ऑस्ट्रेलिया की इस भूमिका के कारण बौखलाये चीन ने, आर्थिक परिणामों की धमकी देना शुरू किया था। लेकिन उसे भी ऑस्ट्रेलिया ने नज़रअन्दाज़ करने के बाद चीन ने खुफ़िया तरीक़े से व्यापारयुद्ध की शुरुआत की।

मई महीने में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात की जानेवाली बार्ली पर पूरे ८० प्रतिशत कर थोंप दिया। उसके बाद चीन की हुक़ूमत ने अपने नागरिकों को पर्यटन तथा पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया में जाना टालने का मशवरा दिया। उसके बाद पिछले दो महीनों में ऑस्ट्रेलिया से आयात होनेवालीं मछलियाँ, सागरी उत्पादन, कपास, मांस, कोयला और वाईन इनपर बड़े पैमाने पर आयात कर थोंपे गये हैं। ये कर थोंपते समय ही, ऑस्ट्रेलिया से चीन के बंदरगाहों में दाखिल हुए उत्पादन कई दिनों से रोक भी रखे हैं। इस सारी कार्रवाई के बारे में किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण अथवा खुलासा देना भी चीन द्वारा टाला गया है।

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इस पृष्ठभूमि पर, अब ऑस्ट्रेलिया ने अपने प्रमुख सहयोगी देशों के सहयोग से चीन के खिलाफ़ आक्रामक नीति अपनाने के संकेत दिये हैं। दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर, अमरीका एवं ब्रिटन की गुप्तचर यंत्रणाओं ने एकसाथ होकर सहयोग बढ़ाने के संदर्भ में समझौता किया था। उसके बाद उस मोरचे में कैनडा, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलंड का समावेश किया गया था। अमरीका एवं रशिया के बीच के शीतयुद्ध के दौर में यह मोरचा अधिक मज़बूत करने के लिए कदम उठाये गये थे। हालाँकि शीतयुद्ध ख़त्म होने के बाद भी यह गुट कार्यरत था, फिर भी उसके गतिविधियों का दायरा कुछ मात्रा में कम हुआ था। लेकिन पिछले कुछ सालों में, चीनविरोधी विभिन्न मुद्दों पर ‘फाईव्ह आईज अलायन्स’ एकसाथ होकर आक्रामक भूमिका अपना रहें दिखायी दे रहे हैं। हुवेई, कोरोना की महामारी तथा हाँगकाँग के मुद्दे पर इस गुट ने चीन को खुलेआम चुनौती दी होने की बात सामने आयी है।

चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ छेड़े व्यापारयुद्ध में यदि ‘फाईव्ह आईज अलायन्स’ सहभागी हुआ, तो चीन को उससे बड़ा झटका लग सकता है। इस गुट का सदस्य नेवाली अमरीका ने पहले ही चीन के खिलाफ़ व्यापारयुद्ध छेड़ा होकर, उसके बड़े परिणाम चीन की अर्थव्यवस्था पर हुए दिखायी दिये हैं। ब्रिटन, कैनडा और न्यूज़ीलंड ने भी यदि ऑस्ट्रेलिया के समर्थन में कार्रवाई की, तो चीन के ईरादे मिट्टी में मिल सकते हैं, ऐसा दावा ऑस्ट्रेलियन विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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