चीन और रशिया अमरिका के उपग्रहों पर हमले करेंगे

- अमरिकी लष्कर के गुप्तचर प्रमुख का इशारा 

चीन और रशिया अमरिका के उपग्रहों पर हमले करेंगे

वॉशिंग्टन: अमरिका के उपग्रह नष्ट करने का सामर्थ्य चीन और रशिया के पास है। वर्तमान में यह दोनों देश अंतरिक्ष में शांति का पुरस्कार कर रहे हैं, लेकिन युद्ध के समय में परिस्थिति अलग होगी। अमरिका बडे पैमाने  पर लष्करी और निजी उपग्रहों पर निर्भर है, इसकी जानकारी चीन और रशिया को है, जिस वजह से चीन और रशिया उपग्रहभेदी मिसाइलें, एनर्जी वेपन्स अथवा लेज़र, साइबर जैमिंग और अंतरिक्ष के अन्य उपग्रहों को इस्तेमाल करके अमरिका के उपग्रहों को नष्ट कर सकते हैं, ऐसा स्पष्ट इशारा अमरिकी लष्कर के गुप्तचर विभाग प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एश्ले ने दिया है।

उपग्रहों

पिछले तीन महीनों में अमरिकन गुप्तचर यंत्रणा ने सिनेट को दिया यह तीसरा इशारा है। दो दिनों पहले अमरिकन सिनेट के ‘आर्म्ड सर्विसेज कमिटी’ के सामने बोलते समय लेफ्टिनेंट जनरल एश्ले और अमरिका के राष्ट्रीय गुप्तचर यंत्रणा के अध्यक्ष ‘डॅन कोट्स’ अमरिका के अंतरिक्ष के वर्चस्व को चीन और रशिया की बड़ी चुनौती है इसकी याद दिलाई है।

वर्तमान में अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे हजारों उपग्रहों में से सिर्फ ३७.५ प्रतिशत मतलब १७३८ उपग्रह कार्यरत होने का दावा किया जाता है। इसमें अमरिका के ६०० उपग्रहों का समावेश है और चीन और रशिया के क्रमशः १७७ और १३३ उपग्रह सक्रिय हैं। इस वजह से अंतरिक्ष क्षेत्र पर वर्तमान में अमरिका का वर्चस्व है। लेकिन अमरिका का यह वर्चस्व बहुत समय टिकने वाला नहीं है, ऐसी चिंता लेफ्टिनेंट जनरल एश्ले और कोट्स ने व्यक्त की है। चीन-रशिया को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह विषमता मान्य नहीं है और अमरिका को अपने स्तरपर लाने के लिए यह दोनों देश उपग्रहभेदी मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकते हैं, ऐसा इशारा एश्ले और कोट्स ने दिया है।

इस प्रकार के हमले अमरिका की जीपीएस यंत्रणा साथ ही उपग्रहों पर आधारित तकनीक को गिरा सकते हैं। ऐसा हुआ तो अमरिका की सरकारी, लष्करी और व्यवसायिक यंत्रणा पूरी तरह से टूट सकती है, ऐसा दावा अमरिकन गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुखों ने किया है। अमरिका के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए चीन और रशिया की उपग्रहभेदी मिसाइलें  कुछ सालों में अंतरिक्ष में उड़ान भर सकते हैं, ऐसा कोट्स ने सिनेट के सामने कहा है। कुछ दिनों पहले चीन ने अमरिका को उस तरह का इशारा दिया था, इसकी भी कोट्स ने याद दिलाई है।

अमरिका और तैवान के बीच सहकार्य पर चीन आपत्ति जता रहा है। इसके बाद भी अमरिका ने तैवान को मदद करना जारी रखा तो चीन अपने अंतरिक्ष सामर्थ्य का इस्तेमाल कर सकता है, ऐसे सूचक शब्दों में चीन ने कुछ दिनों पहले अमरिका को धमकाया था, इस बात की तरफ कोट्स ने ध्यान आकर्षित किया है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने कुछ महीनों पहले अंतरिक्ष में वर्चस्व के लिए अमरिका के उपग्रहों पर हमले की धमकी दी थी, इसका प्रमाण लेफ्टिनेंट जनरल एश्ले ने दिया है।

इसके पहले भी अमरिका के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों ने रशिया और चीन के उपग्रहभेदी मिसाइलों के खतरे को अधोरेखित किया था। अमरिका की उपग्रहों पर की निर्भरता आने वाले समय में अमरिका के लिए सबसे बड़ी अड़चन साबित होगी, ऐसा अमरिका के वरिष्ठ सीनेटर ने दो महीनों पहले इशारा दिया था। इसके लिए अमरिका अंतरिक्ष के अपने उपग्रहों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए, ऐसा आवाहन भी पेंटागन के अधिकारियों ने किया था। इसके लिए पेंटागन की रक्षा लागत में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी मंजूर की जाए, ऐसी माँग ट्रम्प प्रशासन ने सिनेट और प्रतिनिधिगृह से की है।

चीन का उपग्रहभेदीडीएनमिसाइल   

सात दशकों से चीन उपग्रहभेदी मिसाइलों के निर्माण के लिए कोशिश कर रहा था। चीन की कम्युनिस्ट राजवट ने इसकी जानकारी दुनिया के सामने नहीं लाई थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चीन ने किए मिसाइल परिक्षण मतलब अंतरिक्ष युद्ध की तैयारी होने का आरोप अमरिका और अमरिका के यूरोपीय मित्रदेश कर रहे हैं।

सन २००७ में सर्वप्रथम चीन ने ‘एससी- १९’ मिसाइल प्रक्षेपित करके अंतरिक्ष में खुद के उपग्रह को नष्ट किया था। चीन ने एक पनडुब्बी से इस मिसाइल को प्रक्षेपित किया था। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अपने उपग्रहभेदी मिसाइलों की मारक क्षमता बढाई है और ‘डाँगनेंग-३’ (डीएन-३) मिसाइल १८,६०० मिल तक लक्ष्य को भेद सकता है, ऐसा दावा चीन के लष्कर ने किया है। फ़रवरी महीने में इस मिसाइल का यशस्वी परिक्षण किया है, ऐसा चीन ने कहा है। चीन के यह मिसाइल उपग्रहभेदी होने का दावा अमरिका कर रहा है।

दौरान, सन २००६ में चीन ने ‘डायरेक्ट एनर्जी वेपन’ अर्थात लेजर का इस्तेमाल करके अपने उपग्रह को लक्ष्य करने का आरोप अमरिका ने किया था। चीन के लेजर की वजह से अपने उपग्रह का नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन चीन ने अन्तरिक्ष के सभी उपग्रहों की सुरक्षा को खतरे में डाला है, ऐसा आरोप अमरिका ने किया है।

 

 

रशिया कापीएल१९नुडोल मिसाइल

सन २०१५ में रशिया ने ‘पीएल-१९’ नुडोल इस उपग्रहभेदी मिसाइल का परिक्षण करके खलबली मचाई थी। अंतरिक्ष में दूर तक स्थित उपग्रह को भेदने की क्षमता इस ‘पीएल-१९’ में है, ऐसा रशिया के लष्करी अधिकारियों ने उस समय घोषित किया था। उसके बाद अगले साल भर में रशिया ने इस मिसाइल का दूसरा परिक्षण किया था।

रशिया के सदर मिसाइल भेदी उपग्रहों का परिक्षण मतलब शीतयुद्ध काल में अमरिका के साथ किए अनुबंध का उल्लंघन है, ऐसा आरोप अमरिका ने किया था। लेकिन रशिया ने अमरिका के इन आरोपों को नजरअंदाज किया था।

(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)

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