चीन में ‘ख्रिसमस’ मनाने पर पाबंदी

चीन में ‘ख्रिसमस’ मनाने पर पाबंदी

बीजिंग – चीन में स्थानिय परंपराओं का पुरस्कार करने पर जोर देना जरूरी है और विदेशी त्योहारों का आडंबर किया नही जा सकता, इन शब्दों में चीन की सत्तारूढ कम्युनिस्ट पार्टीने अपने सदस्यों को ‘ख्रिसमस’ मनाने से दूर रहने की सूचना की है। इस सूचना का पालन चीन में कुछ हिस्सों में शुरू हुआ है और ‘ख्रिसमस’ से संबंधी सभी सामान दुकानों से हटाया गया है। चीन में शुरू हुई यह कार्रवाई राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इन्होंने धार्मिक आजादी के विरोध में अपनाई आक्रामक नीति का हिस्सा माना जा रही है।

चीन के नानयांग, हेन्गयांग, लैंगफैंग, पैन्लौंग इन शहरों के साथ ‘फुपिंग कौंटी’ में ‘ख्रिसमस’ के त्योहार के विरोध में कार्रवाई?शुरू हुई है, यह सामने आया है। नानयांग शहर में एक शॉपिंग मॉल और कार्यालयीन संकुल में ख्रिसमस के की गई प्रकाश व्यवस्था और सजावट सरकारी अधिकारियों ने भेंट देने के बाद हटाई गई। हेन्गयांग में पिछले ही हफ्तें में अधिकृत सरकारी नोटीस जारी करके ‘ख्रिसमस’ के लिए किसी भी प्रकार की बिक्रि, सजावट या प्रकाश व्यवस्था करने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई थी।

युनान प्रांत के पैन्लौंग में भी होटल और सार्वजनिक ठिकानों पर सक्रिय सभी उपक्रमों को ‘ख्रिसमस’ के अवसर पर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन ना करने के आदेश दिया गया है। ‘ख्रिसमस’ के मौके पर टोपी पहनना, ख्रिसमस ट्री बनाना, ख्रिसमस के भेंट हेतू किसी भी प्रकार से कपडा बांधने से पूरी तरह से मनाई की गई है, यह सरकारी नोटीस में कहा गया है।

लैंगफैंग सिटी के साथ फुपिंग कौंटी में सार्वजनिक ठिकानों पर ख्रिसमस के लिए की गई सजावट, प्रकाश व्यवस्था के साथ दुकानों में ब्रिक्रि के लिए रखी सभी वस्तूओं के विरोध में आक्रामक कार्रवाई शुरू की गई है। अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्था और विदेशी समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों ने इस विषय को लेकर स्थानिय यंत्रणा से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन इन प्रतिनिधियों को किसी भी स्वरूप का जवाब देने से अधिकारियों ने इन्कार किया। इस दौरान, ‘ख्रिसमस’ की पृष्ठभुमि पर शुरू कार्रवाई को विदेश माध्यम बेवजह अहमियत दे रहे, ऐसी आलोचना चीन के स्थानिय माध्यमों से हो रही है।

किसी भी धर्म का पालन एवं धार्मिक आजादी को अहमियत ना देने वाले चीन के सत्तारूढ कम्युनिस्ट पार्टी ने पिछले कुछ वर्षों में इस मुद्दे पर अधिक आक्रामक भुमिका अपनाई है। राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग खुद की प्रतिमा चीन के परपराओं के पाइक के तौर पर रखने की कोशिश में है और इसके लिए चीन में इस्लाम और ख्रिस्त धर्मियों के विरोध में जोरदार कार्रवाई शरू हुई है। २०१७ में चीन ने अपने नागरिकों की धार्मिक आजादी पर और भी कडे प्रतिबंध लगाने के लिए कडे नियमों का ऐलान किया था। उसके बाद राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने इस संबंधी स्वतंत्र कानून बनाकर धार्मिक आजादी खत्म की थी।

पिछले वर्ष सत्तारूढ कम्युनिस्ट पार्टी के आदेश के अनुसार देश में कुछ चर्च को गिराया गया था। उसके बाद ख्रिस्तधर्मियों के लिए पवित्र एवं श्रद्धा का भाग बने प्रतिकों की बजाय राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इनकी फोटो?एवं प्रतिमा इस्तेमाल हो, इस लिए मुहीम शुरू की गई थी। देश में ११ लाख से अधिक इस्लामधर्मियों को सुधार के नाम पर बंदी शिविरों में रखने का निर्णय हुआ था। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खलबली मचाने वाला साबित हुआ था।

पूरी तरह नास्तिकता का पुरस्कार कर रही चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अपनी जनता को धार्मिक आजादी देने के लिए तैयार नही। क्यों की इस धार्मिक आजादी का इस्तेमाल करके नागरिक अपनी हुकूमत के विरोध में खडे हो सकते है, यह चिंता चीन पर निरंकुश सत्ता कर रहे कम्युनिस्ट पार्टी को सता रही है। चीन में हो रहा यह धार्मिक और नागरिकों के मुलभूत अधिकारों का हनन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बना है। इसी दौरान अपने आर्थिक और राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके चीन इसके विरोध में उठ रहे आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है, यह भी सामने आ रहा है।

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