विदेश नीति के लिए अमरिकी ईंधन कंपनीयां सहायता करे – विदेश मंत्री माईक पोम्पिओ इनका निवेदन

विदेश नीति के लिए अमरिकी ईंधन कंपनीयां सहायता करे – विदेश मंत्री माईक पोम्पिओ इनका निवेदन

वॉशिंगटन – अमरिका के पास ईंधन के काफी बडे भंडार मौजूद हैं और इनके बल पर विदेश नीति में अमरिका के हितसंबंध और भी मजबूत करने के लिए ईंधन क्षेत्र की कंपनीयां ट्रम्प प्रशासन की सहायता करे, यह निवेदन विदेश मंत्री माईक पोम्पिओ इन्होंने किया है। अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने ‘एनर्जी डॉमिनन्स अजेंडा’ घोषित किया है और इसमें अमरिका में मौजूत ईंधन के बल पर एशिया एवं खाडी क्षेत्र की राजनयिक और कूट नीति के उद्देश्य प्राप्त करने का प्लान किया गया है। कुछ दिनों पहले ‘इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी’ ने अपने अहवाल में अमरिका आनेवाले पांच वर्षों में ईंधन निर्यात में रशिया?एवं सौदी अरब से आगे होगी, ऐसा अंदाजा व्यक्त किया गया था। इस पृष्ठभूमि पर पोम्पिओ इन्होंने ने किया निवेदन ध्यान आकर्षित करता है।

अमरिका के ह्युस्टन में ईंधन क्षेत्र की कंपनीयों की परिषद का आयोजन किया गया है। इस परिषद के दौरान विदेश मंत्री पोम्पिओ इन्होंने शीर्ष ईंधन कंपनीयों के प्रमुख अधिकारियों से भेंट की। इन कंपनीयों में ‘शेव्हरॉन’, ‘टोटल’, ‘रॉयल डच शेल’, ‘कोनोको फिलिप्सन, ‘एक्सॉन मोबिल’ जैसी कंपनीयों का समावेश था। पोम्पिओ इन्होंने लगभग एक घंटा ईंधन कंपनीयों के अधिकारियों के साथ स्वतंत्र बातचीत की है, यह जानकारी सूत्रों ने दी।

इस चर्चा के बाद विदेश मंत्री पोम्पिओ इन्होंने परिषद को संबोधित करने के लिए किए भाषण के दौरान अमरिकी ईंधन कंपनीयों को देश ने तय की हुई नीति आगे बढाने की प्रक्रिया में शामिल होने का निवेदन किया। ‘हमारे यूरोपियन मित्र देश नॉर्ड स्ट्रीम २ जैसी परियोजना के माध्यम से रशियन ईंधन पर निर्भर रहे, यह हमारी इच्छा नही। साथ ही अमरिका भी स्वयं व्हेनेजुएला से निर्यात हो रहे ईंधन पर निर्भर रहे, ऐसी भी हमारी इच्छा नही’, इन शब्दों में पोम्पिओ ने नजदिकी समय में अमरिका ईंधन को लेकर आत्मनिर्भर होगी, यह स्पष्ट संकेत दिए।

ईंधन का बढता निर्माण एवं निर्यात की वजह से अंतर्गत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन की मांग पूरी करने के लिए अमरिका सक्षम होने का दावा भी विदेश मंत्री ने किया। ‘लेकिन, इसके आगे यह क्षमता और भी बढाने की जरूरत है और इसके लिए बडी तादाद में निवेश की भी जरूरत है। साथ ही सहयोगी देशों को अमरिका से ईंधन खरीद करने के लिए प्रोत्साहित करने की और नियम ठुकरानेवालों को कडी सजा देने की भी जरूरत है’, यह पोम्पिओ ने आगे कहा है।

दुनिया के कुछ देश ईंधन का इस्तेमाल गलत उद्देश्यों के लिए कर रहे है, यह आलोचना करके अमरिका ईंधन निर्यात के साथ ही अपने सहयोगी देशों को व्यावसायिक मूल्य एवं उसपर बनी यंत्रणा भी उपलब्ध कराती है, यह दावा विदेश मंत्री पोम्पिओ इन्होंने किया। इस दौरान अमरिकी विदेश मंत्री ने ईरान और व्हेनेजुएला का स्वतंत्र रूप से जिक्र किया और इन देशों के विरोध में तय नीति और भी आक्रामक करने की चेतावनी दी।

‘बाजार का अंदाजा प्राप्त करके ईरान जैसे देश से हो रही ईंधन की निर्यात शून्य पर ले जाने की कोशिश अमरिका करेगी’, यह इशारा भी पोम्पिओ इन्होंने दिया है। साथ ही व्हेनेजुएला के विरोध में अमरिका मौजूदा सभी आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल करेगी, यह कहकर इस देश के विरोध में अमरिका की कार्रवाई जारी रहेगी, यह संकेत भी उन्होंने दिए।

फिलहाल अमरिका हर दिन १.२ करोड बैरल्स क्रुड का निर्माण कर रही है और उसमें से ३० लाख बैरल ईंधन की यूरोप के साथ चीन एवं भारत को निर्यात कर रही है। साथ ही इन देशों के लिए ईरान और व्हेनेजुएला से हो रही निर्यात कम करने के लिए भी अमरिका आक्रामक कदम बढा रही है। नजदिकी समय में अमरिका दुनिया के अन्य देशों में भी इसी नीति का इस्तेमाल करेगी, ऐसा पोम्पिओ ने किए वक्तव्य से दिख रहा है।

पिछले कुछ वर्षों से अमरिका ईंधन के दाम ज्यादा मात्रा में बढे नही, इसलिए अपना प्रभाव का इस्तेमाल कर रही है। इसके लिए सौदी अरब एवं अन्य खाडी देश अमरिका की सहायता कर रहे है। इस वजह से ईंधन के दाम चार वर्षों से नीचे के स्तर पर रहे थे। इससे रशिया, ईरान जैसे ईंधन की निर्यात पर निर्भर प्रतिस्पर्धी देशों की अर्थव्यवस्था को झटके लगे थे। अगले समय में भी ईंधन के दाम नीचे रखकर रशिया और ईरान को अधिक से अधिक कमजोर करने की कोशिश अमरिका से होगी। इसके लिए अमरिकी ईंधन कंपनीयां सहायता करे, ऐसा माईक पोम्पिओ अलग शब्दों में बयान कर रहे है। यह अमरिका के अघोषित आर्थिक युद्ध का हिस्सा है और इस मोर्चे पर अमरिका काफी सफल होती दिख रही है।

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