हाँगकाँग पर चीन ने थोपे हुए क़ानून पर अमरीका की तीव्र प्रतिक्रिया

हाँगकाँग पर चीन ने थोपे हुए क़ानून पर अमरीका की तीव्र प्रतिक्रिया

वॉशिंग्टन/बीजिंग – हाँगकाँग में दख़लअन्दाज़ी करनेवाले चीन के क़ानून में निश्चित रूप से क्या है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन चीन ने उसके लिए कुछ हरकतें कीं, तो अमरीका उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करेगी, ऐसी आक्रमक प्रतिक्रिया अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने दी। चीन की संसद में हाँगकाँग की स्वायत्तता को ख़त्म करनेवाला विधेयक प्रस्तुत किया गया होकर, हाँगकाँगसमेत अमरीका से उसके विरोध में आलोचना की बौछार शुरू हुई है।

शुक्रवार को चीन की संसद का अधिवेशन शुरू हुआ होकर, ‘स्टँडिंग कमिटी’ के उपाध्यक्ष वँग शेन ने हाँगकाँग के लिए तैयार किया गया विधेयक प्रस्तुत किया। ‘नॅशनल सिक्युरिटी लॉ’ नामक यह विधेयक हाँगकाँग में क़ानून और सुव्यवस्था सँभालनेवालीं यंत्रणाओं को अधिक मज़बूत बनाने के लिए दाख़िल किया जा रहा होने का दावा शेन ने किया। चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक होने का बयान कर विधेयक का समर्थन किया गया है।

इस विधेयक में सात मुद्दें होकर, उसमें से ‘आर्टिकल ४’ सर्वाधिक विवादग्रस्त साबित हुआ है। इसमें हाँगकाँग की राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार लायें जायें, ऐसी सलाह दी गयी है। उसी समय, ज़रूरत पड़ने पर चीन की सुरक्षायंत्रणाएँ हाँगकाँग में अपना ऑफिस खोलकर सुरक्षा का खयाल रखेंगी, ऐसा प्रावधान इसमें रखा गया है। यह बात स्पष्ट संकेत देनेवाली साबित होती है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत हाँगकाँग पर संपूर्ण रूप से कब्ज़ा करने के लिए कदम उठा रही है।

चीन के सत्ताधारियों ने इससे पहले भी कई बार हाँगकाँग पर व्यापक नियंत्रण पाने के लिए विभिन्न मार्गों से कोशिशें कीं थीं। सन २००३, २०१४ और २०१९ में लाये गए विधेयक उसीका भाग थे। इनमें से सन २०१४ में चीन दबाव लाने में क़ामयाब साबित हुआ था। लेकिन सन २००३ और २०१९ में चीन के सत्ताधारियों को मजबूरन पीछे हटना पड़ा था।

पिछले साल हाँगकाँग में शुरू हुआ आंदोलन चीन की हुक़ूमत के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौती मानी जाती है। यह आंदोलन तथा कोरोना की महामारी का बहाना बनाकर, चीन ने नया सुरक्षा क़ानून हाँगकाँग पर थोपने की चाल चली है। लेकिन चीन की इन कोशिशों पर हाँगकाँग समेत अमरीका से तीव्र प्रतिक्रिया उठी है।

चीन का नया विधेयक यह हाँगकाँग के अस्तित्व का अन्त होगा, इसके बाद हाँगकाँग बतौर ‘आंतर्राष्ट्रीय शहर’ अपना दर्जा खो चुका होगा, ऐसी आलोचना हाँगकाँग के विरोधी नेता डेनिस क्वॉक ने की। हाँगकाँगस्थित चीनविरोधी प्रतिनिधियों ने विधिमंडल में नारें लगाते हुए तीव्र निषेध दर्ज़ किया है। चीन के प्रस्ताव पर हाँगकाँग के शेअरबाज़ार से भी नाराज़गी व्यक्त हुई होकर, शेअरबाज़ार शुक्रवार को पूरे चार प्रतिशत से फिसल गया। हाँगकाँगस्थित जनतंत्रवादी गुटों ने जनता को नये संघर्ष के लिए पुन: एक बार सड़कों पर उतरने के लिए पुकारा है।

चीन के इस विधेयक पर अमरीका से आलोचना की बौछार शुरू हुई है। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने चीन के विरोध में सख़्त कार्रवाई की चेतावनी देने के बाद वरिष्ठ सांसदों ने भी आक्रमक पैंतरा अपनाया है। सिनेटर मार्को रुबिओ ने, नया विधेयक हाँगकाँग को पहाड़ पर से खाई में धकेलनेवाला साबित होगा, ऐसी चेतावनी दी है। संसद सदस्य जोश होवली ने अपने सहयोगी संसद सदस्यों के साथ मिलकर चीन के ख़िलाफ़ नया प्रस्ताव लाने के भी संकेत दिये हैं। अमरीका के विदेश विभाग ने भी तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए, चीन पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।

कोरोना महामारी को लेकर चीन की हुक़ूमत को आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़बरदस्त झटकें लग रहे हैं। चीन के पड़ोसी देशों के साथ साथ, सहयोगी देश भी चीन के ख़िलाफ़ गये होकर, उसकी ज़बरदस्त क़ीमत चीन को चुकानी पड़नेवाली है। इस पृष्ठभूमि पर, चिनी जनता का ध्यान दूसरी ओर विचलित करने के लिए कम्युनिस्ट हुक़ूमत नये नये मुद्दें सामने ला रही है। गत कुछ दिनों में चीन ने अपने पड़ोसी देशों को संघर्ष के लिए उक़साने की कोशिशें भी कीं। लेकिन उसमे नाक़ाम होनेपर चीन ने हाँगकाँग का मसला बिग़ाड़ने के लिए गतिविधियाँ चालू कीं होकर, नया विधेयक उसीका भाग दिख रहा है।

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