चीन की ‘हुवेई’ और ‘झेडटीई’ अमरीका की सुरक्षा के लिए खतरा – ‘फेडरल कम्युनिकेशन्स कमिशन’ का ऐलान

चीन की ‘हुवेई’ और ‘झेडटीई’ अमरीका की सुरक्षा के लिए खतरा – ‘फेडरल कम्युनिकेशन्स कमिशन’ का ऐलान

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी एवं सेना से नज़दिकी संबंध रखनेवाली हुवेई और झेडटीई ये दोनों कंपनियाँ अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, ऐसा ऐलान फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन के प्रमुख अजित पै ने किया है। इस निर्णय पर तुरंत अमल होगा और इस कारण, इन दोनों चिनी कंपनियों समेत उनकी सहयोगी कंपनियों को भी, इसके आगे अमरीका में किसी भी प्रकार के व्यवहार करना संभव नहीं होगा। यह निर्णय ट्रम्प प्रशासन ने पिछले कुछ महीनों से शुरू किए आक्रामक संघर्ष का हिस्सा समझा जा रहा है। अमरीका के इस ऐलान के बाद ब्रिटेन एवं भारत इन अमरीका के मित्रदेशों ने भी चिनी दूरसंचार कंपनियों पर पाबंदी लगाने के संकेत दिए हैं।

‘हुवेई और झेडटीई इन दोनों कंपनियों के, चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी और सेना से काफी नज़दिकी संबंध हैं। चीन के कानून के अनुसार, इन कंपनियों को अपने पास मौजूद जानकारी, चीन की गुप्तचर यंत्रणाओं के साथ साझा करना बंधनकारक है। इसी के बल पर चीन के शासक, अमरीका के कम्युनिकेशन नेटवर्क समेत संवेदनशील बुनियादी सुविधाओं से छेड़छाड़ कर सकते हैं। ऐसीं दखलअंदाज़ी अमरीका हरगिज़ बर्दाश्‍त नहीं करेगी। इसी लिए हुवेई और झेडटीई ये दोनों कंपनियाँ, अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित की जा रहीं हैं। दोनों चिनी कंपनियाँ, आनेवाले समय में अमरीका में कम्युनिकेशन्स नेटवर्क एवं ५जी तकनीक से संबंधित प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकेंगी’ इन शब्दों में फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन के प्रमुख अजित पै ने चिनी कंपनियों के विरोध में कार्रवाई का ऐलान किया।

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले दो वर्षों से, देश में चिनी कंपनियों के प्रभाव के विरोध में आक्रामक मुहिम जारी रखी है। इस मुहिम के तहत, अमरीका की सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत चिनी कंपनियों के विरोध में कार्रवाई की जा रही है। पिछले वर्ष ही राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, दूरसंचार क्षेत्र की चिनी कंपनियों को लक्ष्य करते समय ‘नैशनल इमर्जन्सी’ का ऐलान किया था। उसके बाद ‘चायना मोबाईल’ इस कंपनी पर पाबंदी लगाई गई थी।

‘5-जी’ तकनीक में अग्रसर ‘हुवेई’ कंपनी पर हुई कार्रवाई, यह अमरीका-चीन संघर्ष का अहम चरण समझा जा रहा है। यह कंपनी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के एजेंड़ा का हिस्सा है और इसी के माध्यम से, विश्‍व की संपर्क यंत्रणाओं पर वर्चस्व स्थापित करने की साज़िश हुई है, ऐसा आरोप अमरीका द्वारा लगातार किया जा रहा है। ‘हुवेई’ पर लगाई पाबंदी को लेकर अमरीका ने अपने मित्रदेशों पर भी दबाव बनाया हैं।

इसी बीच, अमरीका ने चिनी कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित करने के बाद, मित्रदेश ब्रिटेन और भारत ने भी इन कंपनियों पर पाबंदी लगाने के संकेत दिए हैं। ब्रिटेन और भारत इन दोनों देशों ने कुछ महीनों पहले ही, ‘5-जी’ तकनीक क्षेत्र की सुविधाओं के लिए चिनी कंपनियों के साथ सभी कंपनियों को शामिल होने की अनुमति प्रदान की थी। लेकिन, अमरीका की नाराज़गी के बाद ब्रिटेन ने इसपर दोबारा विचार करने के लिए समिती गठित करने का ऐलान किया था।

ब्रिटेन के मंत्री ऑलिव्हर डाऊडन ने, अगले कुछ दिनों में ब्रिटेन ‘हुवेई’ पर पाबंदी घोषित करेगा, ऐसें संकेत संसद में दिए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर ब्रिटेन कोई भी क़ीमत चुकाने के लिए तैयार है, यह बयान भी डाऊडन ने किया। भारत में हाल ही में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी, ‘हुवेई’ और ‘झेडटीई’ इन चिनी कंपनियों पर पाबंदी लगाने का मुद्दा चर्चा में था, ऐसी जानकारी स्थानिय माध्यमों ने साझा की है। दो दिन पहले ही भारत ने, चीन के ५९ ॲप्स पर पाबंदी लगाने का निर्णय घोषित किया था। भारत के इस निर्णय का अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने स्वागत किया है। इस मुद्दे पर अमरीका पूरी तरह से भारत का समर्थन करती है, यह बयान भी अमरिकी विदेशमंत्री ने किया है।

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