चीन की जासूसी के मामले में अमरीका में पाँच लोग गिरफ़्तार – ह्युस्टन स्थित दूतावास भी बंद

चीन की जासूसी के मामले में अमरीका में पाँच लोग गिरफ़्तार – ह्युस्टन स्थित दूतावास भी बंद

वॉशिंग्टन – चीन ने अमरीका में शुरू की हुई जासूसी के मामले में पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और इनमें से चार लोग चीन की सेना से संबधित होने की बात सामने आयी है। पाँचवाँ व्यक्ति सिंगापूर का नागरिक है और उसने चीन की गुप्तचर यंत्रणा के लिए काम करने की बात स्वीकार की है। इसी पृष्ठभूमि पर, अमरीका के आदेश के बाद चीन ने ह्युस्टन स्थित अपना दूतावास बंद किया है और जाँचयंत्रणा ‘फेडरल ब्युरो ऑफ इन्व्हेस्टिगेशन’ यानी ‘एफबीआय’ ने इसे अपने कब्ज़े में किया होने की बात कही जा रही है। लगातार हुईं इन गतिविधियों के बाद, अमरीका और चीन के बीच शीत युद्ध शुरू होने के दावे प्रसारमाध्यमों में होने लगे हैं।

पाँच लोग गिरफ़्तार, अमरीका, चीन

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले चार वर्षों से चीन के विरोध में ज़ोरदार मुहिम जारी रखी थी। अमरीका-चीन व्यापारयुद्ध इसका स्पष्ट नमूना है और इसके अलावा सायबर हमलें, चीन का निवेश, जासूसी जैसें कई मुद्दों पर ट्रम्प ने आक्रामक भूमिका अपनाई थी। कोरोना की महामारी के बाद ट्रम्प ने चीन के विरोध में अपनाई अपनी भूमिका तीव्र की है और सीधे राजनीतिक संघर्ष शुरू किया है। पिछले कुछ महीनों में ट्रम्प प्रशासन ने हुवेई, हाँगकाँग, साउथ चायना सी एवं तैवान जैसें मुद्दों पर चीन को एक के पीछे एक झटकें दिए हैं। दूतावास पर पाबंदी एवं चिनी जासूसों की हुई गिरफ़्तारी, यह इसका अगला चरण समझा जा रहा है।

पिछले महीने से ट्रम्प प्रशासन के सर्वोच्च अधिकारियों ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में लगातार आरोप करके, इसके आगे दो देशों के संबंध सामान्य नहीं रहेंगे, ऐसें स्पष्ट संकेत दिए थे। चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी ने अमरीका में शुरू की हुईं गतिविधियों का पर्दाफ़ाश करके, इसके विरोध में कड़ी कार्रवाई करने की दिशा में कदम उठाने की चेतावनी भी इन अधिकारियों ने दी थी। तीन दिनों में ह्युस्टन स्थित दूतावास बंद करने के लिए जारी किया हुआ आदेश और साथ ही चीन के पाँच जासूसों की हुई गिरफ़्तारी ध्यान आकर्षित करनेवाली कार्रवाई साबित होती है।

पाँच लोग गिरफ़्तार, अमरीका, चीन

अमरीका का न्याय विभाग और जाँच यंत्रणा ‘एफबीआय’ ने इन सभी जासूसों पर आरोपपत्र दाखिल किया है और इनमें से चार लोग अमरिकी विश्‍वविद्यालयों में अनुसंधान का कार्य करने हेतु दाखिल होने की बात स्पष्ट हुई है। ये सभी कैलिफोर्निया, स्टॅनफोर्ड और इंडियाना युनिव्हर्सिटी का हिस्सा बने थे। इस कार्रवाई में गिरफ़्तारी होनेवालों के नाम शिन वँग, चेन सोंग, काईकाई झाओ और जुआन तांग होने की बात कही गई है और ये चारों चीन की ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ का अंग होने की बात स्पष्ट हुई है। इनमें से जुआन तांग की हुई गिरफ़्तारी सबसे अहम साबित हुई है। जुआन तांग चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्या है और उसने चीन की ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ में भी काम किया है। लेकिन, अमरीका का वीज़ा प्राप्त करते समय उसने यह जानकारी छुपाई थी, यह भी अब स्पष्ट हुआ है।

पिछले महीने में ‘एफबीआय’ ने इसी मामले में तांग की पूछताछ भी की थी। लेकिन, इसके बाद गिरफ़्तारी से बचने के लिए जुआन तांग ने सॅनफ्रान्सिस्को स्थित चीन के दूतावास में आश्रय लेने की बात समझी जा रही थी। इस मामले में वर्णित दूतावास भी सच्ची जानकारी साझा करना टाल रहा है, यह आरोप एफबीआय ने रखा था। इस पृष्ठभूमि पर, इसकी हुई गिरफ़्तारी अहम साबित होती है। तांग को सोमवार के दिन अदालत में पेश किया जाएगा, यह जानकारी अमरिकी अधिकारियों ने प्रदान की है। इसी पृष्ठभूमि पर, एफबीआय ने अमरीका के करीबन २५ शहरों में रहनेवाले चिनी छात्र एवं वैज्ञानिकों की पूछताछ करने के लिए मुहिम शुरू करने की जानकारी भी सूत्रों ने दी है।

पाँच लोग गिरफ़्तार, अमरीका, चीन

चीन की ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ से संबंधित मामले के अलावा, सिंगापूर के एक नागरिक को भी चीन के लिए जासूसी करने के मामले में गिरफ़्तार किया गया है। ‘जुन वेई येओ’ नाम का यह जासूस, अमरीका में चलायी जा रही राजनीतिक सलाहकार संस्था के माध्यम से चीन की गुप्तचर यंत्रणा के लिए काम कर रहा था, यह बात येओ ने कबूल की है। सन २०१५ से २०१९ के दौरान, अमरीका के रक्षा क्षेत्र समेत सरकारी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों से गोपनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए सलाहकार संस्था का इस्तेमाल करने की बात उसने बयान की है।

इसी बीच, शुक्रवार की शाम के समय चीन ने ह्युस्टन शहर में स्थित अपना दूतावास बंद करने की बात सामने आयी है। चीन के कर्मचारियों ने अपना झंड़ा निकालकर दूतावास बंद किया और उसके कुछ ही समय बाद अमरिकी जाँच यंत्रणा ‘एफबीआय’ की टीम ने इस इमारत पर कब्ज़ा करने की बात कही जा रही है। गुरुवार के दिन अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने, चीन की हुकूमत के विरोध में कड़ा प्रहार करते समय, ह्युस्टन स्थित दूतावास का इस्तेमाल बतौर जासूसी केंद्र किया जा रहा था, ऐसा आरोप किया था। दूतावास और जासूसी के मामले के माध्यम से अमरीका और चीन के बीच शुरू हुआ संघर्ष, इन दो देशों में शीतयुद्ध शुरू होने के संकेत दे रहा है, यह दावा अमरिकी प्रसारमाध्यम एवं विश्‍लेषकों ने किया है।

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