ईरान के युरेनियम संवर्धन से परमाणु समझौते के लिए खतरा – यूरोपिय महासंघ की आलोचना

ईरान के युरेनियम संवर्धन से परमाणु समझौते के लिए खतरा – यूरोपिय महासंघ की आलोचना

ब्रुसेल्स/वियना – ‘ईरान के परमाणु समझौते को बचाना है तो अब कुछ ही हफ्ते अपने हाथ में बचे हैं। क्योंकि, ईरान काफी तेज़ी से युरेनियम का संवर्धन कर रहा है। मौजूदा स्थिति में ईरान ने एक महीने में १० किलो युरेनियम संवर्धन करने की क्षमता प्राप्त की है’, ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष राफेल ग्रॉसी ने दी है। इसी बीच अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ जाकर अब तक ईरान के परमाणु समझौते का समर्थन करने वाले यूरोपिय महासंघ ने भी ईरान को स्पष्ट शब्दों में फटकार लगाई है। ‘युरेनियम संवर्धन बढ़ाकर २० प्रतिशत करने का ईरान का ऐलान पांच वर्ष पहले किए गए परमाणु समझौते के लिए खतरा निर्माण करनेवाले साबित होते हैं। ईरान तुरंत प्रक्रिया बंद करे’, ऐसा आवाहन महासंघ ने किया है।

ईरान ने बीते सप्ताह के दौरान अपने परमाणु कार्यक्रम से संबंधित कई ऐलान किए। वर्ष २०१५ में किए गए परमाणु समझौते का उल्लंघन करके ईरान ने फोर्दो परमाणु प्रकल्प में युरेनियम का संवर्धन करना शुरू किया है। साथ ही युरेनियम संवर्धन की मात्रा बढ़ाकर २० प्रतिशत करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, यह ऐलान भी ईरान किया था। इसके साथ ही १ हज़ार सेंट्रीफ्यूजेस का काम शुरू होने की जानकारी भी ईरान ने सार्वजनिक की थी। ऐसे में ही दो दिन पहले ही, ईरान की माँगें स्वीकारी नहीं गईं तो अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के निरीक्षकों को निष्कासित करने की धमकी भी ईरान के सांसद ने दी थी। ईरान की संसद ने पहले ही इन निरीक्षकों को परमाणु प्रकल्प में प्रवेश देने से इन्कार किया है।

ऐसे में अब तक ईरान के साथ किए गए परमाणु समझौते का समर्थन कर रहे ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी यह यूरोप के ‘ई-३’ देश भी मुश्‍किल में पड़े हैं। बीते सप्ताह में ही इन ‘ई-३’ सदस्य देशों ने संयुक्त निवेदन जारी करके ईरान की गतिविधियों पर फटकार लगाई थी। साथ ही ईरान वर्ष २०१५ में किए गए परमाणु समझौते का उल्लंघन कर रहा है, यह आलोचना भी इन देशों ने की थी। बिल्कुल इसी तरह की भूमिका यूरोपि महासंघ ने भी सोमवार के दिन अपनाई। फोर्दो के भूमिगत परमाणु प्रकल्प में युरेनियम संवर्धन बढ़ाकर २० प्रतिशत करने का ऐलान करनेवाले ईरान की मंशा चिंता बढ़ानेवाली है, यह आलोचना भी महासंघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने की है।

‘ईरान की यह हरकत वर्ष २०१५ में हुए परमाणु समझौते में तय की गई शर्तों का उल्लंघन है। साथ ही इस वजह से परमाणु समझौते के लिए खतरा बनेगा और अमरीका को नए से इस परमाणु समझौते में शामिल करना कठिन होगा’, इस बात का अहसास भी बोरेल ने कराया है। ‘परमाणु समझौते का उल्लंघन करने पर ईरान को परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे में यह मामला अधिक बिगड़ने से पहले ईरान इस प्रक्रिया से पीछे हटे’, यह निवेदन भी बोरेल ने किया है। तभी, ‘अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग’ (आयएईए) के अध्यक्ष ग्रॉसी ने ईरान की जारी गतिविधियों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सावधान किया है।

अमरीका के भावी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ईरान के साथ दुबारा परमाणु समझौता करने के लिए उत्सुकता दिखाई थी। लेकिन, ईरान के साथ किए परमाणु समझौते को बचाने के लिए अब हमारे हाथों में कुछ महीने नहीं बल्कि मात्र कुछ ही हफ्ते बचे हैं, ऐसा बयान ग्रॉसी ने किया है। साथ ही युरेनियम का संवर्धन बढ़ाने का निर्णय ईरान की संसद ने घोषित किया था। इस वजह से संसद ने किए निर्णय के अनुसार ईरान युरेनियम संवर्धन बढ़ाकर यकीनन २० प्रतिशत करेगा, यह बयान भी ग्रॉसी ने किया है।

युरेनियम संवर्धन २० प्रतिशत करने का लक्ष्य ईरान कब तक प्राप्त कर सकेगा, इससे संबंधित सवाल ग्रॉसी से किया गया था। इस पर जवाब में उन्होंने ऐसा कहा कि, ‘इसकी जानकारी सार्वजनिक करना संभव नहीं है। लेकिन, ईरान के परमाणु कार्यक्रम की गति और उनकी यंत्रणा को देखें तो ईरान महीनेभर में १० किलो या उससे थोड़े अधिक युरेनियम का संवर्धन कर सकेगा।’ इस बयान के साथ ही ग्रॉसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि, ईरान के युरेनियम संवर्धन की गति में बढ़ोतरी हो रही है।

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