दूसरा विश्वयुद्ध भड़कने से पहले के हालात फिर से पैदा हुए हैं – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन

दूसरा विश्वयुद्ध भड़कने से पहले के हालात फिर से पैदा हुए हैं – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन

मॉस्को – ‘दूसरा विश्वयुद्ध भड़कने से पहले का सन १९३० का दौर और आज के हालात, इनमें बहुत बड़ी समानता है। इस दौर में समस्याओं का समाधान ना किया जा सकने के कारण दूसरा विश्वयुद्ध भड़का था। आज के दौर में यदि वैसा संघर्ष भड़का, तो दुनिया का विनाश होने का डर है। आर्थिक विषमता, राजनीतिक कट्टरता और आन्तर्राष्ट्रीय तनाव इनसे संघर्ष इस क़दर भड़क सकता है, जिसपर नियंत्रण नहीं रखा जा सकता’, ऐसी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने दी है। उसी समय, लोकनियुक्त सरकारों के सामने तंत्रज्ञान क्षेत्र की बड़ी कंपनियों की चुनौती खड़ी हुई है, ऐसा कहते हुए रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने इन कंपनियों की कड़ी आलोचना की।

एक दशक से अधिक समय के बाद रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने डॅव्होस में चल रही ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ की बैठक को संबोधित किया। व्हर्च्युअल माध्यम के ज़रिये उन्होंने इसका एहसास करा दिया कि दुनिया विनाशकारी संघर्ष की दहलीज़ पर खड़ी है। सन १९३० के दशक के दौरान आन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान न किया जाने के कारण दूसरा विश्वयुद्ध भड़का था। उस समय की स्थिति और आज के हालात इनमें बहुत बड़ी समानता है, ऐसा बताकर रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने आगे यह जताया कि ऐसे हालातों में हाथ पर हाथ रखकर शान्ति से बैठना मुनासिब नहीं होगा। दुनिया का कारोबार चलानेवाले आन्तर्राष्ट्रीय संगठन दुबले बनते चले जा रहे हैं। क्षेत्रीय समस्याएँ कई गुना बढ़ रहीं हैं और ऐसे दौर में जागतिक सुरक्षा व्यवस्था ढ़ह रही है, इन शब्दों में रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी चिंता व्यक्त की।

इस वजह से आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष भड़क उठकर, सारी मानवता नष्ट होने का ख़तरा बढ़ा है, ऐसी चेतावनी व्लादिमिर पुतिन ने दी। यदि इसे टालना है, तो आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संवाद एवं सहयोग बढ़ाना आवश्यक है। अमरीका और रशिया ने ‘स्टार्ट’ समझौते की कालावधि बढ़ाने का फ़ैसला किया, यह उस दिशा में उठाया हुआ सकारात्मक कदम साबित होता है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने आगे कहा। अपने इस भाषण में पुतिन ने तंत्रज्ञान क्षेत्र की बड़ी कंपनियों की ज़ोरदार आलोचना की। ये कंपनियाँ देशों की लोकनियुक्त सरकारों से पंगा लेकर उन्हें चुनौती देने लगीं हैं। इन कंपनियों की एकाधिकारशाही लोकतंत्र व्यवस्था के लिए विकल्प बनती चली जा रही है, जिससे एकाधिकारशाही के तंत्र से चलनेवाली सामाजिक संरचना बनने का ख़तरा संभव है। ऐसे समाज में, कैसे जीना है, कौनसा विकल्प चुनना है और कौनसी भूमिका व्यक्त करनी है, इसकी आज़ादी ही ख़तरे में पड़ जायेगी, ऐसा रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने जताया है।

इसकी मिसाल देते हुए राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने, ‘अमरीका में क्या हुआ, यह हम सभी जानते हैं’, ऐसा सूचक बयान किया। अमरीका में तंत्रज्ञान और सोशल मीडिया क्षेत्र की अग्रसर कंपनियाँ, इससे पहले के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के विरोध में खड़ी हुईं थीं। उन्होंने ट्रम्प के विरोध में पक्षपाती (पार्श्यल) भूमिका अपनाने के आरोप हुए थे। यही बात ट्रम्प की हार के लिए कारणीभूत साबित हुई, ऐसा दावा कुछ लोगों से किया जाता है। ठेंठ ज़िक्र न करते हुए रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने इसका संदर्भ अपने भाषण में दिया।

साथ ही, फिलहाल रशियन राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ़ प्रदर्शन जारी होकर उसे विशेष पब्लिसिटी दी जा रही है, इसके बारे में नाराज़गी भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष के इन बयानों से व्यक्त हो रही है, ऐसे दावें कुछ न्यूज़ एजन्सियाँ कर रहीं हैं। इसी बीच, रशिया पर कुछ देशों द्वारा थोंपे जा रहे इकतरफ़ा आर्थिक प्रतिबंधों के विरोध में भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने चेतावनी दी है। ऐसे व्यापारी रोड़े, अवैध आर्थिक और तंत्रज्ञानविषयक तथा जानकारी के मामलों में प्रतिबंध, लष्करी कार्रवाई को न्योता दे सकते हैं और ऐसी लष्करी कार्रवाई यह सभी के लिए घातक बात साबित होगी, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने जताया है।

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