मुद्रास्फीति और महंगाई के कारण विश्‍व को २००८ की तरह के नए आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा – रशिया के केंद्रीय बैंक की चेतावनी

मास्को – कोरोना की महामारी के दौर में बढ़ रहें कर्ज़ का भार और तीव्र महंगाई एवं मुद्रास्फीति के कारण विश्‍व को २००८-०९ की तरह फिर से भयावह आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा, ऐसी चेतावनी रशिया के केंद्रीय बैंक ने दी है। विश्‍व के कई देशों में महंगाई और मुद्रास्फीति का दायरा फिर से बढ़ता दिख रहा है। अमरीका और युरोपीय बैंकों ने यह अस्थायी बात होने का अनुमान दर्ज़ किया है। लेकिन, रशियन केंद्रीय बैंक ने महंगाई की तीव्रता लंबे समय तक बरकरार रहने का अनुमान व्यक्त किया हैं और इसीसे वर्ष २०२३ का आर्थिक संकट शुरू होगा, यह चेतावनी भी दी है।

आर्थिक संकटाला तोंड, आर्थिक संकट का सामना

विश्‍व की प्रमुख वित्तसंस्था एवं विश्‍लेषकों ने बीते महीने में ही चिनी अर्थव्यवस्था की गतिविधियों का ज़िक्र करके वैश्‍विक अर्थव्यवस्था को फिर से नुकसान पहुँचेगा, यह अनुमान दर्ज़ किया था। अमरीका के अर्थमंत्री ने भी कर्ज़ की मर्यादा का मुद्दा उठाकर, अमरीका को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा, यह चेतावनी दी है। इस पृष्ठभूमि पर गौर करें, तो रशिया के सेंट्रल बैंक ने दी चेतावनी भी ध्यान आकर्षित कर रही है।

‘सेंट्रल बैंक ऑफ रशिया’ ने हाल ही में वर्ष २०२२-२४ की ‘मॉनेटरी पॉलिसी गाईडलाईन्स’ जारी की हैं। इस रपट में अगले तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था की संभावित स्थिति पर अनुमान दर्ज़ किया गया है। इसमें कोरोना की महामारी अधिक तीव्र होने की संभावना जताकर महंगाई दर की बढ़ोतरी जारी रहने के संकेत भी दिए गए हैं। इसी दौर में अलग अलग सेंट्रल बैंकों ने अर्थव्यवस्थाओं को सहायता प्रदान करने के लिए किए निर्णयों की वजह से कर्ज़ का भार बढ़ता रहेगा, यह इशारा भी दिया गया है। कर्ज़ के भार में होनेवाली यह बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित होगी और इससे नया आर्थिक संकट उभरेगा, यह अनुमान भी जताया गया है।

आर्थिक संकटाला तोंड, आर्थिक संकट का सामना

‘वर्ष २०२२ में वैश्‍विक अर्थव्यवस्था प्रगती करती दिखाई देगी, लेकिन वर्ष २०२३ में आर्थिक संकट नुकसान पहुँचाएगा। यह नुकसान वर्ष २००८-०९ में उभरे आर्थिक संकट की तरह ही बड़ा रहेगा’, ऐसा रशिया के सेंट्रल बैंक ने कहा है। वर्ष २०२३ में वैश्‍विक अर्थव्यवस्था का विकास दर अधिकतम १.१ प्रतिशत रहेगा, यह भी रशियन रपट में दर्ज़ किया गया है। साथ ही कर्ज़े के बढ़ते भार का सबसे अधिक नुकसान उभरती अर्थव्यवस्थाओं को पहुँचेगा, यह दावा भी इसमें किया गया है।

बीते वर्ष रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने कोरोना के दौर में निर्माण हुई स्थिति की तुलना १९२९ की आर्थिक महामंदी से की थी। संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख ने कोरोना संक्रमण के आर्थिक परिणाम अगले कुछ दशकों तक भुगतने होंगे, यह इशारा भी दिया था। इसी दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने इस वर्ष के शुरू में जारी किए एक रपट में यह इशारा दिया था कि, युरोपीय देशों को दोहरी मंदी से झटका लगेगा।

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