बिजली की किल्लत, ‘एवरग्रैण्ड क्रायसिस’ एवं निजी क्षेत्र पर हुई कार्रवाई की पृष्ठभूमि पर चीन के आर्थिक विकास की रफ्तार हुई धीमी

बीजिंग – जुलाई से सितंबर के तिमाही में चीन के आर्थिक विकास की रफ्तार उम्मीद से अधिक धीमी होने की बात सामने आयी है। कोयले की किल्लत से उभरा बिजली की किल्लत का संकट, रिअल इस्टेट क्षेत्र के ‘एवरग्रैण्ड क्रायसिस’ एवं शासक कम्युनिस्ट हुकूमत की अलग-अलग उद्योगों पर कार्रवाई ही इस अर्थव्यवस्था की रफ्तार को ‘ब्रेक’ लगाने के प्रमुख कारण हैं। चीन की मंदी का असर अंतरराष्ट्रीय शेअर बाज़ारों में भी दिखाई दिया है और यूरोप, एशिया और अमरीका के निदेशांकों में गिरावट आई है।

‘एव्हरग्रॅन्ड क्रायसिस’, आर्थिक विकास

चीन ने सोमवार के दिन जुलाई से सितंबर की तिमारी का आर्थिक विकास दर ४.९ प्रतिशत घोषित किया। अप्रैल से जून के दौरान चीन के आर्थिक विकास दर की गति लगभग ८ प्रतिशत थी। इसमें एक से डेढ़ प्रतिशत गिरावट का अनुमान विश्‍लेषक एवं वित्तसंस्थाओं ने व्यक्त किया था। लेकिन, प्राप्त जानकारी चीन के विकास दर की गति अधिक धीमी होती हुई दर्शा रही है। इस जानकारी की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था सामान्य होकर दोबारा पहले के स्तर पर आने की संभावना भी खत्म हुई है, यह माना जा रहा है।

एक साल में निम्न विकास दर दर्ज़ करने के पीछे बिजली का संकट, ‘एवरग्रैण्ड क्रायसिस’ एवं शासक हुकूमत की उद्योगों पर कार्रवाई ही इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं। इसके साथ ही कोरोना की महामारी का विस्फोट एवं कर्ज़ का बढ़ता हुआ भार, यह मुद्दे भी विकास की गति धीमी करने के लिए ज़िम्मेदार होने की बात मानी जा रही है। कोरोना के संकट से उभरते समय चीन में बिजली की माँग काफी बड़ी मात्रा में बढ़ी थी। इसी दौरान ऊर्जा प्रकल्पों में कोयले की किल्लत महसूस होने लगी थी।

चीन में ६० प्रतिशत से अधिक बिजली का निर्माण कोयले के इस्तेमाल से होता है। बीते वर्ष चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आक्रामक व्यापार युद्ध शुरू करते समय वहां से हो रही कोयले के आयात पर भी प्रतिबंध लगाए थे। ऑस्ट्रेलिया से चीन पहुँचे कोयले से भरे जहाज़ों को जानबूझकर रोककर रखने की बात भी सामने आयी थी। इससे चीन को काफी बड़ा नुकसान पहुँचा है। ऑस्ट्रेलिया से आयात कम होने के बाद चीन ने अन्य देशों से आयात शुरू की थी। लेकिन, इसकी कीमत ज्यादा होने से चीन की ऊर्जा कंपनियों के सामने मुश्‍किलें खड़ी हुई हैं। साथ ही चीन में कोयले की खदानों को भारी वर्षा ने नुकसान पहुँचाने से देश में कोयले का उत्पादन भी कम हुआ है।

‘एव्हरग्रॅन्ड क्रायसिस’, आर्थिक विकास

बिजली की किल्लत का सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था की रिड़ माने जा रहे उत्पादन क्षेत्र पर पड़ा है। मौजूदा स्थिति में चीन के २० से अधिक प्रांतों में अलग अलग स्तरों पर बिजली की कटौती की गई है। इससे चीन के लगभग ४० प्रतिशत कारखाने एवं उद्योगों को नुकसान पहुँचा है। कई कारखाने कुछ दिन या पूरे महीने के लिए बंद रखे गए हैं। इनमें विदेशी कंपनियों के लिए उत्पादन कर रहे कारखानों का भी समावेश है। कुछ कंपनियों ने ऑर्डर रद किए हैं और कई कंपनियों ने दूसरे देश में स्थित कारखानों से उत्पादन करके माँग पूरी करने की गतिविधियाँ शुरू की हैं।

बिजली की किल्लत तीव्र हो रही है और इसी दौरान रिअल इस्टेट क्षेत्र के संकट का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। चीन के संपत्ति और निर्माण कार्य क्षेत्र की प्रमुख ‘एवरग्रैण्ड’ कंपनी ने कर्ज़ की तीन किश्‍तों का भुगतान नहीं किया है। इन किश्‍तों का बकाया होते हुए अब इस कंपनी ने कर्ज़ की चौथी किश्‍त का भुगतान नहीं किया तो कंपनी दिवालिया घोषित होने की संभावना है। ‘एवरग्रैण्ड’ के बाद चीन एवं हाँगकाँग के ‘रिअल इस्टेट’ क्षेत्र की कम से कम पांच कंपनियाँ बीते हफ्ते मुश्‍किलों में घिरी हैं। इनमें से दो कंपनियों ने कर्ज़ की किश्‍तों का भुगतान नहीं किया है और अन्य कंपनियाँ भी ऐसे ही संकेत दे रही हैं। चीन की अर्थव्यवस्था में रिअल इस्टेट और संबंधित क्षेत्र का हिस्सा लगभग ३० प्रतिशत है।

चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने बीते कुछ महीनों में निजी क्षेत्र को लक्ष्य करना शुरू किया है। इसमें तकनीक, गेमिंग, मनोरंजन जैसे क्षेत्रों का समावेश है। इस क्षेत्र की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं और सामाजिक दायित्व का मुद्दा आगे करके बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं। इसी दौरान बड़ी कंपनियों को कर्ज़ प्रदान करनेवाली बैंकों की भी जाँच शुरू होने की बात स्पष्ट हुई है। इसी के साथ कोरोना की महामारी का विस्फोट एवं लॉकडाऊन, अलग अलग प्रांतों में हुई भारी बारिश एवं अर्थव्यवस्था पर बढ़े हुए कर्ज़ के प्रचंड़ भार ने भी चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने की बात कही जा रही है। चीन की आर्थिक गिरावट के लिए गलत व्यवस्थापन और स्थिति संभालने में गलत कार्यवाई जैसे मुद्दे भी ज़िम्मेदार होने के दावे आर्थिक विशेषज्ञ एवं सूत्रों द्वारा किए जा रहे हैं।

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