अमरीका द्वारा रशियन ईंधन की आयात पर पाबंदी के संकेत

वॉशिंग्टम/मॉस्को – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन किसी भी पल रशिया से आयात होनेवाले ईंधन पर पाबंदी लगाने की घोषणा करने के संकेत मिल रहे हैं। अमरीका के वरिष्ठ सिनेटर्स तथा व्हाईट हाऊस के सूत्रों ने इस मामले में जानकारी दी है। लेकिन युरोपीय देशों ने रशियन ईंधन पर पाबंदी लगाने से इन्कार किया है। जर्मनी के चॅन्सेलर ने इस संदर्भ में ठोस भूमिका अपनाई होकर, फिलहाल युरोपीय देशों के पास इंधन के लिए दूसरा विकल्प नहीं है, यह बताकर, इस मामले में अपने अमरीका के साथ मतभेद हैं यह ज़ाहिर किया है।

ईंधन की आयात पर पाबंदी

रशिया-युक्रेन युद्ध की शुरुआत होने के दिन से पश्चिमी देशों द्वारा रशिया के विरोध में प्रतिबंध लगाने का सिलसिला जारी है। रशिया के वित्त, बैंकिंग, रक्षा, निवेश, अंतरिक्ष, तंत्रज्ञान समेत अधिकांश क्षेत्रों को लक्ष्य किया गया था। लेकिन इनमें ईंधन क्षेत्र का समावेश नहीं किया गया था। रशिया यह दुनिया का तीसरे नंबर का इंधन उत्पादक देश होकर, अमरीका समेत युरोपीय देशों को बड़े पैमाने पर निर्यात करता है। अमरीका की ईंधन आयात में से 3 प्रतिशत ईंधन तथा पेट्रोलियम उत्पादन रशिया से आयात किए जाते हैं।

ईंधन की आयात पर पाबंदी

युरोपीय देशों की ईंधन की ज़रूरत में से लगभग 40 प्रतिशत ईंधन की सप्लाई रशिया द्वारा की जाती है। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका और युरोपीय देशों के बीच रशियन ईंधन की आयात पर पाबंदी लगाने के मुद्दे पर ज़ोरदार चर्चा शुरू की। युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमिर झेलेन्स्की लगातार रशियन ईंधन की आयात पर पाबंदी लगाने की माँग कर रहे थे। ईंधन से मिलनेवाले पैसों के ज़ोर पर रशिया युक्रेन पर हमले कर रहा है, ऐसा आरोप भी झेलेन्स्की ने किया था।

ईंधन की आयात पर पाबंदी

लेकिन रशियन ईंधन आयात पर अगर पाबंदी लगाई, तो ईंधन की दरों में होनेवाली वृद्धि और अमरीका तथा युरोप की अर्थव्यवस्थाओं पर होनेवाले इसके परिणाम, इन्हें मद्देनज़र रखते हुए पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंधों के बारे में फ़ैसला नहीं किया गया था। लेकिन अमरिकी संसद में इस संदर्भ में माँग तीव्र हुई थी। संसद सदस्यों ने ‘रशिया ऑईल बैन’ के संदर्भ में विधेयक भी संसद में पारित किया। इस कारण बायडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ा ऐसा माना जाता है। इस पृष्ठभूमि पर, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन द्वारा रशियन ईंधन की आयात पर पाबंदी लगाने के बारे में होनेवाली घोषणा अहम मानी जाती है। रशियन अर्थव्यवस्था को झटका देने के उद्देश्य से यह फ़ैसला किया जाएगा, ऐसे संकेत व्हाईट हाऊस के सूत्रों ने दिए हैं।

लेकिन अमरीका अकेली ही रशियन ईंधन पर पाबंदी लगानेवाली होकर, युरोपीय देशों का इसे रहनेवाला विरोध कायम है। युरोपीय महासंघ के प्रमुख देश होनेवाले जर्मनी के चॅन्सेलर ओलाफ शोल्झ ने इस मामले में अपनी भूमिका स्पष्ट की। ‘युरोप ने जानबूझकर, रशिया से होनेवाली ईंधन सप्लाई को प्रतिबंधों से हटाने का फ़ैसला किया है। हाल के दौर में, रशिया से युरोप को होनेवाली ईंधन की सप्लाई को अन्य मार्गो से पूरा करना और ऊर्जा की ज़रूरत पूरी करना संभव नहीं है। युरोपियन जनता की दैनंदिन जरूरतें पूरी करने के लिए तथा सार्वजनिक उपक्रमों के लिए ईंधन आवश्यक है’, इन शब्दों में चॅन्सेलर शोल्झ ने रशियन ईंधन पर पाबंदी लगाने की संभावना ठुकरा दी।

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