युद्ध और महंगाई की पृष्ठभूमि पर पूरे विश्व में असंतोष फैलने का खतरा बढ़ा

- ब्रिटिश अध्ययन मंड़ल की चेतावनी

महंगाई

लंदन – रशिया-यूक्रेन युद्ध, चरम स्तर पर महंगाई और ज़रूरी चीज़ों की किल्लत की पृष्ठभूमि पर अस्थिरता की स्थिति निर्माण हो रही है और पूरे विश्व में इससे असंतोष का विस्फोट होने का खतरा अधिक बढ़ा है, ऐसी चेतावनी ब्रिटीश अध्ययन मंड़ल ने दी है। अफ्रीका और एशिया के अविकसित देशों के साथ यूरोपिय महाद्वीप के प्रगत देशों में भी ईंधन की कीमतें उछाल पर हैं और ‘कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस’ के कारण लोगों में असंतोष की आग सुलग सकती है, ऐसी चेतावनी ‘वेरिस्क मैपलक्राफ्ट’ की नई रपट में दी गई है। संयुक्त राष्ट्र संगठन और इससे जुड़े गुटों ने रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बढ़ी हुई महंगाई और निर्माण हुई अन्न की किल्लत का ज़िक्र करके पहले भी अफ्रीकी महाद्वीप में अराजकता की स्थिति निर्माण होने की संभावना पर ध्यान आकर्षित किया था।

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‘१०१ कंट्रीज्‌‍ विटनेस्ड राईज्‌‍ इन सिविल अनरेस्ट लास्ट क्वार्टर’ नामक रपट इस ब्रिटीश अध्ययन मंड़ल ने जारी की है। इसमें पिछले कुछ महीनों में विश्व के सौ से अधिक देशों में अस्थिरता और असंतोष बढ़ने की बात दर्ज़ है। तथा विश्व के विभिन्न देशों में सामाजिक और आर्थिक दबाव बढ़ानेवाली घटनाएँ घट रही हैं और आनेवाला दौर असंतोष की स्थिति अधिक तीव्र करता हुआ दिखाई देगा, यह चेतावनी ब्रिटीश अध्ययन मंड़ल ने दी। रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद असंतोष का दायरा अधिक बढ़ने के मुद्दे पर ‘वेरिस्क मैपरक्राफ्ट’ ने ध्यान आकर्षित किया।

साल २०२२ के दूसरी और तिसरी तिमाही के दौरान विश्व के १९८ में से १०१ देशों में असंतोष का खतरा बढ़ता दिखाई दिया हैं। इनमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरिकी देशों के साथ यूरोपिय देशों का भी समावेश होने की बात ब्रिटीश अध्ययन मंड़ल ने स्पष्ट की। महंगाई में उछाल और ‘कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस’ के कारण जनता में नाराज़गी बढ़ रही है और जल्द ही बड़ी संख्या में प्रदर्शन होते दिखाई देंगे, यह चेतावनी इस रपट में है। इसके अलावा रपट में श्रीलंका के साथ केनिया, इक्वेडोर, पेरू और ईरान का खास ज़िक्र किया गया है।

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यूरोप के स्वित्ज़र्लैण्ड, नेदरलैण्डस्‌, जर्मनी जैसे देशों में भी जनता नाराज़गी व्यक्त करने लगी है। रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से अनाज और ईंधन की कीमतें आस्मान छू रही हैं और आम नागरिकों की क्षमता से निकलती जा रही हैं। इस वजह से प्रगत देशों की जनता को भी ‘कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस’ का सामना करना पड़ रहा है और आनेवाले समय में इन देशों में भारी मात्रा में असंतोष की स्थिति देखी जा सकती है, ऐसा इशारा इस ब्रिटीश अध्ययन मंड़ल ने दिया। पिछले साल से यूरोप में ईंधन और बिजली की कीमतें भारी ४५० प्रतिशत बढ़ने की बात सामने आयी है। कई प्रमुख देशों ने अपने नागरिकों को एवं उद्योगक्षेत्रों को भी बिजली की किल्लत के लिए तैयार रहने के निदेश दिए हैं।

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