रशिया के एन्गेल्स हवाई अड्डे पर युक्रेन का ड्रोन हमला

- तीन की मौत, विमान का नुकसान होने का दावा

हवाई अड्डे पर

मॉस्को/किव – सोमवार को युक्रेन द्वारा रशिया के ’एन्गेल्स’ हवाई अड्डे पर किए गए हमले में तीन रशियन जवानों की जान गई। हमले के दौरान कुछ रशियन विमानों का नुकसान होने के दावे किए गए हैं फिर भी इसको कोई समर्थन नहीं मिला है। युक्रेन के ड्रोन नियोजित लक्ष्य पर टकराने से पहले ही उन्हे नष्ट कर दिया गया, ऐसा रशिया के संरक्षण विभाग का कहना है। युक्रेन ने ’एन्गेल्स’ हवाई अड्डे पर महीने में दूसरी ड्रोन हमला किया है। इससे पहले 5 दिसंबर को ’एन्गेल्स’ एव ’रायज़ान’ दोनों अड्डों पर हमले किए गए थे। इनमें रशिया के बॉम्बर्स विमानों के नुकसान के फोटो प्रसिद्ध हुए थे।

पिछले कुछ महीनों में रशिया के संरक्षणतलों समेत ईंधन प्रकल्प, रेलवे लाईन, ऊर्जाप्रकल्प एवं शॉपिंग मॉल्स पर निरंतर हमले हो रहे हैं। यह हमले अमेरिका की गुप्तचर यंत्रणा ’सीआयए’ और नाटो के सदस्य देशों की गुप्तचर यंत्रणाओं ने मिलकर रशिया के खिलाफ छेडा हुआ ’छुपा युद्ध’ होने का दावा अमेरिका के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी जैक मर्फी ने किया था। अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष जो बायडेन ने उक्त हमलों के लिए मंजूरी दी थी, ऐसा भी मर्फी ने कहा था। अमेरिकी प्रशासन ने युक्रेन को भी रशियन भूभाग में गहराई तक हमले करने की अनुमति दी है, ऐसी खबर छपी थी।

हवाई अड्डे पर

इस पृष्ठभूमि पर रशिया के हवाई अड्डे पर निरंतर दूसरी बार हुआ ड्रोन हमला ध्यान आकर्षित कर रहा है। सोमवार को प्रात: समय हुए हमले की युक्रेनी लश्कर ने अधिकृत तौर पर ज़िम्मेदारी नहीं स्वीकारी है। पर रशिया युक्रेन में जो कुछ कर रही है, इसका प्रभाव उन्हें भुगतना ही पडेगा, ऐसी आक्रामक प्रतिक्रिया युक्रेन के वरिष्ठ अधिकारियों के ज़रिए आई है। रशिया के भूभाग में गहराई तक हमले नहीं हो सकते, ऐसा रशियन यंत्रणाओं को लगता होगा तो यह उनकी गलतफहमी है ओर ऐसे हमले आगे भी निरंतररूप से होते रहेंगे, ऐसा इशारा भी युक्रेन के अधिकारियों ने दिया है।

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युक्रेन ने इससे पहले क्रिमिया, ब्लगोरोद, ब्रियांस्क जैसे रशियन सीमा में लश्करी अड्डों पर हमले किए थे। पर यह सारे अड्डे रशिया-युक्रेन सीमा के करीब हैं। ’एन्गेल्स’ जैसा अड्डा युक्रेन सीमा से कुल 750 किलोमीटर्स पर है। इस अड्डे पर युक्रेन पर हमलों के लिए बॉम्बर्स विमान तैनात किए गए हैं। इसलिए रशियन सीमा से इतना भीतर स्थित अड्डे पर हमला ध्यान आकर्षित करता है। युक्रेन के इस हमले से पहले रविवार को रशिया ने डोन्बास क्षेत्र समेत खार्किव्ह, खेर्सन व झॅपोरिझिया में हमले करने की जानकारी सामने आई है। इन हमलों के लिए मिसाईलों समेत तोपें एवं रॉकेट्स का इस्तेमाल किया गया था, ऐसा युक्रेन का कहना है।

इस दौरान, रशिया एवं युक्रेन के पडोसी देश बेलारुस ने रशियन बनावट के ‘इस्कंदर’ मिसाईलों की तैनाती करने की घोषणा की। इस्कंदर की रेंज 500 किलोमीटर्स तक है और इसमें ’न्युक्लियर वॉरहेड’ ले जाने की क्षमता होने की बात कही जाती है। बेलारुस में इस्कंदर तैनात हो रही थी तब रशिया ने अपनी धरती पर ‘एस-300वी’ नामक हवाई सुरक्षा यंत्रणाओं की अतिरिक्त तैनाती शुरु करने की खबर दी गई थी।

ऐटम बमों की वजह से ही पश्चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ युद्ध घोषित नहीं किया है – पूर्व राष्ट्राध्यक्ष दिमित्रि मेदवेदेव

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मॉस्को – ’रशिया के पास ऐटम बम और उनके इस्तेमाल के संदर्भ में नीति का अहसास होने के कारण पश्चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ खुलेआम युद्ध की घोषणा नहीं की है। यदि रशिया के लिए वास्तव में धोखा निर्माण हुआ तो वह ऐटम बम का इस्तेमाल कर सकती है, उन्हें इस बात का पूरा अहसास है’, ऐसा इशारा रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष दिमित्रि मेदवेदेव ने कहा। रशिया को जब तक सुरक्षा विषयक हामी नहीं मिलती तब तक विश्व तीसरे महायुद्ध की चौखट पर है, ऐसा इशारा भी उन्होंने रशियन दैनिक में एक लेख में दिया है।

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