अमरीका-जापान रक्षा समझौते में अंतरिक्ष के खतरों का भी समावेश होगा

- अमरीका-जापान के संयुक्त निवेदन से ऐलान

वॉशिंग्टन/टोकियो – चीन की अंतरिक्ष में जारी बढ़ती हरकतों की पृष्ठभूमि पर अंतरिक्ष से होने वाले एवं अंतरिक्ष में होने वाले हमलों से बनते खतरों का अमरीका-जापान रक्षा समझौते में समावेश किया गया है। बुधवार को अमरीका में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह ऐलान किया गया। जापान के रक्षा एवं विदेश मंत्री अमरीका के दौरे पर हैं और इस दौरान हुई बैठक में अमरीका ने जापान में अपनी तैनाती में बड़े बदलाव करने का ऐलान भी किया। चीन की जारी आक्रामक हरकतों की पृष्ठभूमि पर यह निर्णय होने का बयान अमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने किया।

रक्षा समझौते

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की जारी आक्रामक सैन्य गतिविधियां पिछले कुछ महीनों से चिंता का विषय बन रहा है। कुछ हफ्ते पहले ईस्ट चाइना सी के क्षेत्र में चीन के विध्वंसकों ने जापान के सेंकाकूऔर ओकिनावा द्वीपों की सीमा के करीब से सफर किया था। पिछले महीने चीन की नौसेना ने जापान के समुद्री क्षेत्र में युद्धाभ्यास का भी आयोजन किया था। चीन के विमान वाहक युद्धपोत ने जापान के करीबी क्षेत्र से सफर करने की घटना भी सामने आयी थी।

ईस्ट और साउथ चायना सी के साथ ही चीन ने ताइवान की खाड़ी में भी धौस दिखाना शुरू किया है, यह आरोप अमरीका-जापान लगा रहे हैं। पिछले महीने चीन के विध्वंसकों ने ताइवान की खाड़ी में लाईव फाइरिंग का अभ्यास किया था। साथ ही ताइवान पर कब्ज़ा पाने का अभ्यास करके चीन ने सार्वजनिक तौर पर ताइवान को धमकाया था। चीन की यह सैन्य गतिविधियां क्षेत्रीय देशों के साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अस्थिरता निर्माण कर रही हैं, ऐसा आरोप अमरीका और जापान ने लगाया है। इस पृष्ठभूमि पर जापान की सरकार ने अधिक आक्रामक नीति अपनाई है और कुछ दिन पहले ही ‘नैशनल सिक्युरिटी स्ट्रैटेजी’ एवं बड़े रक्षा खर्चे का ऐलान किया था।

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जापान के रक्षा और विदेश मंत्री का अमरीका दौरा भी चीन विरोधी तैयारी अधिक बढ़ाने की कोशिशों का हिस्सा समझा जाता है। इसी मुद्दे पर जापान के रक्षा मंत्री हमादा यासुकाझू और विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा ने अमरिकी रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन से चर्चा की। इसके बाद आयोजित संयुक्त वार्तापरिषद में अमरीका ने कुछ अहम निर्णय घोषित किए।

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इसमें जापान के ओकिनावा द्वीप पर तैनात ‘१२ मरीन रेजिमेंट’ में बदलाव किया जाएगा और इसे ‘१२ मरीन लिटोरल रेजिमेंट’ में तब्दील किया जाएगा। नई रेजिमेंट जहाज विरोधी मिसाइल दागने की क्षमता के साथ ‘एजव्हान्स्ड् इंटेलिजन्स’ और प्रगत गश्ती यंत्रणा से मुस्तैद होगी, यह जानकारी अमरिकी अधिकारी ने साझा की। यह रेजिमेंट चीन के खतरे के विरोध में ‘फॉरवर्ड फोर्स’ के तौर पर काम करेगी, ऐसे संकेत भी दिए गए हैं। साथ ही अमरीका ईस्ट चाइना सी में गश्त लगाने के लिए ‘एमक्यू-९ रीपर ड्रोन्स’ तैनात कर रही हैं।

अमरीका और जापान के बीच पिछले शतक में किए गए रक्षा समझौते में इसके आगे अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित खतरों का भी समावेश किया जा रहा है। इससे संबंधित समझौते पर कुछ ही दिनों में हस्ताक्षर किए जाएंगे, ऐसी जानकारी अमरीका और जापान के सूत्रों ने प्रदान की। इससे पहले साल २०१९ में किए गए द्विपक्षीय रक्षा समझौते में साइबर क्षेत्र और साइबर हमलों का समावेश किया गया था। इसके बाद अब चीन की अंतरिक्ष में बढ़ रही हरकतों के मद्देनज़र इस क्षेत्र के खतरों का भी अमरीका-जापान समझौते में समावेश किया जा रहा है, ऐसा अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने कहा।

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