चीन को शह देने के लिए ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में ‘फ्रान्स, भारत और ऑस्ट्रेलिया’ का गठबंधन – फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष का प्रस्ताव

चीन को शह देने के लिए ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में ‘फ्रान्स, भारत और ऑस्ट्रेलिया’ का गठबंधन – फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष का प्रस्ताव

कॅनबेरा – ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में आंतरराष्ट्रीय कानूनों की पुरी तरह से पाबंदी और किसी एक देश की नेतागिरी को कडा विरोध जताते हुए फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मॅक्र्रॉन ने इस क्षेत्र मे चीन को शह देने के लिए ‘फ्रान्स-भारत-ऑस्ट्रेलिया’ का नया गठबंधन शुरू करने का संकेत दिया। इससे पहले ही अमरिकाने इस क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए ‘भारत-जपान-ऑस्ट्रेलिया’ के गठबंधन की शुरूवात की थी और इस पर चीनने नाराजगी जताई थी। इस पृष्ठभूमी पर एशिया-पॅसिफिक क्षेत्र में चीनची गुंडागर्दी रोकने के लिए तेज गतिविधीयॉं शुरू हो गयी है, ऐसे संकेत फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष द्वारा दिये जा रहे है।

मंगलवार को ऑस्ट्रेलियामे दाखिल हुए फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन की बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबुल से भेट हुई। दोनो नेताओं की चर्चा के बाद संरक्षण, सायबर सुरक्षा, शिक्षा, संशोधन और तापमान वृद्धी इन क्षेत्रों के संबंधी सहकार्य करारों पर हस्ताक्षर हो गये। इस के बाद हुई संयुक्त प्रेस वार्ता में पॅसिफिक क्षेत्र के बारे में फ्रान्स और ऑस्ट्रेलिया के सहकार्य के बारे मे बताते हुए मॅक्रॉन ने चीन को निशाना बनाया।

‘फ्रान्स और ऑस्ट्रेलिया भोले देश नही। चीन जैसा देश हमारा आदर और सम्मान करे ऐसा इस क्षेत्र के किसी भी देश को लगता है, तो उसके लिए पहले सारे देशों को इकठ्ठा होना पडेगा’ ऐसा कहकर फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने सभी देशों को चीन को रोकने के लिए साथ आना जरुरी है, ऐसी चेतावनी दी। पॅसिफिक क्षेत्र में ‘न्यू कॅलेडॉनिया’ और ‘फ्रेंच पॉलिनेशिया’ तथा हिंदी महासागर क्षेत्र के ‘रियुनियन आयलंड’ इन फ्रान्स के द्विपसमुहों का उल्लेख कर इस क्षेत्र में फ्रान्स की भूमिका भी अहम है, ऐसी जानकारी राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने दी।

‘पॅसिफिक और हिंदी महासागर मे स्थित इस फ्रान्स के द्विपों के कारण इस क्षेत्र में फ्रान्स के उद्दिष्टों को बडा महत्त्व प्राप्त हुआ है। यही मुद्दा ‘इंडो पॅसिफिक’ क्षेत्र की सांझेदारी का केंद्रबिंदू है। ब्रेक्झिट के बादइंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में अस्तित्व रखने वाला फ्रान्स एकमात्र युरोपिय देश बनेगा। इसलिए फ्रान्स को इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र के इस गठबंधन की अगुवाई करने की इच्छा है’, ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने इस नयी सांझेदारी का समर्थन किया।

ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ भारत को भी इस गठबंधन से जोडने वाले फ्रान्स ने यह गठबंधन इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र की शांती तथा समृद्धी के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा, ऐसा भरोसा जताया है। आंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए इंडो-पॅसिफिक मध्यवर्ती क्षेत्र है, ऐसा कहकर इस क्षेत्र के आर्थिक और सुरक्षा से जुडे हितों की रक्षा, यह इस गठबंधन की जिम्मेवारी होगी, ऐसा मॅक्रॉन ने कहा। चीन का उदय अच्छी बात है और यह नया गठबंधन चीन के विरोध मे खडा हुआ नया संगठन नही, ऐसा खुलासा भी फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने किया।

लेकिन ‘साऊथ चायना सी’ और पॅसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रमक गतिविधिया सहन नही की जा सकती, ऐसी चेतावनी भी राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने दी। पॅसिफिक क्षेत्र का विकास आंतराष्ट्रीय नियमों के दायरे में ही होना आवश्यक है, ऐसा इशारा राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने दिया। ऐसा हुआ तो ही इस क्षेत्र में आवश्यक संतुलन बना रहे गा, ऐसा विश्‍वास फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने व्यक्त किया। इसी बात को आगे बढाते हुँए राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में कोई भी देश अपनी नेतागिरी से बाज आए, ऐसा कहते हुँए चीन को निशाना बनाया।

फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने इस वर्ष की शुरूवात में ही चीन का दौरा किया था। उस वक्त उन्होने ‘वन बेल्ट, वन रोड’ योजना के उपर चीन को फटकार दिया था। ‘इस महत्त्वाकांक्षी योजना में शामील प्रकल्प नये साम्राज्यवाद तथा जागीर का रुप ना हो’ ऐसी अपेक्षा फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने व्यक्त की थी। अब ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी नीति को लक्ष्य कर फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने चीन के आक्रमकता पर लगाम कसने के, स्पष्ट संकेत दिये है।

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