चीन और रशिया से होनेवाले संभावित संघर्ष की पृष्ठभूमि पर अमरिकी सेना करेगी ‘नैशनल गार्ड’ का पुनर्गठन

चीन और रशिया से होनेवाले संभावित संघर्ष की पृष्ठभूमि पर अमरिकी सेना करेगी ‘नैशनल गार्ड’ का पुनर्गठन

वॉशिंग्टन – चीन और रशिया के विरोध में नज़दिकी समय में बड़ा संघर्ष शुरू होने की संभावना ध्यान में रखकर अमरिकी रक्षा विभाग ने ‘नैशनल गार्ड’ का पुनर्गठन करने का निर्णय लिया है। आर्मी नैशनल गार्ड के नए संचालक लेफ्टनंट जनरल डैनियल हॉकन्सन ने यह जानकारी साझा की। प्रत्यक्ष युद्ध में लड़नेवाली सेना की डिविज़न की धर्ती पर आर्मी नैशनल गार्ड की भी डिविज़न्स तैयार की जाएगी। इससे अगले दौर में अमरिकी सेना को बड़े संघर्ष के लिए अतिरिक्त ताकत प्राप्त होगी, यह दावा किया जा रहा है।

‘नैशनल गार्ड’ का पुनर्गठन,

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में वर्ष 2018 में ‘नैशनल डिफेन्स स्ट्रैटेजी’ को मंजूरी दी गई थी। अगले दिनों में विश्‍व की महासत्ताओं के बीच जारी होड़ अधिक तीव्र होगी और इससे संघर्ष भड़क सकता है। यह संभावना सामने रखकर नई रक्षा नीति तैयार की गई थी। इस ‘ग्रेट पॉवर कॉम्पिटिशन’ का दाखिला देकर ‘नैशनल गार्ड’ के नए संचालक लेफ्टनंट जनरल डैनियल हॉकन्सन ने पुनर्गठन से संबंधित जानकारी साझा की। संभावित युद्ध में सेना के डिविजन के स्तर पर संघर्ष होने की संभावना है। इसके लिए अमरिकी रक्षा बलों की ज़रूरत देखकर पुनर्गठन करने का निर्णय लिया गया हैं, ऐसा लेफ्टनंट जनरल डैनियल हॉकन्सन ने कहा।

नई रचना में आर्मी नैशनल गार्ड के आठ डिविज़न तैयार की जाएगी। अमरिकी सेना के नियमों के अनुसार हरएक डिविज़न में कम से कम 10 हज़ार तो अधिक से अधिक 25 हज़ार सैनिकों का समावेश होता हैं। नैशनल गार्ड की आठ डिविज़न्स तैयार होने पर अमरिकी सेना को बड़े संघर्ष के लिए 80 हज़ार से डेढ़ लाख तक अतिरिक्त सैनिकों का बल प्राप्त हो सकता हैं। चीन या रशिया से सीधे संघर्ष होने पर यह अतिरिक्त बल निर्णायक साबित हो सकता है, यह संकेत भी लष्करी सूत्रों ने दिए। अमरिकी नैशनल गार्ड में फिलहाल 4.5 लाख सैनिकों का समावेश है।

बीते कुछ महीनों में अमरीका और चीन के संबंध काफ़ी हद तक बिगड़ गए हैं और साउथ चायना सी के मुद्दे पर दोनों देशों में युद्ध भड़क सकता है, ऐसी चेतावनी दी जा रही है। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के अफ़गानिस्तान एवं यूरोप से अमरिकी सैनिकों को हटाने के किए निर्णय पर सियासी दायरे में भी आलोचना हो रही है। इस निर्णय की वजह से अमरीका ने प्राप्त किए हुए लष्करी महासत्ता के स्थान के लिए धोखा निर्माण होगा, यह दावा कुछ सियासी नेता एवं पूर्व लष्करी अधिकारी कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी रक्षाबल के ‘रिज़र्व फोर्स’ होनेवाले ‘नैशनल गार्ड’ का पुनर्गठन एवं इसके ज़रिए अमरिकी सेना को प्राप्त होनेवाला अतिरिक्त बल ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित होता है।

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