अखबार ने सनसनीखेज दावा करते हुए कहा है कि, रशिया द्वारा आर्क्टिक में खडे हो रहे आधुनिक सैनिकी अड्डें, तृतीय विश्वयुद्ध की तैयारी के लिए है। रशिया द्वारा आक क्षेत्र में बनाये जा रहे सैनिकी अड्डें अमेरिका से सिर्फ 300 मील की दूरी पर है। आर्क्टिक के साथ ही प्रशांत महासागर क्षेत्र में भी स्वतंत्र रक्षा संचलन केंद्र के निर्माण की तैयारी शुरु है। अमेरिका तथा ब्रिटन के अखबारों ने दावा किया है कि, रशिया द्वारा चल रही ये सैनिकी गतिविधियाँ अमेरिका तथा चीन के सैनिकी प्रभुत्त्व को चुनौती देनेवाले कदम है।
रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगु द्वारा आर्क्टिक तथा प्रशांत महासागर क्षेत्र में निर्माण हो रहे सैनिकी अड्डों की जानकारी दी है। शोईगु ने बताया कि, ‘हमने कोई भी बात छिपा कर नही रखी है। रशिया ने आयलैंड ऑफ कॉटल्नी क्षेत्र के नोव्होसिबिर्स्क द्वीप पर सैनिकी अड्डे का निर्माण किया है। यह काफी विशाल सैनिकी अड्डा है और इस तरह के अड्डे का निर्माण पूर्व सोविएत शासनकाल में भी नही हुआ था। इस क्षेत्र में सभी आधुनिक तथा अत्यावश्यक रक्षा प्रणाली और भारी हथियार तैनात है। रशिया के आर्क्टिक क्षेत्र में स्थित सैनिकी अड्डें साल 2018 तक पूरी तरह सक्रीय होंगे।’
रशियन रक्षामंत्री ने आगे कहा कि, ‘आयलैंड ऑफ कॉटल्नी क्षेत्र के अलावा आर्क्टिक के ‘रँगल आयलैंड’ और ‘केप श्मिड्ट’ हिस्से में भी भव्य सैनिकी अड्डें तैयार हो रहे है। इन अड्डों का निर्माण बहुत जल्द पूरा हो जायेगा।’ रशिया द्वारा खडे किये जा रहें इन अड्डों में से ‘केप श्मिड्ट’ नामक सैनिकी अड्डा अमेरिका के अलास्का क्षेत्र की सरहद स्थित ‘पॉईंट ऑफ होप’ हिस्से से सिर्फ 320 मीलों के अंतर पर है। अमेरिकी न्यूज वेबसाईट ‘द इन्क्विझिटर न्यूज’ ने दावा किया है कि, ये अड्डें अमेरिका के खिलाफ सैनिकी प्रभुत्त्व प्राप्त करने के लिए तथा विश्वयुद्ध की तैयारी के लिए बनाये गये है।
रशिया के राष्ट्रप्रमुख व्लादिमिर पुतीन ने तीन साल पहले आर्क्टिक क्षेत्र की गतिविधियों को तेज करने का फैसला लिया था। उसके बाद रशिया ने रक्षा विभाग के आधुनिकीकरण का कार्यक्रम शुरु किया था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत नये सैनिकी अड्डों के निर्माण पर भर दिया गया। आर्क्टिक में सैनिकी अड्डें बनाने का कार्य साल 2013 में शुरु हो चुका था। इन अड्डों के निर्माण के साथ ही रशियन फौज द्वारा यहाँ व्यापक युद्ध अभ्यास का भी आयोजन किया गया था।
रशिया द्वारा सैनिकी गतिविधियों का तेज होना, अमेरिका तथा नाटो संगठन द्वारा यूरोप में चल रहें आक्रामक तैनाती का नतीजा माना जा रहा है। यूक्रेन में हुआ सत्ता परिवर्तन और उसके बाद शुरु हुए संघर्ष के चलते अमेरिका और नाटो ने ये कदम उठाये है। पश्चिमी देशों का दावा है कि वे रशिया की आक्रमकता के खिलाफ जवाबी कारवाई कर रहे है। लेकिन रशिया द्वारा इन प्रयासों पर कडी नाराजी जतायी गयी है। रशिया ने खुली धमकी दी है कि, जैसे को तैसा जवाब दिया जायेगा। आर्क्टिक पर सैनिकी अड्डों का निर्माण इसी प्रयास का भाग माना जा रहा है।
आर्क्टिक क्षेत्र के साथ ही रशिया ने प्रशांत महासागर स्थित कुरिल आयलैंड के हिस्से में भी रक्षा केंद्र खडा करने की घोषणा की है। कुरिल आयलैंड के हक के मसले पर जापान से विवाद शुरु होने के बावजूद यह फैसला लिया गया है। इससे दो देशों में पुन: तनाव बढने के संकेत दिये जाते है। आर्क्टिक और प्रशांत महासागर में सैनिकी अड्डें खडे होने के बाद, रशिया एशिया के चारो दिशाओं में सैनिकी तैनाती तथा रक्षा प्रभुत्व होनेवाले देश के रुप में सामने आ सकता है। यह घटना अमेरिका के साथ चीन के सामरिक वर्चस्व को भी चुनौती देनेवाली मानी जा रही है।
अमेरिकी वेबसाईट तथा ब्रिटन के अखबारों ने दावा किया है कि, रशिया द्वारा खडे किये जा रहें सैनिकी अड्डे, तृतीय विश्वयुद्ध की तैयारी है। अपने दावे का समर्थन करते हुए, रशिया द्वारा क्रीमिआ पर किया गया कब्जा तथा सीरिया में चल रहें हवाई हमलों का जिक्र किया गया है।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)