ब्रुसेल्स: पूर्व यूरोपीय देशों की सीमारेखा के पास सदस्य देशों के सैनिक और लष्करी सामग्री का आसानी से संचार करना मुमकिन हो, इसके लिए ‘मुक्त लष्करी क्षेत्र’ बनाने की योजना यूरोपीय महासंघ ने तैयार की है। यूरोपीय महासंघ की यह योजना रशिया की आक्रामकता को प्रत्युत्तर देने के लिए है, ऐसा दावा किया जा रहा है। रशिया ने इस पर टीका की है और इस वजह से नाटो की रशिया विरोधी भूमिका सामने आई है, ऐसा आरोप रशिया ने किया है।
नाटो की तरह महासंघ का संयुक्त लष्कर तैयार करने के लिए यूरोपीय महासंघ की जोरदार कोशिश शुरू है और फ़्रांस और जर्मनी ने इसके लिए पहल की थी। ऐसे में महासंघ ने अब ‘शेंजेन क्षेत्र’ में लष्करी तैनाती के संकेत दिए हैं। बुधवार को महासंघ ने प्रसिद्ध की योजना में, ‘पासपोर्ट मुक्त क्षेत्र’ के तौर पहचाने जानेवाले ‘शेंजेन ब्लॉक’ में बुनियादी ढांचे का विकास करने का सुझाव दिया गया है।
‘शेंजेन ब्लॉक’ के सभी हिस्सों का विकास नहीं हुआ है और कुछ देशों के सीमा इलाके में अभी भी बुनियादी ढांचा विकसित करने की आवश्यकता है, इसका महासंघ ने अपनी योजना में उल्लेख किया है। इन देशों में सडकों का विकास हुआ तो युद्ध के समय यूरोपीय देशों में तुरंत लष्कर की तैनाती करना आसान होगा, ऐसा दावा महासंघ ने किया है। ऐसा हुआ तो रशिया की सीमा के पास स्थित देशों में ‘मिलिट्री शेंजेन झोन’ अर्थात ‘मुक्त लष्करी क्षेत्र’ निर्माण होगा, ऐसी जानकारी महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी ने दी है।
महासंघ का यह मुक्त लष्करी क्षेत्र सन २०२५ तक तैयार होने वाली ‘यूरोपियन डिफेन्स यूनियन’ इस यूरोप की संयुक्त लष्कर की योजना के लिए सहायक साबित होगा। लेकिन उससे पहले यूरोप में तैनात ‘नाटो’ के लिए सदर क्षेत्र उपयुक्त साबित होने का दावा किया जाता है। रशिया की पश्चिम सीमा की लष्करी तैनाती को प्रत्युत्तर देने के लिए ‘नाटो’ के लष्कर को ऐसे मुक्त क्षेत्र की आवश्यकता होने का दावा नाटो के अधिकारी कर रहे हैं।
इस दौरान, महासंघ का ‘मुक्त लष्करी क्षेत्र’ मतलब नाटो की योजना का एक हिस्सा होने का आरोप रशिया के उपरक्षामंत्री ‘कर्नल जनरल अलेक्स्झांडर फोमिन’ ने किया है। ‘शेंजेन’ का विकास करके रशिया की सीमा के पास सेना तैनात करने के लिए ही यह योजना बनाई गई है, ऐसा आरोप कर्नल जनरल अलेक्स्झांडर फोमिन ने किया है। नाटो ने इसके पहले ही पोलैंड, रोमानिया, हंगेरी, बल्गेरिया, लिथुनिया, लातव्हिया और इस्टोनिया इन देशों में अपने लष्करी अड्डे प्रस्थापित किए हैं।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)