मॉस्को: तुर्की की राजधानी अंकारा में सीरिया की समस्या पर होने वाली चर्चा के लिए तुर्की और ईरान के साथ रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन भी मंगलवार को ईरान में दाखिल होने वाले हैं। सीरिया की समस्या शिखर पर है, ईरान का परमाणु कार्यक्रम और इस्रायल और पॅलेस्टाईन के बीच विवाद बढ़ रहा है, ऐसे में पुतिन के सहभाग वाली यह त्रिपक्षीय चर्चा दुनियाभर के जानकारों का ध्यान आकर्षित कर रही है। अमरिका और ब्रिटन के साथ प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ रशिया का राजनीतिक युद्ध भड़का गया है, ऐसे में तुर्की, ईरान और रशिया के बीच त्रिपक्षीय चर्चा ४ अप्रैल को शुरू होने वाली है। लेकिन उसके एक दिन पहले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के बीच द्विपक्षीय चर्चा संपन्न होने वाली है। खाड़ी और यूरोप में विस्फोटक परिस्थिति की पृष्ठभूमि पर रशिया और तुर्की के राष्ट्राध्यक्षों के बीच की यह चर्चा साथ ही उसके बाद सीरिया के बारे में होने वाली त्रिपक्षीय चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होती है।
सर्जेई स्क्रिपल इस भूतपूर्व रशियन जासूस पर हुए विषप्रयोग को लेकर ब्रिटन और अमरिका के साथ साथ पश्चिमी देशों का रशिया के साथ राजनीतिक युद्ध भड़का है। रशिया किसी भी समय ब्रिटन को निशाना बना सकता है, ऐसा इशारा ब्रिटन के विद्यमान और भूतपूर्व अधिकारी दे रहे हैं। ब्रिटन के रक्षामंत्री ने भी राजनीतिक युद्ध का रूपान्तर तीसरे विश्वयुद्ध में होगा, ऐसा इशारा दिया है।
रशिया राजनीतिक दांवपेचों के साथ साथ सामरिक स्तर की गतिविधियाँ भी तीव्र कर रहा है। पिछले कुछ हफ़्तों से तुर्की आक्रामकता में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है और तुर्की इस्रायल से लेकर फ़्रांस जैसे यूरोपीय देशों को खुली धमकी दे रहा है। सीरिया के मनजिब जैसे शहर में अमरिका की सेना तैनात होते हुए भी, इस जगह पर हमला करने की धमकी तुर्की ने दी थी। इस्लाम धर्मी देशों की एकजुट करके इस्रायल पर एक ही समय पर हमले करने की योजना तुर्की बना रहा है। तुर्की इस आक्रामकता के पीछे रशिया का मजबूत समर्थन है, ऐसा स्पष्ट दिखाई दे रहा है। मंगलवार को तुर्की को भेंट देने वाले पुतिन परमाणु योजना का भी उद्घाटन करने वाले हैं। यह बात दोनों देशों के बीच सहकार्य व्यापक और दृढ हों एके संकेत हैं।
रशिया और तुर्की के बीच सहकार्य में बढ़ोत्तरी हो रही है, ऐसे में ईरान इस सामरिक हिस्सेदारी में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एक ही समय पर सीरिया, इराक, येमेन और लेबेनॉन इन देशों में वर्चस्व प्राप्त किए ईरान की तरफ से रशिया और तुर्की को मिलने वाली सहायता सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा साबित हो सकता है। इन तीनों देशों ने सीरिया की समस्या पर एकजुट से अपनाई हुई भूमिका अमरिका और मित्र देशों के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। कुछ दिनों पहले ही अमरिका के सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्ति की घोषणा हुए जॉन बोल्टन ने रशिया का ही ‘एक्सिस ऑफ़ इविल’ अर्थात सैतानी मोर्चे में समावेश होने का दावा किया है।
इस पृष्ठभूमि पर सीरिया की समस्या पर रशिया, तुर्की और ईरान के राष्ट्रप्रमुखों की चर्चा आने वाले समय में नए रूपसे शुरू होने वाली अनपेक्षित घटनों की श्रृंखला का आरंभ साबित हो सकती है। इसका एहसास होने की वजह से जानकार रशिया, तुर्की और ईरान की इस त्रिपक्षीय चर्चा की ओर अत्यंत गंभीरता से देख रहे हैं।
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