नई दिल्ली – चीन अपने रक्षा दल के लिए बड़े तादात में खर्च कर रहा है। तथा रक्षा दल का आधुनिकीकरण करके उनके कमांडस् की पुनर्रचना कर रहा है। पिछले १० वर्षों में चीन के नौसेना में लगभग ८० युद्ध नौकाओं का समावेश हुआ है। पिछले २०० वर्ष में किसी भी देश के नौसेना का सामर्थ्य इतने जलद गती से नहीं बढ़ा है, ऐसा कहकर भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने चीन के बढ़ते सामर्थ का एहसास दिलाया है। नई दिल्ली में आयोजित किए रायसेना डॉयलॉग में नौसेना प्रमुख बोल रहे थे।
रायसेना डायलॉग में अमरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान के नौसेना के प्रमुख अधिकारी शामिल हुए थे और इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते सामर्थ्य और आक्रामता पर इस परिषद में गंभीर चर्चा हुई है। उसमें बोलते हुए भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने चीन के बढ़ते सामर्थ्य का एहसास दिलाने वाले दाखिले दिए है। उस समय हिंद महासागर क्षेत्र में चाचागिरी के विरोध में कार्रवाई करने के बहाने से २००८ वर्ष से चीनी नौसेना के लगभग ६ से ८ युद्धपोत हर क्षण तैनात होते हैं, इसकी तरफ नौसेना प्रमुख ने ध्यान केंद्रित किया है।
२ वर्षों पहले हिंद महासागर क्षेत्र में जिबौती ईस देश में चीन ने हमेशा के लिए अपने अड्डा निर्माण किया है, इसकी याद नौसेना प्रमुख लांबा ने दिलाई है। इस परिषद में शामिल हुए अमरिकन नौसेना के इंडो पैसिफिक कमांड के प्रमुख एडमिरल फिलिफ डेविडसन ने चीन के सागर क्षेत्र की गतिविधियां चिंताजनक होने का स्पष्ट मत प्रस्तुत किया है। चीन के वर्चस्ववादी भूमिका की वजह से अमरिका को भी इस सागरी क्षेत्र के बारे में अपनी भूमिका बदलनी पड़ रही है। अमरिका ने अपने पास भी कमांड का नाम बदलकर इंडो-पैसिफिक किया है। यह बदलाव अमरिका के बदले हुए राजनीतिक एवं सामरिक धारणाओं के संकेत दे रहा है, ऐसा स्पष्ट बयान उस समय एडमिरल डेविडसन ने दिया है।
इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अमरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों का सहयोग चीन को रोकने के लिए है? ऐसा प्रश्न परिषद में एडमिरल डेविडसन को पूछा गया था। उसे उत्तर देते हुए अमरिका ने इस क्षेत्र में देशों के सामने अमरिका अथवा चीन इन में से किसी एक का चुनाव करने का विकल्प रखा नहीं है, ऐसा खुलासा किया है। दूसरे शब्दों में चीन इस क्षेत्र में देशों के सामने स्वरूप का निर्णायक विकल्प रखने के बाद अमरीकन नौसेना कमांड प्रमुख ने सूचित की है।
दौरान इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीनी नौसेना के बढ़ते सामर्थ्य की वजह से निर्माण हुआ असंतुलन दूर करना अनिवार्य होने के संकेत जापान एवं ऑस्ट्रेलिया के नौसेना अधिकारियों ने दिए हैं। उस समय भारत इस क्षेत्र में अमरिका तथा अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है। उसके पीछे इंडो पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा एवं स्थिरता तथा अंतरराष्ट्रीय परिवहन के नियमों का पालन यह बातें होने की बात भारत के नौसेना प्रमुख ने स्पष्ट की है। फिलहाल इस सारी बातों को चीन से चुनौती मिल रही है तथा सीधा उल्लेख करते हुए एडमिरल लांबा इस संदर्भ में भारत की भूमिका स्पष्ट करते दिखाई दे रहे हैं।
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