रशिया की प्रमुख वृत्तसंस्थाओं पर ब्रिटेन के प्रतिबंध

रशिया की प्रमुख वृत्तसंस्थाओं पर ब्रिटेन के प्रतिबंध

लंदन/मास्को – ब्रिटेन में हो रही ‘डिफेन्ड मीडिया फ्रिडम’ परिषद में रशिया के प्रसारमाध्यमों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय ब्रिटीश सरकार ने किया है| रशिया की ‘आरटी’ और ‘स्पुटनिक’ यह प्रसारमाध्यम झुठी जानकारी देने में सक्रिय होने का आरोप करके यह प्रतिबंध लगाने का ऐलान ब्रिटेन के विदेश विभाग ने किया है| ब्रिटेन ने लगाए यह प्रतिबंध दो देशों में शुरू ‘इन्फोर्मेशन वॉरफेअर’ का हिस्सा समझा जा रहे है|

ब्रिटेन की राजधानी लंदन में १० और ११ जुलै के दिन ‘डिफेन्ड मीडिया फ्रिडम’ नाम से दो दिन विशेष परिषद का आयोजन किया गया है| ब्रिटेन और कनाडा इन दो देशों ने एक होकर इस परिषद का आयोजन किया है| इस परिषद में अलग अलग देश के ६० से अधिक मंत्री और करीबन एक हजार पत्रकार शामिल हो रहे है| प्रसारमाध्यमों की विश्‍वासार्हता बरकरार रखना और झुठी एवं गलत जानकारी देने की कोशिश रोकने के लिए एकता, यही इस परिषद का मुख्य कार्यक्रम होने की बात कही जा रही है|

परिषद के बारे में जानकारी देते समय ब्रिटेन के विदेश विभाग ने रशिया की प्रमुख प्रसारमाध्यम के तौर पर जाने जा रहे ‘आरटी’ और ‘स्पुटनिक’ पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया| रशिया के यह दोनों प्रसारमाध्यम झुठी और गलत जानकारी देने में आगे है, यह कहकर यह प्रतिबंध लगाने का निर्णय होने की बात कही जा रही है| साथ ही रशिया के अन्य माध्यमों के पत्रकारों को इस परिषद में शामिल होने की अनुमति दी गई है, यह भी ब्रिटेन के वर्णित विभाग ने कहा है|

ब्रिटेन में हो रहे अंतरराष्ट्रीय परिषद में इस तरह रशियन प्रसारमाध्यमों पर प्रतिबंध लगाने का यह पहला ही अवसर है| ब्रिटेन के इस निर्णय से रशिया और ब्रिटेन में पीछले कुछ वर्षों से शुरू ‘इन्फोर्मेशन वॉर’ तेज होने के संकेत प्राप्त हुए है| वर्ष २०१६ में हुई ब्रेक्जिट एवं पीछले वर्ष भूतपूर्व रशियन गुप्तहेर पर हुआ विष प्रयोग, यह दो घटना दो देशों में ‘इन्फोर्मेशन वॉरफेअर’ की अहम घटना समझी जा रही है|

ब्रिटेन यूरोपिय महासंघ से बाहर हो इसके लिए किए गए प्रचार में रशिया शामिल था, यह दावा ब्रिटीश माध्यम, विश्‍लेषक एवं नेता कर रहे थे| इसके बाद पीछले वर्ष सर्जेई स्क्रिपल इस भूतपूर्व रशियन जासूस पर हुए विष प्रयोग के बाद दोनों देशों में आरोप-प्रतिआरोप का दौर के माध्यम से जोरदार संघर्ष शुरू हुआ था| इस दौरान रशियन माध्यमों ने ब्रिटीश यंत्रणा एवं संपूर्ण घटना को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुमराह करनेवाली जानकारी फैलाइ, यह दावा ब्रिटीश सरकार एवं माध्यम करते है| ब्रिटेन के इस दावे पर अमरिका के साथ यूरोपिय देशों ने भी समर्थन दिया था|

इस पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन ने भी रशिया के विरोध में आक्रामक भूमिका अपना कर सायबर हमलें एवं अन्य माध्यम से ‘इन्फोर्मेशन वॉरफेअर’ शुरू करने की बात उजागर हुई थी| ब्रिटीश सरकार ने प्रसिद्ध किए अहवाल में रशिया से शुरू ‘इन्फोर्मेशन वॉरफेअर’ का स्पष्ट तौर पर जिक्र किया गया है और इसके विरोध में कडा जवाब देने की जरूरत होने की भूमिका रखी गई थी| ब्रिटेन की राजधानी में आयोजित की गई परिषद भी इसी का हिस्सा होने की बात कही जा रही है| इसी परिषद में रशिया के प्रमुख माध्यमों पर प्रतिबंध लगाकर ब्रिटेन ने रशिया के विरोध में ‘इन्फोर्मेशन वॉर’ के लिए तैयार होने के स्पष्ट संकेत दिए है|

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