तैपेई – तैवान की हवाईसीमा में घुसपैंठ करनेवाले चिनी लड़ाक़ू विमानों को भगा दिया गया है। मंगलवार दोपहर को यह घटना घटी होने की जानकारी तैवान के रक्षाविभाग ने दी। चीन के लड़ाक़ू विमानों ने तैवान की सीमा में घुसपैंठ करने के कुछ ही घंटें पहले अमरिकी नौसेना के ‘मिलिटरी ट्रान्सपोर्ट प्लेन’ ने तैवान की सीमा में से प्रवास किया था। इस कारण यह घटना विशेष रूप से ग़ौरतलब साबित हुई है। तैवान के मुद्दे पर फिलहाल अमरीका और चीन में प्रचंड तनाव होकर, चीन के पूर्व लष्करी अधिकारी एवं माध्यम तैवान पर हमले की माँग कर रहे हैं।
‘चीन के सुखोई-३० लड़ाक़ू विमानों ने मंगलवार को तैवान के ‘एअर डिफेन्स आयडेंटिफिकेशन झोन’ में घुसपैंठ करने की कोशिश की। शुरू शुरू में चीन के लड़ाक़ू विमानों को वॉर्निंग दी गयी। लेकिन उसके बाद भी उनकी आवाजाही क़ायम रहने के कारण तैवान की वायुसेना ने अपने लड़ाक़ू विमान, घुसपैंठ करनेवाले चिनी विमानों के पीछे भेजे। तैवान के लड़ाक़ू विमानों ने चिनी विमानों को तैवान की हवाई सीमा के बाहर खदेड़ दिया’, ऐसी जानकारी तैवान के रक्षा विभाग ने एक निवेदन के ज़रिये दी। उसी समय, तैवान की वायुसेना किसी भी प्रकार की घुसपैंठ का जवाब देने के लिए सुसज्जित है, ऐसी चेतावनी भी दी गयी है।
पिछले कुछ सालों में चीन के युद्धपोत और लड़ाक़ू विमानों ने तैवान की सीमा में लगातार घुसपैंठ की कोशिशें चलायीं हैं। इसके पीछे चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत की वर्चस्ववादी नीति यह प्रमुख कारण होकर, तैवान की चीनविरोधी सरकार और अमरीका की बढ़तीं गतिविधियाँ भी इसके लिए कारण बनीं दिखायीं दे रहीं हैं। कोरोनावायरस महामारी की पृष्ठभूमि पर, चीन में अलापा जानेवाला तैवानविरोधी सूर अधिक ही आक्रमक हुआ होकर, लष्करी अधिकारी और विश्लेषकों द्वारा तैवान पर हमला करने की माँग हो रही है।
पिछले महीने में चीन में हुई बैठक में, कम्युनिस्ट पार्टी के तीसरे नंबर के नेता होनेवाले ली झान्शू ने, ठेंठ तैवान पर हमला करने का प्रस्ताव रखा। उसी समय, १५ साल पहले लागू हुए विघटनवादविरोधी क़ानून के अनुसार लष्करी कार्रवाई करके तैवान पर हमला किया जा सकता है, ऐसा मशवरा चीन के रक्षादलप्रमुख ‘ली जाऊचेंग’ ने इस बैठक में दिया था। उससे पहले, पूरी दुनिया कोरोना का मुक़ाबला करने में उलझी होते समय, तैवान पर आक्रमण करने का सुनहरा मौका अपने पास होने का दावा चीन के पूर्व लष्करी अधिकारियों ने किया था। इन धमकियों की पृष्ठभूमि पर, चीन के लड़ाक़ू विमानों की घुसपैंठ की कोशिश ग़ौरतलब साबित होती है।
चीन के लड़ाक़ू विमानों ने की घुसपैंठ की कोशिश से पहले मंगलवार की सुबह अमरिकी नौसेना के ‘सी४०-ए क्लिपर’ इस ‘मिलिटरी ट्रान्सपोर्ट’ विमान ने भी तैवान की सीमा में से प्रवास किया होने की जानकारी तैवान के रक्षा विभाग ने दी है। इसके लिए अमरिकी विमान ने अनुमति ली थी, ऐसी जानकारी भी उन्होंने दी। अमरिकी नौसेना का यह विमान जापान के ओकिनावा अड्डे से आया था, ऐसा भी कहा जाता है। इससे पहले अमरिकी विमानों ने कभी भी तैवान की सीमा में से इस प्रकार प्रवास नहीं किया था, ऐसा दावा तैवानी सूत्रों से किया गया है।
अमरिकी नौसेना के विमान ने तैवान की सीमा में से किया प्रवास और कुछ घंटों बाद उसी इलाक़े में चीन के लड़ाक़ू विमानों ने की घुसपैंठ की कोशिश, इससे इस पूरे घटनाक्रम के संदर्भ का रहस्य और भी बढ़ा है। कुछ प्रसारमाध्यम और विश्लेषकों ने इसका संबंध, साऊथ चायना सी में अमरीका एवं चीन के बीच होनेवाले तनाव से जोड़ने की कोशिश की है। पिछले ही हफ़्ते अमरीका के ‘यूएसएस मस्टिन’ इस विनाशकपोत ने तैवान की ख़ाड़ी में गश्ती की थी। उसके बाद अब मिलिटरी प्लेन की उड़ान भरकर, तैवान में अपनीं गतिविधियाँ बढ़ायीं होने के स्पष्ट संकेत अमरीका ने दिए हैं।
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