उइगरों का वंशसंहार करानेवाले चीन को मानवाधिकार आयोग से निष्कासित करें – उइगर गुटों की संयुक्त राष्ट्रसंघ के पास माँग

उइगरों का वंशसंहार करानेवाले चीन को मानवाधिकार आयोग से निष्कासित करें – उइगर गुटों की संयुक्त राष्ट्रसंघ के पास माँग

न्यूयॉर्क – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के आदेश पर उइगरवंशीय तथा अन्य इस्लामधर्मीय गुटों का वंशसंहार शुरू होकर, संयुक्त राष्ट्रसंघ उसकी जाँच कर चीन को मानवाधिकार आयोग से निष्कासित करें, ऐसी माँग उइगरवंशियों की जागतिक संगठन ने की। उसी समय उइगरवंशियों पर होनेवाले अत्याचारों के विरोध में चीन को आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में घसीटनेवाली याचिका भी दायर की गयी है। इन घटनाओं के कारण उइगरों के मुद्दे पर चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत अधिक ही मुश्किल में फ़ँसने के संकेत मिल रहे हैं।

चीन द्वारा पिछले कुछ वर्षों से झिंजिआंग प्रांत के इस्लामधर्मिय उइगरवंशियों पर लगातार उत्पीड़न जारी है। सन २०१८ में संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रिपोर्ट में, चीन ने ११ लाख उइगरवंशियों को उत्पीड़न कैंपों में क़ैद करके रखा होने की धक्कादायक बात उजागर की गयी थी। इस रिपोर्ट के बाद पश्‍चिमी देशों ने उइगरों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करने की शुरुआत की है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और विदेशमंत्री माईक पॉम्पिओ ने चीन के उइगरवंशियों के मुद्दे पर लगातार आक्रमक भूमिका अपनाई है।

कुछ ही दिन पहले, चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत उइगरवंशियों को गुलाम मज़दूरों के रूप में इस्तेमाल कर रही होकर, अमरिकी कंपनियाँ चिनी हुक़ूमत के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करें, ऐसी चेतावनी अमेरिकी विदेश विभाग ने दी थी। अमरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भी एक बयान जारी करके, अमेरिकी कंपनियों को उइगरवंशियों के मुद्दे पर विशेष निर्देश दिए थे। अमरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने, उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन पर प्रतिबंध लगानेवाले ‘उइगर ह्यूमन राईट्स ॲक्ट’ पर हस्ताक्षर भी किये हैं।

अमरीका से मिल रहे इस समर्थन के बाद अब जागतिक स्तर पर उइगरों के लिए सक्रिय होनेवाले गुट भी आगे आये हैं। ‘कॅम्पेन फॉर उइगर्स’ इस गुट ने उइगरों के वंशसंहार के मुद्दे पर रिपोर्ट जारी करके संयुक्त राष्ट्रसंघ के पास जाँच की माँग की है। इस रिपोर्ट में चीन स्थित उइगरों के वंशसंहार के लिए चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग तथा कम्युनिस्ट पार्टी ज़िम्मेदार होने का आरोप किया गया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ इस वंशसंहार की जाँच करें और चीन को मानवाधिकार आयोग से निष्कासित करें, ऐसी आग्रही माँग ‘कॅम्पेन फॉर उइगर्स’ ने की।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ ही, अन्य जागतिक यंत्रणाओं के माध्यम से भी चीन को उइगरों के मुद्दे पर घेरने की तैयारी शुरू हुई है। ‘ईस्ट तुर्कीस्तान गव्हर्नमेंट इन एक्झाइल’ और ‘ईस्ट तुर्कीस्तान नॅशनल अवेकनिंग मुव्हमेंट’ ने चीन को आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में घसीटने के लिए याचिका दायर की है। चीन की हुक़ूमत अपने देश के उइगरों के साथ ही, कंबोडिया और ताजिकिस्तान जैसे देशों के उइगरवंशियों पर भी अत्याचार कर रही होने का आरोप याचिका में रखा गया है। चीन हालाँकि आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का सदस्य नहीं है, फिर भी अन्य देश सदस्य होने का हवाला देकर यह याचिका दायर की गयी है।

आंतर्राष्ट्रीय समुदाय कोरोना महामारी पर काबू पाने की जानतोड़ कोशिशें कर रहा होते समय, चीन अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आक्रमक गतिविधियाँ कर रहा है। लेकिन चीन की इन हरक़तों के कारण जागतिक स्तर पर चीन के ख़िलाफ़ असंतोष लगातार बढ़ रहा है। यह असंतोष व्यक्त करने के लिए विभिन्न देश और स्वयंसेवी संस्थाएँ आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की घेराबंदी करने की कोशिशें कर रहीं हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ ही, आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में उइगरों के मुद्दे पर शुरू कीं हुईं चीनविरोधी गतिविधियाँ उसीका भाग हैं।

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