कॅनबेरा/हॉंगकॉंग – ऑस्ट्रेलिया में वीज़ा लेकर रहनेवाले लगभग १० हज़ार हाँगकाँगवासियों के साथ ऑस्ट्रेलिया में नया जीवन शुरू करने के लिए आनेवाले हाँगकाँगस्थित अन्य नागरिकों का स्वागत होने की घोषणा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने की। चीन ने हाँगकाँग पर थोंपे हुए नये सुरक्षा क़ानून के बाद, उस शहर के नागरिकों का खुले आम स्वागत करनेवाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का चौथा देश है। इससे पहले ब्रिटन, तैवान और जापान ने भी हाँगकाँग के नागरिकों का स्वीकार करने की तैयारी दर्शायी थी। हाँगकाँग में वास्तव्य करनेवाले लोगों को नागरिकता प्रदान करने के साथ ही अन्य मार्गों से भी चीन पर दबाव बढ़ाने की कोशिशें शुरू हुईं हैं। इस मुद्दे पर ‘फाईव्ह आईज’ गुट के देशों की चर्चा हुई होने की जानकारी ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री ने दी।
पिछले हफ़्ते में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने, हाँगकाँग के लिए तैयार किये ‘नॅशनल सिक्युरिटी लॉ’ पर हस्ताक्षर किये थे। उसके बाद, १ जुलाई से इस क़ानून पर अमल भी शुरू हुआ है। इस क़ानून के अनुसार, चीन के विरोध में किया गया कोई भी कृत्य ग़ैरक़ानूनी और राष्ट्रविरोधी क़रार दिया होकर, ऐसा कृत्य करनेवालों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाने का प्रावधान है। नये क़ानून के तहत दायर होनेवाले मुक़दमें गोपनीय पद्धति से चलाने की अनुमति भी संबंधित यंत्रणाओं को दी गयी है। चीन समेत हाँगकाँग की यंत्रणाओं ने कई लोगों को नये क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया होकर, उनपर कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू हुई बतायी जाती है।
चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत द्वारा, हाँगकाँग क़ानून पर अड़ियल रहने के संकेत दिये जा रहे हैं कि तभी आंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने दबाव अधिक ही बढ़ाने के संकेत दिये हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने की हुई घोषणा उसीका भाग है। ‘हाँगकाँग पर चीन ने थोंपे हुए क़ानून के बाद उस क्षेत्र की मूलभूत स्थिति में बदलाव आये हैं। इन बदलावों के कारण ऑस्ट्रेलिया को भी मजबूरन अपने क़ानून में तथा स्थलांतरित विषयक नीति में सुधार करनी पड़ रहा है। यह ऑस्ट्रेलिया का अधिकार और उसी समय, ज़िम्मेदारी भी है’, इन शब्दों में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने नये निर्णय का समर्थन किया।
ऑस्ट्रेलिया में फिलहाल हाँगकाँग के तक़रीबन १० हज़ार नागरिक पढ़ाई तथा व्यवसाय करने के लिए अस्थायी वीज़ा लेकर वास्तव्य कर रहे हैं। इन सब नागरिकों के वीज़ा की अवधि पाच सालों से बढ़ायी जा रही है, ऐसा ऐलान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने किया। पाँच साल बाद ये हाँगकाँग के नागरिक ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, ऐसा भी प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा। इसके अलावा आनेवाले समय में ऑस्ट्रेलिया में नया व्यवसाय और नया जीवन शुरू करने की इच्छा होनेवाले हाँगकाँग के नागरिकों का भी स्वागत है, ऐसा मॉरिसन ने स्पष्ट किया। इससे पहले सन १९८९ में, चीन के तिआनानमेन स्क्वेअर में कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने की हुई कार्रवाई के बाद भी ऑस्ट्रेलिया ने चिनी नागरिकों के सामने ऑस्ट्रेलियन नागरिकता का प्रस्ताव रखा था।
‘फिलहाल कोरोना की महामारी शुरू रहने के कारण ऑस्ट्रेलिया में हाँगकाँगवासियों का ताँता नहीं लगेगा, यह मैं जानता हूँ। मग़र इसके बावजूद भी ऑस्ट्रेलिया में आना चाहनेवाले हाँगकाँगवासियों पर यदि चीन ने पाबंदी लगाई, तो वह बहुत ही दुर्भाग्यशाली बात होगी’, ऐसे शब्दों में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने चीन को फटकार लगाई। हाँगकाँग छोड़नेवालों के लिए नागरिकता का प्रस्ताव देते समय ही, इस शहर के साथ रहनेवाला प्रत्यार्पण समझौता रद किया जा रहा है, ऐसा भी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा।
ऑस्ट्रेलिया से यह कार्रवाई जारी है कि तभी आंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अन्य प्रमुख देशों ने भी हाँगकाँग के मुद्दे को लेकर चीन पर दबाव अधिक बढ़ाने के संकेत दिए हैं। अमरीका की पहल से स्थापन हुए ‘फाईव्ह आईज’ गुट की हाल ही में एक बैठक हुई होकर, उसमें हाँगकाँग के मुद्दे पर चर्चा हुई, ऐसी जानकारी ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री मारिस पेन ने दी। यह ख़बर सामने आ रही है कि तभी न्यूज़ीलंड ने भी हाँगकाँग के साथ होनेवाले संबंधों का पुनर्विचार किया जा रहा होने की बात घोषित की है। न्यूज़ीलंड ‘फाईव्ह आईज’ का सदस्य होने के कारण, ऑस्ट्रेलियन विदेशमंत्री ने किये बयान की पुष्टि हो रही है। दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर स्थापन हुए ‘फाईव्ह आईज’ इस गुट में अमरीका, ब्रिटन, ऑस्ट्रेलिया, कॅनडा तथा न्यूज़ीलंड का समावेश है।
ऑस्ट्रेलिया ने हाँगकाँग के संदर्भ में किये निर्णय पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया आयी है। ‘ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री ने की घोषणाएँ, यह आंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मूलभूत तत्त्वों का उल्लंघन है। इस निर्णय के विरोध में कार्रवाई का अधिकार चीन ने अपने पास रखा है। ऑस्ट्रेलिया को जल्द ही इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। चीन को दबाने की आंतर्राष्ट्रीय समुदाय की कोशिशें कभी भी सफल नहीं होंगे’, ऐसी धमकी चीन के विदेश मंत्रालय ने दी है।
चीन द्वारा यह धमकी आ रही है कि तभी जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों के बीच चीन की बढ़तीं हरक़तों के बारे में महत्त्वपूर्ण चर्चा होने की बात सामने आयी है। गुरुवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के बीच व्हिडिओ कॉन्फरन्सिंग के ज़रिये बातचीत हुई होने की जानकारी जापान के प्रवक्ता ने दी। इसमें साऊथ चायना सी समेत पॅसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती मग़रूरी, हाँगकाँग तथा दो देशों में सामरिक सहयोग इन मुद्दों का समावेश था, ऐसा सूत्रों द्वारा बताया गया।
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