बीजिंग/वॉशिंग्टन – साउथ चायना सी में देखें जा रहें तनाव की पृष्ठभूमि पर, चीन या अमरीका कोई भी पीछे हटने की स्थिति में नही हैं और इस क्षेत्र में आगे की गतिविधियाँ अमरीका-चीन संघर्ष में निर्णायक चरण साबित होगा, यह दावा विश्लेषकों ने किया है। अमरीका ने, साउथ चायना सी पर चीन ने किए सभी दावें ठुकराकर अपने विमान वाहक युद्धपोत इस क्षेत्र में तैनात किए हैं। वहीं, अमरीका की नीति उकसानेवाली है और इस वज़ह से इस क्षेत्र में संघर्ष भड़क सकता हैं, यह चेतावनी चीन ने दी है। दोनों देशों का ऐसे आक्रामक पैंतरें, साउथ चायना सी के मुद्दे पर बना हुआ तनाव, युद्ध की दहलीज़ तक जा पहुँचने के संकेत देनेवाले साबित होते हैं।
अमरीका ने पिछले हफ़्ते में ही, साउथ चायना सी के बारे में अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए, चीन के विरोध में संघर्ष करने की अपनी भूमिका का खुलेआम ऐलान किया था। इस क्षेत्र के अन्य देशों के इलाक़ें चीन ने हथियाने का आरोप रखकर, ऐसें देशों की रक्षा के लिए अमरीका ड़टकर खड़ी रहेगी, यह चेतावनी अमरीका ने दी थी। अमरिका की इस आक्रामक भूमिका के बाद भी चीन ने पीछे हटने से इन्कार किया होकर, उल्टा अमरीका ने ही इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाया है, यह आरोप किया। साथ ही, अमरीका की दखलअंदाज़ी पर प्रत्युत्तर देने के लिए चीन तैयार है, ऐसा डटकर कहा। दोनों देशों में जारी जुबानी मुठभेड़ों की तीव्रता पिछले कुछ महीनों में बढ़ी है। लेकिन, फिर भी अब साउथ चायना सी के मसले का तनाव उससे भी आगे गया होने का दावा विश्लेषक कर रहे हैं।
‘साउथ चायना सी के मसले पर चीन पीछे हटें, इसलिए अमरीका सभी विकल्पों को टटोलकर देख रही है। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा। अपनी योजना के अनुसार चीन पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करेगा। कोई भी देश अपनी भूमिका से दूर नहीं हटेगा। यह संघर्ष की स्थिति नज़दीकी समय में ख़त्म होगी, ऐसें कोई भी आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं, इन शब्दों में ऑस्ट्रेलिया के ‘लॉवी इन्स्टिट्युट’ के विशेषज्ञ रिचर्ड मॅक्ग्रेगर ने यह चेतावनी दी है कि साउथ चायना सी में ज़ल्द ही अमरीका और चीन के बीच सशस्त्र संघर्ष शुरू होने की संभावना है। सिंगापुर के सुरक्षा विषयक विशेषज्ञ अलेक्झांडर नील ने भी इसका समर्थन किया।
चीन ने साउथ चायना सी में लष्करी अड्डे एवं आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया है। इस क्षेत्र के हर एक हिस्से में चीन अपना अस्तित्व दिखा रहा है। छोटे द्विपों पर सुविधाओं का निर्माण करके तैनाती बढ़ाने के पीछे एक तय उद्देश्य है। साउथ चायना सी यह सिर्फ़ अपना क्षेत्र है, यह दिखाने के लिए चीन ने अगला चरण शुरू भी किया है। ऐसें में, चीन ने नये क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की कोशिश की, तो अमरीका उसे चुनौती दे सकती है, इन शब्दों में अलेक्झांडर नील ने नये संघर्ष की संभावना जताई। ब्रिटेन के भूतपूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लॉर्ड रिकेटस् ने भी, हाल ही में जारी की एक रिपोर्ट में, साउथ चायना सी क्षेत्र में अमरीका और चीन के बीच प्रत्यक्ष संघर्ष भड़क सकता है, यह दावा किया था।
विश्लेषक इस संघर्ष के दावे कर रहे हैं कि तभी साउथ चायना सी में गतिविधियाँ तेज़ हुई हैं। अमरीका ने घोषित की हुई आक्रामक नीति और इसके साथ ही अपने दो विमान वाहक युद्धपोतों की इस क्षेत्र में की हुई तैनाती ध्यान में रखकर, चीन ने भी अपने कदम उठाने शुरू किये हैं। अमरिकी युद्धपोतों की तैनाती हो रही थी, उस समय चीन ने साउथ चायना सी के विवादास्पद लष्करी अड्डों पर लड़ाकू ‘जे-११बी’ विमान तैनात किए हैं। साथ ही, शनिवार के दिन चीन ने, ‘साउथ चायना सी’ क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए ‘शियान-६’ यह सायंटिफिक रिसर्च व्हेसल कार्यरत होने की जानकारी सार्वजनिक की।
इसी बीच, साउथ चायना सी में चीन के साथ विवाद होनेवाले एशियाई देशों ने भी अपनी भूमिका और भी आक्रामक करने के संकेत दिए हैं। आग्नेय एशियाई देशों का प्रभावी गुट होनेवाले ‘आसियान’ ने, अमरीका की साउथ चायना सी संबधित भूमिका का समर्थन करनेवाला निवेदन जारी किया है। चीन के गैरकानुनी दावे ठुकराकर आंतर्राष्ट्रीय नियमों और निर्णयों का समर्थन करने की अमरीका की नीति अहम साबित होती है, यह बात ‘आसियान’ ने अपने निवेदन में कही है। साथ ही, ‘आसियान’ का सदस्य होनेवाले इंडोनेशिया ने, साउथ चायना सी क्षेत्र में ज़ल्द ही नौसेना का युद्धाभ्यास करने का ऐलान किया है।
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