स्टॉकहोम – वैश्विक रक्षा खर्च में पिछले साल कुल ३.७ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और यह राशि २.२४ ट्रिलियन डॉलर्स तक पहुंची हैं। हमेशा की तरह अमरीका, चीन और रशिया यह देश सबसे अधिक रक्षा खर्च करने में आगे हैं। लेकिन, शीत युद्ध के बाद पहली बार यूरोपिय देशों के रक्षा खर्च में बढ़ोतरी देखी जाने का बयान ‘स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इन्स्टीट्यूट’ (सिप्री) ने अपनी नई रपट में किया है।
लगातार आठवें वर्ष वैश्विर रक्षा खर्च में बढ़ोतरी होने की बात सिप्री ने दर्ज़ की है। लेकिन पहले की तुलना में वर्ष २०२२ में वैश्विक रक्षा खर्च में हुई बढ़ोतरी ध्यान आकर्षित करके चिंता बढ़ा रही हैं, ऐसे संकेत सिप्री ने दिए हैं। उम्मीद के अनुसार इस रक्षा खर्च में अमरीका का योगदान ३९ प्रतिशत हैं और इस वर्ष ने पिछले साल ८७७ अरब डॉलर्स खर्च किए हैं। लेकिन, अमरीका के रक्षा खर्च में सिर्फ ०.७ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई हैं। वर्ष १९८१ के बाद अमरीका को पहली बार मुद्रास्फीति का मुकाबला करना पड़ रहा हैं और इसका असर रक्षा खर्च पर होने का दावा सिप्री ने किया।
इसकी तुलना में चीन के रक्षा खर्च में ४.२ प्रतिशत बढ़ोतरी दिखाई पड़ी है और इस देने ने रक्षा हेतू २९२ अरब डॉलर्स खर्च किए हैं। अमरीका और चीन की तुलना में सबसे अधिक सैन्य खर्च करने में तिसरे स्थान पर रही रशिया के रक्षा खर्च में ९.२ प्रतिशत भारी बढ़ोतरी देखी गई। इस दौरान शीत युद्ध के बाद पहली बार यूरोपिय देशों के रक्षा खर्च में १२ प्रतिशत बढ़ोतरी होने की बात सिप्री ने दर्ज़ की है। वर्ष १९८९ में बर्लिन की दिवार गिराई जाने के बाद यूरोप के रक्षा खर्च में यह बढ़ोतरी होती देखी गई है, ऐसा विश्लेषकों का कहना हैं।
यूरोप के रक्षा खर्च में हुई इस बढ़ोतरी के लिए रशिया-यूक्रेन युद्ध ज़िम्मेदार होने का बयान सिप्री ने अपनी रपट में किया है। यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपिय देशों ने अपने रक्षा खर्च बढ़ाया, ऐसा दावा सिप्री ने किया। इस बीच सिर्फ यूक्रेन के रक्षा खर्च में सात गुना बढ़ोतरी होने का दावा इस रपट में किया गया है।
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