जागतिक अर्थव्यवस्था पर २५० ट्रिलियन डॉलर्स कर्ज का भार – ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फायनान्स’ की चेतावनी

जागतिक अर्थव्यवस्था पर २५० ट्रिलियन डॉलर्स कर्ज का भार – ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फायनान्स’ की चेतावनी

वॉशिंगटन – जागतिक अर्थव्यवस्था पर बने कर्ज का भार २५० ट्रिलियन डॉलर्स (२५० लाख करोड डॉलर्स) तक जा पहुंचा है, इस ओर ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फायनान्स’ इस अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था ने ध्यान आकर्षित किया है। कर्ज के इस बढते भार के लिए अमरिका और चीन यह दुनिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्था जिम्मेदार होने का दावा भी इस वित्तसंस्था ने किया है। साथ ही लगातार बढ रहे इस कर्ज का भार चिंता का विषय होने की बात भी निवेषक एवं आर्थिक विशेषज्ञों ने व्यक्त की है और इस कर्ज के भार के निचे दबकर जागतिक अर्थव्यवस्था गिर सकती है, यह डर भी व्यक्त किया गया है।

‘इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फायनान्स’ ने हाल ही में ‘ग्लोबल डेब्ट मॉनिटर’ नाम का रपट प्रसिद्ध किया है और इसमें जागतिक अर्थव्यवस्था में बढ रहे कर्ज के संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। पिछले वर्ष के आखरी महीनों में २४० ट्रिलियन डॉलर्स का स्तर लांघने के बाद इस कर्ज के भार ने पहले छह महीनों में ही २५० ट्रिलियन डॉलर्स का स्तर लांघ दिया है। जागतिक अर्थव्यवस्था का आकार (जीडीपी) ध्यान में लिए तो जागतिक कर्ज का प्रमाण जीडीपी से ३२० प्रतिशत हुआ है। इसी में उभरती अर्थव्यवस्था के तौर पर जाने जा रहे देशों पर बने कर्ज की मात्रा इन देशों की कुल ‘जीडीपी’ की तुलना में २२० प्रतिशत है।

जागतिक अर्थव्यवस्था के प्रमुख देशों का विचार करे तो कुल कर्ज में से ६० प्रतिशत कर्ज अमरिका और चीन इन दो प्रमुख देशों के हिस्से में है। अमरिकी अर्थव्यवस्था पर कर्ज का कुल भार ११० ट्रिलियन डॉलर्स से भी अधिक है और चीन पर यही भार ४० ट्रिलियन डॉलर्स से भी ज्यादा है। अलग अलग क्षेत्रों में बांटे गए कर्ज की जानकारी देते समय ‘गैरवित्तीय’ (नॉन फायनान्शिअल) कंपनियों पर बने कर्ज का भार सबसे ज्यादा होने की बात कही गई है। ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फायनान्स’ ने दिए आंकडों के अनुसार ऐसी कंपनियों पर ७५ ट्रिलियन डॉलर्स से भी अधिक कर्ज का भार है।

इसके पीछे सरकारी कर्ज ७० ट्रिलियन डॉलर्स तक बढ चुका है। इन कर्ज की मात्रा लगातार बढ रही है। पीछले छह महीनों में इटली, ब्राजिल, दक्षिण अफ्रिका, अर्जेंटिना और ग्रीस जैसे देशों में सरकारी कर्ज की मात्रा काफी तेजी से बढने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बढ रहे कर्ज के भार के पिछले प्रमुख केंद्रीय बैंक से लगातार कम हो रहे ब्याजदर एवं सरकार बांड यह दो प्रमुख कारण होने की बात इस रपट में रेखांकित की गई है।

 

वर्ष २०१९ के अंत तक जागतिक अर्थव्यवस्था पर बना कर्ज का भार २५५ ट्रिलियन तक जा पहुंच सकता है, यह अंदाजा भी ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फायनान्स’ ने व्यक्त किया है। साथ ही निवेषक और आर्थिक विशेषज्ञों ने इस कर्ज संबंधी व्यक्त की हुई चिंता की ओर भी इस रपट में ध्यान आकर्षित किया गया है। कर्ज के इस विशाल भार के निचे दबकर जागतिक अर्थव्यवस्था गिर सकती है, यह डर भी आर्थिक विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे है। पिछले महीने में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी कर्ज के मुद्दे पर गंभीर इशारा दिया था। फिलहाल अर्थव्यवस्था में मंदी का माहौल बना है और यह स्थिति ज्यादा समय कायम रही तो निजी क्षेत्र की कंपनियों ने लिए कर्ज में से १९ ट्रिलियन डॉलर्स का कर्ज ‘डूबंत कर्ज’ साबित हो सकता है, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने दिया था।

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