‘हाँगकाँग ऑटोनॉमी ॲक्ट’ मंज़ूर करके अमरिकी संसद का चीन को झटका

‘हाँगकाँग ऑटोनॉमी ॲक्ट’ मंज़ूर करके अमरिकी संसद का चीन को झटका

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन ने थोंपे हुए हाँगकाँग क़ानून के विरोध में अमरीका ने कार्रवाई शुरू की होकर, गुरुवार को अमरीका की संसद में ‘हाँगकाँग ऑटोनॉमी ॲक्ट’ को मंज़ुरी दी गयी। युरोपीय महासंघ ने हाँगकाँग के मुद्दे पर अगले हफ़्ते विदेशमंत्रियों की बैठक बुलायी होकर, चीन के साथ होनेवाली बैठक में भी हाँगकाँग की स्वायत्तता का मुद्दा उपस्थित किया जायेगा, ऐसा घोषित किया। हाँगकाँग मुद्दे पर जर्मनी से भी तीव्र प्रतिक्रिया आयी होकर, चीन के निर्णय के कारण युरोप-चीन संबंधों पर असर होगा, ऐसी चेतावनी विदेशमंत्री हैको मास ने दी। आंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा शुरू की गयीं इन गतिविधियों के चीन ने प्रत्युत्तर दिया होकर, हाँगकाँग में विदेशी हस्तक्षेप की कोशिशें बर्दाश्त नहीं कीं जायेंगी, ऐसा डटकर कहा है।

चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने थोंपे हाँगकाँग सुरक्षा क़ानून पर बुधवार से अमल शुरू हुआ। नये क़ानून के तहत, हाँगकाँग में सक्रिय हुई ‘चायना सिक्युरिटी एजन्सी’ ने १० लोगों को ग़िरफ़्तार किया है। हाँगकाँग की स्वतंत्रता अथवा मुक्ति के संदर्भ में दी जानेवाली कोई भी घोषणा इस नये क़ानून के तहत अपराध माना जायेगा, ऐसा भी घोषित किया गया है। हॉंगकॉंग में लागू किये गए इस नये क़ानून को दुनिया के लगभग ७० देशों ने समर्थन दिया होने का दावा भी चिनी माध्यमों द्वारा किया गया है।

लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ समेत दुनिया के प्रमुख देशों ने, चीन ने थोंपे इस नये क़ानून के ख़िलाफ़ गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। इस क़ानून की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने से पहले ही, चीन की यंत्रणाओं ने हाँगकाँग में शुरू की हुई कार्रवाई पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की मानवाधिकार आयोग ने तीव्र चिंता ज़ाहिर की। इस क़ानून के प्रावधान अस्पष्ट होने के कारण, उसके तहत होनेवाली कार्रवाई, मानवाधिकार, अभिव्यक्तीस्वतंत्रता तथा मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करनेवाली साबित होगी, ऐसी आलोचना आयोग के प्रवक्ता रुपर्ट कोल्व्हिल ने की।

हाँगकाँग मुद्दे पर चीन के विरोध में शुरू हुई कार्रवाई में अमरीका ने पहल की है। गुरुवार को अमरीका की संसद में ‘हाँगकाँग ऑटोनॉमी ॲक्ट’ एकमत से मंज़ूर किया गया। इस क़ानून के अनुसार, हाँगकाँग की स्वायत्तता छिनने में सहभागी होनेवाल्रे चिनी अधिकारी, नेता तथा हाँगकाँगस्थित अधिकारी इनपर पाबंदी लगाई जायेगी। उसी समय, हाँगकाँग में चिनी हुक़ूमत से सहयोग करनेवाले बैंकों पर भी कार्रवाई की जानेवाली है। हाँगकाँग को दिया गया ‘स्पेशल स्टेटस’ रद करने की प्रक्रिया इससे पहले ही शुरू करके अमरीका ने चीन को झटका दिया ही है।

अमरीका के बाद युरोपीय महासंघ ने भी चीन के विरोध में कार्रवाई के संकेत दिए हैं। हाँगकाँग के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अगले हफ़्ते युरोपीय महासंघ के विदेशमंत्रियों की बैठक बुलायी गयी है। नज़दीकी भविष्य में चीन के साथ होनेवालीं बैठकों में भी हाँगकाँग का मुद्दा उपस्थित किया जायेगा, ऐसी जानकारी महासंघ के अधिकारियों ने साझा की। युरोपीय महासंघ का प्रमुख सदस्य देश होनेवाले जर्मनी में इसपर तीव्र प्रतिक्रिया उठी है।

‘हाँगकाँग सुरक्षा क़ानून को लेकर शीघ्रता से अत्यधिक कड़ी भूमिका अपनाना युरोपीय महासंघ के लिए आवश्यक है। हाँगकाँग में जो कुछ हो रहा है, वह बहुत चिंताजनक और परेशानी बढ़ानेवाला है। हाँगकाँग की स्वायत्तता ख़त्म की जा रही है। इसके ठेंठ परिणाम चीन और युरोपीय महासंघ के बीच के संबंधों पर होनेवाले हैं’, ऐसा जर्मनी के विदेशमंत्री हैको मास ने जताया। अगले छ: महीनों के लिए युरोपिय महासंघ का अध्यक्षपद जर्मनी के पास होने के कारण, हाँगकाँग मुद्दे पर जर्मन विदेशमंत्री का बयान महत्त्वपूर्ण साबित होता है।

अमरीका और युरोप समेत अन्य देशों ने हाँगकाँग क़ानून को लेकर शुरू की कार्रवाई के विरोध में चीन ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है। ‘अमरीका ने मंज़ूर किया हुआ क़ानून, चीन के अंदरूनी मामलों में दख़लअन्दाज़ी होकर, आंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करनेवाला है। इसके बाद भी यदि अमरीका ऐसी ही कार्रवाई जारी रखें, तो चीन सभी उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल करके प्रत्युत्तर देगा’, ऐसी धमकी चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने दी। चीन के विरोध में गतिविधियाँ शुरू करनेवालें युरोपीय महासंघ के साथ ब्रिटन और ऑस्ट्रेलिया इन देशों को भी परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसा विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने डटकर कहा। चीन की इस चेतावनी के बाद, हाँगकाँग क़ानून के मुद्दे को लेकर आंतर्राष्ट्रीय समुदाय तथा चीन के बीच संघर्ष और भी तीव्र होने के संकेत मिल रहे हैं।

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