चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत की हरक़तें अमरीका के लिए सबसे बड़ा ख़तरा – एफबीआय प्रमुख की चेतावनी

चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत की हरक़तें अमरीका के लिए सबसे बड़ा ख़तरा – एफबीआय प्रमुख की चेतावनी

वॉशिंग्टन – ‘चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत, किसी भी हालत में अमरीका को झटका देकर दुनिया की एकमात्र महाशक्ति बनना चाहती है। उसके लिए चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत द्वारा अमरीका के हर एक क्षेत्र में कारनामें जारी होकर, ये कारनामें अमरीका के लिए सबसे बड़ा दीर्घकालीन ख़तरा साबित होते हैं’, ऐसे शब्दों में अमरिकी जाँच यंत्रणा ‘एफबीआय’ के प्रमुख ख्रिस्तोफर रे ने चीन के बढ़ते ख़तरे का एहसास करा दिया। पिछले ही महीने में, अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के नेतृत्व में अमरीका को, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की हरक़तें तथा ख़तरे का एहसास होने की शुरुआत हुई है, ऐसा जताया था।

दुनियाभर में लाखों लोगों की जानें लेनेवाली कोरोना महामारी के पीछे चीन ही सूत्रधार होने का आरोप करके अमरीका ने चीन के ख़िलाफ़ आक्रमक राजनीतिक संघर्ष छेड़ा है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इसके लिए पहल की होकर, दुनिया के अन्य देशों को भी कोरोना सहित अन्य चिनी ख़तरों से अवगत कराया जा रहा है। अमरीका में चीन की हरक़तों को रोकने के लिए प्रशासन ने कई महत्त्वपूर्ण और बड़े निर्णय किए होकर, अमरिकी जनता को चीन की साजिश के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एक प्रचार मुहिम शुरू की गयी है। उसीके एक हिस्से के रूप में, ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी अमरीका के विभिन्न भागों में जाकर चीन के संदर्भ में अपनी भूमिका प्रस्तुत कर रहे हैं। एफबीआई प्रमुख क्रिस्टोफर रे ने ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ इस अभ्यासगुट के कार्यक्रम में किया बयान उसी का हिस्सा है।

अमरीका हो रहनेवाले चीन के ख़तरे के बारे में बात करते समय, यह ख़तरा चीन की जनता से ना होकर, अमरीका में हो रहें कारनामों के पीछे चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत तथा कम्युनिस्ट पार्टी है, ऐसा एफबीआय प्रमुख ने स्पष्ट किया। वहीं, चीन से होनेवाला ख़तरा यह केवल जासूसी के कारनामें, सरकारी समस्याएँ अथवा बड़ी कंपनियों तक सीमित ना होकर, उसका ताल्लुक़ ठेंठ अमरिकी जनता के जीवन से है, इन शब्दों में ख्रिस्तोफर रे ने, चीन से होनेवाले ख़तरे की व्याप्ति बहुत ही बड़ी है, यह जताया। इसके बारे में अधिक जानकारी देते समय उन्होंने, सन २०१७ में चिनी हॅकर्स ने अमरीका की ‘इक्विफॅक्स’ इस कंपनी पर किया सायबरहमला और कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर जारी रहनेवालीं हरक़तों की ज़िक्र किया।

एफबीआय के प्रमुख ख्रिस्तोफर रे ने, चीन के ख़तरे पर ग़ौर फ़रमाते समय तीन बातों पर ज़ोर दिया। उसमें चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत की ‘दुनिया की एकमात्र महाशक्ति बनने की’ महत्त्वाकांक्षा, उसके लिए सायबरहमलों से लेकर छात्रों तक किसी भी बात का इस्तेमाल करने की क्षमता और अमरीका तथा चीन की मूलभूत व्यवस्थाओं में होनेवाला फ़र्क़ इनका समावेश है। चीन द्वारा अमरीका में जारी क़ारनामों की व्याप्ति स्पष्ट करते हुए उन्होंने एफबीआय के पास होनेवाले मामलों की जानकारी दी।

‘अमरीका की प्रमुख जाँचयंत्रणा होनेवाली एफबीआय के पास हर १० घंटों में चीन के क़ारनामों से संबंधित मामलें दर्ज़ हो रहे हैं। फिलहाल एफबीआय के पास चीन से संबंधित लगभग दो हज़ार से अधिक मामलें प्रलंबित होकर, उनमें लगातार वृद्धि हो रही है’, ऐसा निदेशक ख्रिस्तोफर रे ने कहा। कम्युनिस्ट हुक़ूमत की हरक़तों की जानकारी देते समय उन्होंने ‘थाउजंड टॅलेंटस प्रोग्राम’ तथा ‘ऑपरेशन फॉक्सहंट’ का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया।

‘थाउजंड टॅलेंट प्रोग्राम’ के ज़रिये चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत, हज़ारो चिनी छात्रों तथा संशोधकों को अमरीका में पढ़ाई के लिए भेजती है। अमरीका में संवेदनशील क्षेत्रों में जारी संशोधन की जानकारी चीन सरकार को देना इन छात्रों तथा संशोधकों के लिए बंधनकारक किया गया है। ‘ऑपरेशन फॉक्सहंट’ के जरिये चीन के सत्ताधारी, विदेश में निवास्ज़ कर रहें अपने विरोधकों तथा आलोचकों को लक्ष्य करते हैं, ऐसा एफबीआय के प्रमुख ने कहा। इस समय ख्रिस्तोफर रे ने, हुवेई जैसी चिनी कंपनी से अमरिकी जनता को होनेवाला ख़तरा और उसके विरोध में की गई कार्रवाई इनका महत्त्व भी रेखांकित किया।

कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर, अमरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सहकर्मी लगातार चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूत को लक्ष्य कर रहे हैं। दो दिन पहले, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने खुद, चीन के कारण ही अमरीका और दुनिया का भारी नुकसान हुआ होने का आरोप लगाया था। उसके बाद अब एफबीआई के प्रमुख ने एक बार फिर चीन के बढ़ते खतरे का स्पष्ट शब्दों में एहसास कराया है। ट्रम्प प्रशासन द्वारा चीन पर लगातार किये जा रहे ये हमलें, अमरीका और चीन के बीच राजनीतिक युद्ध दिनबदिन अधिक तीव्र हो रहा होने के संकेत दे रहे हैं।

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