वॉशिंगटन: प्रवासी विमान से २५ गुना गति से यात्रा करने वाले हायपरसौनिक मिसाइल अगर शत्रु देशों के अथवा आतंकी संगठन के हाथ लगे तो तीसरा महायुद्ध भड़क उठेगा, ऐसा इशारा अमरीका के अभ्यास गट ने दिया है। तथा तीसरे महायुद्ध को अगर टालना है, तो ऐसे हायपरसौनिक मिसाइल का निर्माण करने वाले अमरीका, रशिया और चीन ने इन मिसाइलों की बिक्री अन्य देशों को ना करें, ऐसा आवाहन भी इस अभ्यास गट ने किया है।
अमरीका, रशिया और चीन यह तीन अग्रणी देश हायपरसौनिक मिसाइल निर्माण के आखिरी स्तर मे पहुंचे है। ध्वनि की गति से ५ से १० गुना गति से अथवा प्रति घंटा २५ हजार किलोमीटर गति से यात्रा करने वाला यह मिसाइल अमरीका, रशिया और चीन के सामर्थ्य मे बढ़त करने का दावा किया जा रहा है। शत्रु देश के मिसाइल कुछ ही सेकंड मे हवा मे नष्ट करने की क्षमता इन मिसाइलों मे है।
अमरीका के बोइंग कंपनी ने निर्माण किए ‘एक्स-५१ वेवराइडर्स’ तथा ‘डार्पा’ ने विकसित किए ‘फैल्कन’ इन मिसाइलों के प्रत्येकी २ परीक्षण हुए है। केएच-९० और केएच-८० इन २ हायपरसौनिक मिसाइल के परीक्षण के बाद रशिया ने ‘झिरकौन’ यह नया हायपरसौनिक मिसाइल विकसित किया है और रशिया इस मिसाइल को सेवा मे दाखिल करने का जोरदार प्रयत्न कर रहा है। चीन ने मिसाइल भेदी यंत्रणा को फंसानेवाले अमरीका के विमानवाहक युद्ध नौकाओं को लक्ष्य करने की क्षमता होने वाले ‘बीएफ-झेडएफ’ हायपरसौनिक मिसाइल का निर्माण शुरू किया है।
आने वाले वर्ष मे यह तीनों देश हायपरसौनिक मिसाइलों से सज्ज होंगे, ऐसा अंदाजा व्यक्त किया जा रहा है। पर ‘रैंड कॉरपोरेशन’ इस अमरिकी अभ्यास गट ने अपने अहवाल मे प्रस्तुत किए हायपरसौनिक मिसाइल से होनेवाले खतरे को स्पष्ट किये है। सिर्फ ६ मिनटों मे हजारों किलोमीटर के अंतर पर हमला करने की क्षमता होनेवाली यह मिसाइल, किसी भी युद्ध की दिशा बदल सकते है, ऐसा दावा इस अभ्यास गट ने किया है। इसकी वजह से यह हायपरसौनिक मिसाइल प्रत्येक देश के लिए खतरनाक होने का इशारा इस अभ्यास गटने दिया है।
यह मिसाइल अगर हमलावर देशों के हाथ लगे तो किसी भी देश की हवाई सुरक्षा यंत्रणा को खतरा हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सभी देशों की सुरक्षा खतरे मे आकर कुछ क्षेत्रों मे अस्थिरता निर्माण हो सकती है। इस अस्थिरता की वजह से संघर्ष का रूपांतर महायुद्ध मे हो सकता है, ऐसा इशारा अमरीकन अभ्यास गटने दिया है। इसके लिए इस अभ्यास गट ने इरान-इस्राइल और उत्तर कोरिया-जापान के बीच बढ़ते तनाव का उदाहरण दिया है। इन दोनों क्षेत्रों मे बना तनाव हायपरसौनिक मिसाइलों की वजह से युद्ध मे परिवर्तित हो सकता है, ऐसी चिंता इस अभ्यास गटने व्यक्त की है।
यह खतरा ध्यान मे रखकर अमरीका, रशिया और चीन इन मिसाइलों की बिक्री अन्य देशों या संगठनों को न करें ऐसा अभ्यास गट ने सुझाया है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होकर, हायपरसौनिक मिसाइलों के निर्माण के लिए आवश्यक साहित्य एवं तंत्रज्ञान भी खतरनाक देशों अथवा संगठन के हाथ न लगे इसके लिए ध्यान रखना जरूरी है, ऐसा आवाहन अमेरिकी अभ्यास गट ने किया है।
दौरान अमरीका, रशिया, चीन के साथ भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और युरोपीय महासंघ भी हायपरसौनिक मिसाइल निर्माण की दौड़ मे उतरने की चर्चा, इस संदर्भ मे प्रसिद्ध किए खबरों मे की जा रही है।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)