दमास्कस: सीरिया में संघर्ष शुरू होकर ७ साल बीत गए हैं। इस सात साल की अवधि में सीरिया के गृहयुद्ध में मारे जाने वालों की संख्या ५ लाख से आगे गई है और बेघर हुए लोगों की संख्या एक करोड़ के आगे गई है। सच में यह सीरियन सरकार और बागियों के बीच गृहयुद्ध होता तो उसके परिणाम इतने भीषण न होते।
सीरिया के इस युद्ध में राष्ट्राध्यक्ष अस्साद की राजवट को बचाने के लिए ईरान और रशिया यह प्रबल देश आगे आए हैं और उनकी सेना सीरिया में अस्साद के पक्ष में लड रही है। उसी समय सीरियन बागियों के पक्ष में अमरिका और सऊदी अरेबिया, संयुक्त अरब अमिरात, बाहरिन यह देश लड़ रहे हैं। सीरिया में गड़बड़ी मचाने वाली ‘आयएस’ इस आतंकवादी संगठन पर हमले करने के लिए अमरिका के साथ ब्रिटन, फ़्रांस, जर्मनी और तुर्की इन देशों ने भी पहल की थी। इस्रायल ने सीरिया में हिजबुल्लाह और ईरान के ठिकानों पर सेंकडों हवाई हमले करने की जानकारी सामने आई है। इस वजह से सीरिया का युद्ध मतलब विश्व के प्रमुख देशों के बीच भड़का हुआ सत्ता संघर्ष साबित होता है। यह तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत है, इसकी पुष्टि हो जाती है।
सन २०११ से सीरियन राजवट और बागियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ है। तब से लेकर आज तक सीरिया की राजधानी दमास्कस के पास स्थित ईस्टर्न घौता तक हुए युद्ध में कई पड़ाव और मोड़ आए हैं। खाड़ी देशों में लोकतंत्र की माँग करने वाले ‘जस्मिन रिव्होल्युशन’ ने सीरिया में शुरुआत से ही रक्तपात शुरू किया था। इस रक्तपात के लिए सीरियन राजवट बागी और उनको समर्थन देने वाले पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहरा रही है। बागियों की तरफ से इस हिंसा को सीरियन लष्कर के अत्त्याचार जिम्मेदार हैं, ऐसा कारण दिया जा रहा था।
जल्द ही सीरिया के राष्ट्राध्यक्ष अस्साद का तख्ता पलट जाएगा और यह संघर्ष ख़त्म हो जाएगा, ऐसा दावा कुछ लोगों ने किया था। अमरिका और मित्र देशों की सहायता से सीरियन बागियों ने शुरुआत को दी हुई टक्कर को देखा जाए तो जल्द ही वह अस्साद को सत्ता से नीचे गिराएंगे ऐसा लग रहा था। लेकिन अस्साद राजवट के पक्ष में ईरान ने सीरिया के युद्ध में हस्तक्षेप शुरू किया। ईरानी लष्कर का पथक और ईरान से मजबूत समर्थन मिले हिजबुल्लाह के आतंकवादी इस युद्ध में अस्साद के लिए लड़ने लगे।
इसके बाद सीरियन बागियों को कठोर प्रतिकार होने लगा। सीरियन लष्कर और बागी के बीच संघर्ष का फायदा उठाकर कुछ ही सालों में ‘आयएस’ अथवा ‘आयएसआयएस’ नाम से पहचाने जाने वाला क्रूर आतंकवादी संगठन भी सीरिया में अपना डेरा जमा रहा था। यह संगठन अस्साद की लष्कर के खिलाफ लड़ रहा थी, जिस वजह से सीरियन बागी भी इस संगठन का इस्तेमाल करने की तैयारी में थे। लेकिन अमरिका, ब्रिटन, फ़्रांस और जर्मनी इन देशों को ‘आयएस’ ने परेशानी में डाल दिया। सीरिया ‘आयएस’ के हाथ लगेगा, इस डर से अमरिका ने इस आतंकवादी संगठन पर हवाई हमले शुरू किए। ब्रिटन, फ़्रांस और जर्मनी ने इसका साथ दिया। रशिया ने भी ‘आयएस’ पर हवाई हमले करने के दावे किए।
अमरिका और मित्र देश सीरिया में ‘आयएस’ के ठिकानों पर नहीं बल्कि सीरियन लष्कर पर हमले कर रहे हैं, ऐसा आरोप सीरियन राजवट, ईरान और रशिया की तरफ से किया जाने लगा। इन आरोपों को ख़ारिज करके अमरिका और मित्र देश सीरियन राजवट और आयएस यह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, ऐसा कहकर उनको निष्ट करने की घोषणाएं करने लगे। सीरिया के युद्ध को सिर्फ यही एक पहलू नहीं था। सऊदी अरेबिया, संयुक्त अरब अमिरात, बाहरिन, कतार और तुर्की यह देश भी अस्साद को सीरिया की सत्ता से नीचे खींचने के लिए कोशिश कर रहे थे।
लेकिन अब इनमें से कुछ देशों के हितसंबंध एकदूसरे के खिलाफ गए हैं। शुरूआती दौर में सीरियन राजवट, ईरान और रशिया के खिलाफ खुलकर भूमिका लेने वाला तुर्की इन दिनों सीरिया के कुर्द वंशी संगठनों पर हमले कर रहा है। यह संगठन कुर्दों का स्वतंत्र देश स्थापन करने की कोशिश कर रहा है और तुर्की के कुर्दबहुल इलाके पर इस संगठन की नजर है, इसका तुर्की को डर लग रहा है। सऊदीप्रणित अरब देशों के मोर्चे से कतार बाहर निकल गया है और ईरान और तुर्की अब कतार की सहायता कर रहे हैं।
सीरिया में ईरान का लष्करी तल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ऐसी घोषणा करने वाले इस्रायल ने पिछले पाँच सालों में सीरिया में सेंकडों हवाई हमले किए हैं। इन सबकी जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन अब इस्रायल के हमलों को प्रत्युत्तर मिलने लगा है और पिछले महीने में ही सीरिया में हमला करने वाला इस्रायल का लड़ाकू विमान गिरिय गया था। इसके बाद भड़क गए इस्रायल की तरफ से अधिक भीषण हमले की तैयारी शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं।
इन सभी घटनाक्रमों की वजह से सीरिया में एक ही समय पर सीरियन राष्ट्राध्यक्ष अस्साद और बागी संगठनों के बीच लड़ाई, ईरान और सऊदी अरेबिया का वर्चस्व के लिए संघर्ष, ईरान और इस्रायल के बीच द्वंद्व; उसी समय अमरिका और मित्र देशों के साथ रशिया की सत्ता प्रतियोगिता ऐसे कई पहलू दिखाई दे रहे हैं। इसीके साथ ही हिजबुल्लाह, ‘आयएस’ जैसे खतरनाक आतंकवादी संगठन सीरिया में खूनखराबे की भयानकता कई गुना बढ़ा रहे हैं।
इन कारणों की वजह से दुनिया, सीरिया की ओर तीसरे महायुद्ध की खुली रणभूमि के तौर पर देख रही है और इस रणभूमि की व्याप्ति दिन प्रति दिन अधिकाधिक बढती जा रही है। यहाँ की सीरिया के पडौसी देशों को भी भस्म कर सकती है, ऐसा पडौसी देश कबूल कर रहे हैं। इसीलिए सीरिया यह देश तीसरे विश्वयुद्ध का आरंभ स्थान साबित हो रहा है।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)