वर्ना: ‘आतंकवाद के खिलाफ तुर्की कर रहा कार्रवाई सिर्फ तुर्की और सीरिया को सुरक्षित नहीं कर रही। बल्कि इस वजह से पूरा यूरोप सुरक्षित हो रहा है। लेकिन यूरोपीय महासंघ का विस्तार करते समय तुर्की को बाहर रखकर महासंघ ने बहुत बड़ी गलती की है’, ऐसी टीका तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने की है। ‘आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन’ के ५७ सदस्य देशों ने अपने संयुक्त लष्कर द्वारा इस्राइल पर हमला करना चाहिए, ऐसी माँग एर्दोगन के मुखपत्र ने करने की खबर हाल ही में प्रसिद्ध हुई थी। उस पृष्ठभूमि पर तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने यूरोपीय महासंघ को दिया हुआ इशारा ध्यान आकर्षित करता है।
यूरोपीय महासंघ में प्रवेश करने के लिए तुर्की बहुत सालों से कोशिश कर रहा है। लेकिन महासंघ के सदस्य देश तुर्की को सदस्यता देने के लिए उत्सुक नहीं हैं। ऐसे में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने अपने खिलाफ हुई बगावत को तोड़ते हुए मानवाधिकारों को पैरों तले रौंध दिया है, ऐसा आरोप करके महासंघ ने तुर्की को सदस्यता को भूल जाने की सलाह दी है। साथ ही तुर्की से यूरोपीय देशों में दाखिल होने वाले शरणार्थियों को लेकर भी दोनों पक्षों में बहुत बड़े मतभेद हैं। शरणार्थियों की समस्या सुलझाने के लिए आवश्यक सहायता नहीं मिली तो लाखों शरणार्थियों के समूह यूरोप में घुसाएंगे, ऐसी धमकी तुर्की ने दी थी। इस पृष्ठभूमि पर महासंघ और तुर्की के बीच तीव्र मतभेदों के परिणाम बल्गेरिया की परिषद में देखने को मिला।
बल्गेरिया के वर्ना शहर में तुर्की और यूरोपीय महासंघ के बीच बैठक शुरू है। इस बैठक में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने महासंघ पर क्रोध व्यक्त किया है। यूरोपीय महासंघ की विस्तारीकरण योजना से तुर्की को बाहर रखा गाया है। यह बहुत बड़ी गलती थी और इसकी बहुत बड़ी कीमत यूरोपीय महासंघ को चुकानी पड़ेगी, ऐसा संकेत एर्दोगन ने अपने भाषण में कहा है। साथ ही वर्तमान में यूरोपीय महासंघ और तुर्की के संबंध सामने बहुत बड़ी चुनौतियाँ हैं, इसे भी एर्दोगन ने स्पष्ट किया है। उचित दिशा में कदम उठाएंगे तो यह संबंध सुधरेंगे ऐसा कहकर एर्दोगन ने तुर्की की माँगों को यूरोपीय महासंघ के सामने फ़रवरी महीने में ही रखी गईं हैं, इसकी जानकारी दी।
दौरान, तुर्की ने यूरोपीय महासंघ की सदस्यता मिलेगी इसकी आशा छोड़ने का दावा राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने कुछ महीनों पहले किया था। साथ ही आने वाले समय में तुर्की महासंघ के साथ नीतियाँ अधिक कठोर बनाएगा, ऐसा भी एर्दोगन ने इशारा दिया था। महासंघ की सदस्यता को इन्कार करने की वजह से आई हुई कटुता और शरणार्थियों की समस्या पर भी तुर्की की माँगों को महासंघ ने इन्कार करने के बाद निर्माण हुई दरार अभी भी कायम है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के आक्रामक विधानों से दिखाई दे रहा है। इस दौरान बोलते समय यूरोपीय महासंघ के कौंसिल के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने चर्चा और संवाद के रास्ते से तुर्की के साथ समस्या सुलझाने की घोषणा की है। साथ ही लगभग ३० लाख सीरियन शरणार्थियों को तुर्की ने आसरा देकर सहकार्य की भूमिका अपनाई है, ऐसा कहकर टस्क ने इसके लिए तुर्की को धन्यवाद दिया है।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)