वॉशिंग्टन – ‘अमेरीका के सहयोगी देश ईरान के साथ हुए परमाणू समझौते के प्यार में है। अमेरीका को उनके लिए इस समझौते में रहना है, तो ठिक है। लेकिन अगर अमेरीका इस परमाणू समझौते से पिछे हटती है, तो फिर भी दुनिया खत्म नहीं होने वाली’, ऐसे कड़े शब्दों में अमेरीका की भूतपूर्व विदेश मंत्री कॉन्डोलिझा राईस ने ईरान के परमाणू समझौते पर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प द्वारा स्वीकारी गई नीति का समर्थन किया।
‘ईरान के साथ किए गए परमाणू समझौते से अमेरीका पिछे ना हटे इसलिए यूरोपीय दोस्त राष्ट्र जोरदार कोशिश कर रहे है। सप्ताह भर पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन और जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल ने अमेरीका का दौरा करते हुए इस परमाणू समझौते को बचाने के लिए अमेरीकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प को विकल्पों का सुझाव दिया था। अमेरीका के सहयोगी देशों का दावा है कि, यह समझौता ईरान के एटमी कार्यक्रम को रोकने में सफल साबित हो रहा है’, इस की ओर राईस ने ध्यान खिंचा।
‘ईरान के साथ वित्तिय सहयोग में लपेटने से अमेरीका के सहयोगी देशों को इस समझौते के बारे में प्यार है’, ऐसी फटकार अमेरीका के भूतपूर्व विदेश मंत्री ने लगाई। ‘अमेरीका ने उनके लिए परमाणू समझौते में रहने का फैसला लिया तो ठिक है। लेकिन इस परमाणू समझौते से अमेरीका को कुछ नहीं प्राप्त होगा’, ऐसे सूचक उद्गार राईस ने अमेरीका के समाचार वाहिनी को दी मुलाकात में कहा।
साथही भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष ओबामा के कार्यकाल में ईरान के साथ हुए समझौते पर भूतपूर्व विदेश मंत्री राईस ने आलोचना की। ‘मैं ऐसे समझौते पर कभी हस्ताक्षर नहीं करती, जिसमें ईरान को वित्तिय सहुलियत दी हो साथही प्रतिबंध घटाई हो और एटमी कार्यक्रम पर से पकड ढिली की हो’, ऐसा कहते हुए राईस ने अपनी राय कड़े शब्दों में रखी।
ईरान ने एटमी कार्यक्रम शुरू किया तभी से अमेरीका ने चिंता जताई थी। ईरान इस एटमी कार्यक्रम के आड़े एटमी बम का निर्माण कर रहा है, ऐसा संदेह अमेरीका की हर एक प्रशासन को था। फिर भी ओबामा सरकार ने ईरान से एटमी समझौता किया, इस पर राईस ने आश्चर्य जताया।
‘इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने ईरान के एटम बम निर्माण के बारे में दुनिया के सामने रखे सबूत ईरान को धर दबोचने के लिए काफी है। हमेशा से ईरान ने अपने एटमी कार्यक्रम के बारे में दुनिया से झूठ कहा था। इस्रायली प्रधानमंत्री द्वारा दी गए सबुतों से यह फिर से साबित हो चुका है साथही वर्ष २०१५ में हुए समझौता भी ऐसाही था’, ऐसा कहते हुए पश्चिमी देश ईरान के एटमी कार्यक्रम की जॉंच करने में असफल रहें, ऐसी आलोचना राईस ने की।
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