वॉशिंग्टन: मौसम में जो चाहे परिवर्तन करके आपत्ति लाने वाली तकनीक का परीक्षण अमरिका में किया जाने वाला है। इसमें ‘सोलर रेडिएशन’ और ‘कार्बन रिमूव्हल’ का समावेश है और उनका इस्तेमाल ‘वेदर वेपन’ के तौर पर किया जाएगा, ऐसी चिंता विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ में वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर काम किए जॅनोस पॅस्झटोर ने इस बारे में इशारा दिया है।
अमरिका के रक्षा दल की परियोजना के तौर पर पहचाने जाने वाली ‘हार्प’ इस परियोजना का इस्तेमाल दुनिया के विविध विभागों में प्राकृतिक आपत्ति लाने के लिए किया जाता है, ऐसे आरोप इसके पहले ही विविध विश्लेषक और अभ्यासकों की तरफ से किये गए हैं।
अमरिका के ‘हार्वर्ड’ विश्वविद्यालय के खोजकर्ताओं की तरफ से आने वाले कुछ महीनों में ‘सोलर इंजिनीअरिंग’ का प्रयोग किया जाने वाला है।
अंतरिक्ष में अधिकाधिक सूर्य प्रकाश में परिवर्तन करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाने वाला है। यह वर्तमान में सिर्फ संकल्पना है ऐसा कहा जा रहा है, लेकिन अगर इस तरह का प्रयोग होने है तो उसपर उचित नियंत्रण होना चाहिए, ऐसी माँग जॅनोस पॅस्झटोर ने की है। इन दिनों वह ‘कार्नेजी क्लायमेट जिओइंजिनीअरिंग गवर्नेंस इनिशिएटिव’ के निदेशक के तौर पर कार्यरत हैं और यह संस्था मौसम परिवर्तन के प्रयोगों पर नियंत्रण होना चाहिए है, इसलिए मुहीम चलाती है।
‘जिओइंजिनीअरिंग’ तकनीक के तहत दूसरा प्रयोग ‘कार्बन रिमुव्हल’ का है और वातावरण में से कार्बन निकल फेंकने के लिए यह कोशिश की जाने वाली है। इस बारे में निश्चित जानकारी अभी तक घोषित नहीं की गई है। लेकिन इस तरह के प्रयोग किसी भी अंतर्राष्ट्रीय नियमों के बिना पूरे करना खतरनाक है, ऐसी चेतावनी जॅनोस पॅस्झटोर ने दी है। ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देश ऐसी परियोजनाओं को निधि की आपूर्ति करके उनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं, ऐसी चेतावनी भी उन्होंने दी है।
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