टोकियो – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने उत्तर कोरिया के हुकुमशाह ‘किम-जाँग उन’ के बीच होनेवाली चर्चा को रद्द कर दिया है। कुछ दिनों पूर्व ट्रम्प ने उत्तर कोरिया की भाषा में बदलाव आ गया है यह कहकर ‘किम जाँग-उन’ के बीच होनेवाली चर्चा धोखादायक होने का दावा किया था। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष की ओर से कथित चर्चा रद्द कर दी जाने की घोषणा करते वक्त उत्तर कोरिया ने भी इस चर्चा हेतु अमरीका के साथ किसी भी प्रकार से विनती (मान-मनौती) नहीं करेगा ऐसी उग्र भूमिका स्वीकारी है।
उत्तर कोरिया के हुकुमशाह के साथ-साथ चर्चा से पहले अमरीका की कुछ शर्ते मान्य कर लेना अनिवार्य है। उत्तर कोरिया ने यदि इन शर्तों को मान्य कर लिया तो ही चर्चा होगी ऐसी अमरिका ने चेतावनी दे रखी थी। उत्तर कोरिया की ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिल रहा है यह संकेत देकर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इस चर्चा का परिणाम निकल चुका है यह जाहिर किया। कथित निर्णय लेने से पहले दोनों देशों के नेताओं में शाब्दिक मुठभेड़ हो चुकी थी। किम जाँग-उन ने चीन में जाकर चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग से मुलाकात की थी। उसके पश्चात् उनकी भाषा में काफी बदलाव आया है यह कहकर इसके पिछे चीन का हाथ है ऐसा संकेत राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने दिया था।
इसी दरमियान कथित चर्चा रद्द करनेवाला पत्र राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने उत्तर-कोरियन हुकुमशाह को भेज दिया है और यह पत्र प्रसिद्ध हो चुका है। इस पत्र में ट्रम्प ने अत्यन्त संयमशील शब्दों में किम जाँग-उन को इस बात का अहसास करवाया कि यह चर्चा आज की स्थिति में अनुचित साबित होगी। उत्तर कोरिया की ओर से अमरीका के विरोध में किए जानेवाले उग्र विधानों की पार्श्वभूमि पर यह चर्चा योग्य साबित नहीं होगी ऐसा दावा ट्रम्प ने इस पत्र में किया। साथ ही आनेवाले समय के दौरान मैं तुम्हारे साथ चर्चा करने के लिए उत्सुक रहूँगा, ऐसा कहकर ट्रम्प ने अंतत: यह चर्चा सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण साबित होगी ऐसा विश्वास भी व्यक्त किया।
तुम्हारी भूमिका में यदि कोई परिवर्तन आ जाता है तो सिंगापुर में १२ जून को होनेवाले परिषद से पहले मेरे साथ संपर्क करने में जरा सा भी संकोच मत करना, ऐसा महत्त्वपूर्ण संदेश अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने इस पत्र के अंत में किम जाँग-उन को दिया है। ट्रम्प द्वारा अत्यन्त संयमशील भाषा में उत्तर कोरिया के हुकूमशाह को लिखा गया यह पत्र आनेवाले समय में इन नेताओं के बीच चर्चा हो सकती है, ऐसा संकेत देता है। पिछले कुछ दिनों से दोनों ही देशों की ओर से एक-दूसरे को दिये जानेवाली धमकियों की पार्श्वभूमि पर यह संदेश काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
उत्तर कोरिया ने यदि अण्वस्त्रों का मार्ग नहीं छोड़ा, तो इस देश के हुकुमशाह ‘किम जाँग-उन’ की अवस्था लिबिया के हुकुमशाह मुअम्मर गद्दाफी के समान ही हो जायेगी। गद्दाफी को दयनीय तौर पर लिबियन जनता ने ही समाप्त कर दिया था। इस बात का प्रमाण देकर अमरीका के उपराष्ट्राध्यक्ष माईक पेन्स ने किम जाँग-उन की स्थिति भी ऐसी ही गंभीर हो सकती है यह कहकर धमकाया था। मात्र यह धमकी न होकर वस्तुस्थिति ही है ऐसा दावा पेन्स ने किया था।
इस पर उत्तर कोरिया की ओर से प्रत्युत्तर आया। उत्तर कोरिया के उपराष्ट्र मंत्री ‘शो सोन हुई’ ने यह दावा किया कि पेन्स का विधान मूर्खतापूर्ण है। साथ ही यह भी कहा कि उत्तर कोरिया अमरीका के आगे चर्चा के लिए याचना नहीं करेगा। अमरीका को यदि चर्चा नहीं करनी है, तो उत्तर कोरिया इस चर्चा के लिए किसी भी प्रकार की विनति भी नहीं करेगा, इस बात को हुई ने स्पष्ट किया। परन्तु यदि यह चर्चा नहीं होनेवाली है तो उत्तर कोरिया अमरीका के आक्रमण का जवाब देने के लिए तैयार रहेगा और यदि आण्विक युद्ध का समय भी आ गया तो उत्तर कोरिया तनिक भी कतरायेगा नहीं ऐसा दावा उपराष्ट्र मंत्री हुई ने किया था।
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