‘अंडरसी वॉरफेअर’ की जानकारी का समावेश
वॉशिंग्टन/बीजिंग – अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि, चीनी हैकर्स ने अमेरिका की प्रगत पनडुब्बियां एवं उनके शस्त्रास्त्र तकनीकों की संवेदनशील जानकारी चुराई है। अमेरिकी खुफिया विभाग ’फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ (एफबीआय) ने इस घटना की जांच शुरु की है जिससे यह पता चला है कि इस वर्ष के आरम्भ में यह घटना घटी है। ’साऊथ चायना सी’ एवं पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका के विमानवाहक जंगी जहाज तथा पनडुब्बियों की आक्रमक तैनाती के जारी रहते ही यह घटना उजागर होने से बड़ी खलबली मची है।
अमेरिका के ’द वॉशिंग्टन पोस्ट’ एवं ’सीबीएस न्यूज’ प्रसार माध्यमों ने चीन की खलबलीवाले सायबर हमले की खबर छापी है। उसमें चीन सरकार के नियंत्रणवाले हैकर्स ने सायबर हमलों द्वारा अमेरिकी नौदल की अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गोपनीय जानकारी चुराए जाने का दावा किया गया है। अमेरिकी नौदल के ’नैवल अंडरसी वॉरफेअर सेंटर’ के लिए कार्य करनेवाले एक ठेकेदार से चीन द्वारा यह जानकारी चुराने की बात का पता चला है। ’नैवल अंडरसी वॉरफेयर सेंटर’ नामक विभाग के पास पनडुब्बियों एवं इस्तेमाल होनेवाले शस्त्रास्त्र तकनीकों के संशोधन तथा विकास की जिम्मेदारी है।
इस घटना में ठेकेदार अथवा कंपनी की जानकारी देने से अमेरिकी अधिकारियों ने इनकार कर दिया। पर चीनी हैकर्स द्वारा कुल ६१४ गिगाबाईट्स (जीबी) जितने प्रचंड प्रमाण में जानकारी हासिल किए जाने की बात उजागर हुई है। इसमें ’सी ड्रैगन’ नामक अत्यंत गोपनीय प्रकल्प की जानकारी का समावेश है। इसके अलावा ’सिग्नल्स एवं सेन्सर डेटा’, पनडुब्बियों के ‘क्रिप्टोग्राफिक सिस्टिम्स’ में से जानकारी तथा ‘इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर लायब्ररी’ में से भी जानकारी चुराए जाने की बात सामने आई है।
’सी ड्रैगन’ प्रकल्प पनडुब्बियों पर युद्धनौकाओं को भेद पाएगा ऐसे ‘सुपरसॉनिक प्रक्षेपास्र’ विकसित करने की योजना का भाग बताया जाता है। सन २०१५ में अमेरिका के संरक्षा विभाग ने इसके लिए ३० करोड डॉलर्स का प्रावधान किया था। माना जाता है की, सन २०२० में अमेरिका द्वारा तैनात किए जानेवाली पनडुब्बियों पर सुपरसॉनिक प्रक्षेपास्र तैनात किए जाने वाले थे ऐसा मना जाता है।
चीन द्वारा पिछले कई वर्षों से अमेरिका के सुरक्षा क्षेत्र की गोपनीय जानकारी चुरीई जाती रही है। इससे पहले अमेरिका के प्रगत जंगी हवाई जहाज ’एफ-३५’, ’पैट्रिऑट प्रक्षेपास्र तकनीक’, ’थाड’ यह प्रक्षेपास्र तकनीक, नौदल ‘लिटोरल कॉम्बॅट शिप’ की जानकारी चीन द्वारा चुराए जाने की बात का पता चला है। अमेरिका के ’ड्रोन्स’ टैकनोलजी की कॉपी करके चीन द्वारा अपने ड्रोन्स विकसित किए जाने की बात भी सामने आई थी। अमेरिका द्वारा इस बारे में निरंतर चिन्ता व्यक्त की जाती है फिर भी चोरी को रोकने में अमेरिका को अभी भी कोई सफलता हासिल नहीं हुई है।
पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका चीन को रोकने के लिए ‘साऊथ चायना सी’ एवं पैसिफिक क्षेत्र में आक्रमक सुरक्षा तैनात कर रहा है। उसमें विमानवाहक जंगी जहाज एवं प्रगत प्रक्षेपास्रों का समावेश है। अमेरिकी नौदल का चीन के नजदीकी क्षेत्र में गश्तियां बढ़ाते समय नौदल की गोपनीय जानकारी चीन के हाथों में लगना अमेरिकी नौदल के लिए धोखे की घंटी मानी जाती है।
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