मानवाधिकारों का उल्लंघन करनेवालों का अड्डा बनने का आरोप कर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग से अमेरीका पिछे हटा

मानवाधिकारों का उल्लंघन करनेवालों का अड्डा बनने का आरोप कर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग से अमेरीका पिछे हटा

वॉशिंग्टन – संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवाधिकार आयोग से अमेरीका पिछे हटा है। अमेरीका के विदेश मंत्री माईक पॉम्पिओ और संयुक्त राष्ट्रसंघ में अमेरीका की राजदूत निक्की हॅले ने इसकी घोषणा की। इस्रायल विद्वेषी, राजनीतिक पूर्वधारणा से भरे हुए और मानवाधिकारों का उल्लंघन करनेवालों का अड्डा बन चुके इस गिनौने संगठन का हिस्सा बने रहने में अमेरीका को कोई दिलचस्पी नहीं, ऐसी चेतावनी हॅले ने दी। लेकिन मानवाधिकार आयोग से पिछे हटने का मतलब अमेरीका ने मानवाधिकार छोड दिए, ऐसा नहीं। उल्टा अमेरीका दुनिया के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए और जोर से काम करेगा, ऐसा हॅले ने कहा।

मानवाधिकारअमेरीका मानवाधिकार आयोग से पिछे हटेगा, ऐसी खबरे गए कई दिनों से आ रही थी। लेकिन विदेश मंत्री पॉम्पिओ और राजदूत निक्की हॅले ने इस बारे में घोषणा करते हुए मानवाधिकार आयोग पर कड़ी आलोचना की। ‘४७ सदस्य देशों का सहभाग रहने वाला मानवाधिकार आयोग मतलब इस्रायल विद्वेषी और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों का अड्डा बन चुका है। चीन, क्यूबा और वेनेझुएला जैसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले देश इस आयोग का सदस्य है’, ऐसी फटकार हॅले ने लगाई। मानवाधिकारों को पैरों तले रौंदने वालों का गुट बन चुका यह आयोग मतलब मानवाधिकारों का पालन करने वालों का दुश्मन बन चुका है’, ऐसा कड़े प्रहार हॅले ने किए।

इसके बावजूद आयोग से पिछे हटने के बारे में ट्रम्प प्रशासन का फैसला अचानक नहीं लिया है। बहुत पहले से अमेरीका ने आयोग के सदोष और गलत पूर्वधारणा कार्यपद्धती में दोष दिखाने के और उनमें सुधारणा करने की कोशिश की थी। लेकिन इन कोशिशों को सफलता ना मिलने से आयोग से पिछे हटने का निर्णय अमेरीका ने लिया, ऐसा हॅले ने कहा। मात्र मानवाधिकार आयोग से अमेरीका के पिछे हटने का मतलब अमेरीका ने मानवाधिकारों का मसला छोड दिया, ऐसा बिलकुल नहीं। उल्टा दुनियाभर में मानवाधिकारों के पालन के लिए अमेरीका और ताकत से कदम उठाने वाला है, ऐसा कहते हुए हॅले ने इसके लिए अमेरीका वचनबद्ध होने की ग्वाही दी।

दौरान, इस्रायल ने गाझापट्टी के प्रदर्शनकारीयों पर की कार्रवाई पर आयोग द्वारा की गई आलोचना पर अमरीका ने नाराजगी जताई थी। आयोग की नीति इस्रायल विद्वेषी होने का इल्जाम अमेरीका ने रखा था। अमेरीका में गैरकानूनी तरीके से घुसपैठी करनेवाले शरणार्थीयों से उनके बच्चों को दूर करने का फैसला ट्रम्प प्रशासनाने हालहीं में लिया है। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है, ऐसी आलोचना शुरू हो चुकी है। मानवाधिकार आयोग की बैठक में यह मसला उपस्थित कर अमेरीका को निशाना बनाने की तैयारी आयोग के सदस्य देशों ने की, ऐसा कहा जाता है। इससे अमेरीका ने आयोग से पिछे हटने का ले लिया फैसला इस्रायल के बचाव से भी अधिक अपने पर होने वाली आलोचना को टालने के लिए किया होगा, ऐसा दावा मिडिया का एक गुट कर रहा है।

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