बर्लिन – जर्मनी में सत्ताधारी शासन गिरने के बाद नागरी व्यवस्था बिखरने का फायदा उठाकर प्रमुख राजनीतिक नेताओं की हत्या करने का झटका देनेवाला षडयंत्र उजागर हुआ है। कट्टर बाएँ विचारधारा का भाग होनेवाले एक भूमिगत नेटवर्क द्वारा यह षड्यंत्र रचने की बात सामने आ रही है और उसमें जर्मन लष्कर के कमांडो तथा भूतपूर्व अधिकारियों का समभाग होने का दावा किया जा रहा है। फोकस इस जर्मन साप्ताहिक ने इस बारे में खबर प्रसिद्ध की है।
जर्मन पुलिस ने उजागर किए षड्यंत्र में ‘डे एक्स’ इस दिन का उल्लेख किया गया है। जर्मनी में सरकार गिरने के बाद देशभर में नागरिक अराजक निर्माण होगा, ऐसी आशंका जताई जा रही है और उस दिन का उल्लेख डे एक्स ऐसा किया गया है। देश में फैले अराजक का फायदा उठाकर प्रमुख राजनीतिक नेताओं का अपहरण करने का और उन्हें गुप्त स्थान पर ले जाकर सामूहिक हत्या करने का षड्यंत्र रचने की जानकारी जर्मन साप्ताहिक ने दी है।
इस षड्यंत्र के ठोस सबूत जर्मन यंत्रणा को मिले हैं और प्रमुख राजनीतिक नेताओं में लेफ्ट पार्टी के नेता डेटमैर बार्श इनका उल्लेख है। षड्यंत्र की रचना कट्टर बाएँ विचारधारा का प्रभाव होनेवाले विभिन्न गटों से एकत्रित हुए एक भूमिगत नेटवर्क से होने की बात कही जा रही है। पर इस नेटवर्क का नाम खुला नहीं किया गया है। इस भूमिगत नेटवर्क में जर्मन लष्कर के कमांडो केएसके नाम से पहचाने जानेवाले स्पेशल ऑपरेशंस यूनिट के सदस्यों का समावेश खलबली उड़ाने वाली बात ठहरी है।
फिलहाल यूनिट में सक्रिय कमांडो के साथ लष्कर तथा अन्य सुरक्षा यंत्रणा में भूतपूर्व अधिकारी भी नेटवर्क का भाग होने की बात स्पष्ट हो रही है। इस नेटवर्क ने बड़े तादाद में शस्त्र जमा किए हैं और उनका स्वतंत्र भंडार तथा ईंधन के भंडार की जगह भी तैयार की है। जर्मनी में मिलिट्री इंटेलिजेंस के लिए जानकारी का गुप्त स्रोत बने एक अधिकारी ने एक नेटवर्क की जानकारी दी है, ऐसा दावा साप्ताहिक के लेख में किया गया है।
जर्मनी में पिछले कई वर्षों में बाएँ गट का प्रभाव बढ़ने की बात सामने आ रही है। जर्मन चांसलर एंजेला मोर्केल ने शरणार्थियों के बारे में घोषित किए इस धारणा के बाद जर्मन नागरिकों का झुकाव बाएँ गट की दिशा से बढ़ने की जानकारी प्रसिद्ध हुई है। इस बाएँ गट के साथ दूसरे महायुद्ध के समय में जर्मन हुकुमशाह एडोल्फ हिटलर इनके नाझी विचारधारा पर विश्वास होनेवाले नागरिकों की संख्या में बढ़ोतरी होने की बात स्पष्ट हो रही है।
राजनीतिक तथा सामाजिक स्तर पर बाएँ विचारधारा के पक्ष ने जर्मनी में प्रस्थापित राजनीतिक पक्ष को जोरदार झटके देने के लिए शुरूआत किया है। पिछले वर्ष भर में हुए चुनाव के निर्णय तथा शरणार्थियों के मुद्दे पर होने वाले प्रदर्शन को मिलनेवाली सफलता और बढ़ती प्रतिक्रिया इससे यह बात रेखांकित हो रही है। इसकी वजह से प्रस्थापित राजनीतिक पक्ष से जर्मन नागरिकों को फिर अपने पक्ष में मोड़ने के जोरदार प्रयत्न शुरू किए हैं।
इस पृष्ठभूमि पर बाएँ विचारधारा से संबंधित गटो के नाम देश विरोधी और अराजकवादी षड्यंत्र से जोड़ने की खबर ध्यान केंद्रित करनेवाली ठहरी है।
जर्मन नेताओं की हत्या का षड्यंत्र मतलब शरणार्थी समर्थक धारणाओं पर आयी प्रतिक्रिया
जर्मनी के प्रखर राष्ट्रवादी बाएँ विचारधारा के गट फिलहाल चांसलर मर्केल ने स्वीकारी हुए धारणाओं पर भड़के हुए हैं। उन्होंने जर्मनी के जनता से प्रतिक्रिया मिलने लगी है। जर्मनी में घुसे हुए परधर्मिय शरणार्थियों की वजह से इस देश की मूल संस्कृति एवं पहचान मिटने का डर निर्माण होने से शरणार्थियों के विरोध में प्रखर भूमिका लेनेवालों के साथ जर्मनी की जनता खड़ी रहेगी। कुछ दिनों पहले जर्मनी में संपन्न हुए चुनाव में भी उसकी प्रतिक्रिया उमडी थी।
ऐसी परिस्थिति में प्रमुख जर्मन नेताओं की हत्या का षड्यंत्र एवं उसके पीछे बाएँ गट से संबंधित होनेवाले अधिकारियों का हाथ, इन सभी के पीछे जर्मनी में बढ़ रहा असंतोष दिखाई दे रहा है। आनेवाले समय में शरणार्थियों की समस्या एवं कट्टरपंथियों के हिंसाचार रोकने में जर्मन सरकार एवं राजनीतिक पक्ष को असफलता मिली, तो उसके बहुत बड़ी प्रतिक्रिया इस देश पर उमड़ सकती है। यह जर्मनी में उजागर हो रहे इस षड्यंत्र द्वारा स्पष्ट हो रहा है।
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