माले – चीन के हस्तक के तौर पर जाने जा रहे मालदीव के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष अब्दुल्ला यामिन इन्हे पराजित करके सत्ता पर आये इब्राहिम मोहम्मद सोलिह इनके शपथ ग्रहण समारोह समारोह हुआ है। इस समारोह के लिये भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहे। यहां की भारतीय उपस्थिती मालदीव का प्रवाह चीन की ओर से फिर एक बार लोकतांत्रिक भारत की तरफ मोड रहा है, ऐसा दिखाई देने लगा है। यह नजदिकी समय में चीन को मिला और एक झटका साबित होता है।
मालदीव की सत्ता पाकर राष्ट्राध्यक्ष बने अब्दुल्ला यामिन इन्होंने इस देश का लोकतंत्र खत्म करने के लिये कदम बढाये थे। विपक्षी नेताओं के विरोध में राजनीतिक प्रतिशोध से की कार्यवाही और न्यायाधीशों को नजरबंदी करने का निर्णय यामिन इन्होंने किया था। इस पर मालदीव की जनता से कडी प्रतिक्रिया उमडी थी। कुछ नेताओं ने तो भारतीय सेना हस्तक्षेप करे और मालदीव का लोकतंत्र को बचाये, यह गुजारिश की थी। तो, मालदीव की अंदरूनी कारोबार में कोई भी हस्तक्षेप ना करे, ऐसी चेतावनी चीन ने दी थी। मालदीव के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष यामिन चीन के हस्तक माने जा रहे थे।
चीन के समर्थन पर ही यामिन इन्होंने मालदीव की सत्ता पर कब्जा किया था। उनकी कार्यकाल के दौरान मालदीव में चीन के अहम प्रकल्प शुरू हुए थे। साथ ही मालदीव के भारत के साथ बना परंपरागत लष्करी सहयोग यामिन इन्होंने खत्म करने का निर्णय किया था। इस पृष्ठभुमि पर सितंबर में मालदीव में चुनाव का आयोजन हुआ। इस चुनाव में यामिन इनका इब्राहिम मोहम्मद सोलिह इन्होंने बडी फरकों से पराजय किया था। मालदीव की लोकतांत्रिक दलों ने सोलिह इनके पिछे अपनी ताकत खडी करने से उन्हे यह सफलता मिली. उन्हें इस चुनाव में जीत हासिल होने के बाद भारत, अमरिका और विश्व की सभी प्रमुख देशोंने मालदीव में फिर एक बार लोकतंत्र स्थापित हुआ है, यह प्रतिक्रिया दी थी।
शनिवार के दिन सोलिब इनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ और इस समारोह के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र और उनके साथ श्रीलंका के पूर्व राष्ट्राध्यक्षा चंद्रिका कुमारतुंग भी उपस्थित रही। मालदीव को भेंट देने से पहले प्रधानमंत्री मोदी इन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से मालदीव की जनता के प्रति सद्भाव व्यक्त किया था। मालदीव में बुनियादी सुविधा, आरोग्य और श्रमशक्ति का विकास करने के लिये नई सरकार को भारत जरूरी सहयोग करेगा, यह गवाही भारतीय प्रधानमंत्री ने दी।
इस भेंट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के नये राष्ट्राध्यक्ष के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे। भारतीय प्रधानमंत्री की यह मालदीव भेंट राजनीतिक और सामरिक दृष्टीसे अत्यंत महत्त्वपूर्ण साबित होती है। हिंदी महासागर क्षेत्र में अहम स्थान पर रहे मालदीव पर प्रभाव बनाने के लिये चीन ने अब्दुल्ला यामिन इनका इस्तमाल करके उनके पिछे अपना सामर्थ्य खडा किया था। मालदीवर पर भारत का प्राकृतिक प्रभाव नष्ट करके इस द्वीपों के समुह देश का इस्तमाल भारत के विरोध में करने की चीन की कोशिष थी। मालदीव का लोकतंत्र खत्म किये बिना यह मुमकिन नही है, इसका एहसास चीन को हुआ था। इसी लिये यामिन की जरिए चीन ने मालदीव का लोकतंत्र खत्म करने के लिये भयंकर साजिश की थी। इसके पहले श्रीलंका, नेपाल और मलेशिया में भी चीन ने यही कोशिष करके भारत की सुरक्षा और हितसंबंधों को झटका देने का प्रयत्न किया था। लेकिन, मालदीव में चीन योजना सफल नही हो सकी। यहां पर लोकतांत्रिक नेता इब्राहिम मोहम्मद सोलिह इन्हें मिली जीत चीन के लिये बहुत बडा झटका है, ऐसा माना जाता है।
दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में, खास तौर पर हिंदी महासागर क्षेत्र में भारत का बना प्राकृतिक प्रभाव अपने लिये चुनौती है, यह चीन का कहना है। हिंदी महासागर क्षेत्र में व्यापारिक यातायात भारतीय नौसेना रोक सकती है। खास करके मलाक्का खाडी से हो रही चीन की तेल की ढुलाई भारत रोक सकता है, यह डर चीन को सता रहा है। इसी लिये भारत के विरोध में कारवाई करते समय एक मर्यादा के बाहर आक्रामक भुमिका अपनाना संभव नही है, इसका एहसास चीन को है। इसी लिये हिंदी महासागर क्षेत्र में भारत को चुनौती देने की कोशिष चीन लगातार कर रहा है।
फिल हाल तो चीन ही यह कोशिष चीन पर ही पलट रही है। लोकतंत्र के विरोधी नेता और शक्तियों को बल देने की योजना से चीन दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में और भी बदनामी हो रही है। इसी समय भारत यह अपना भरोसेमंद मित्र देश है, यह एहसास दक्षिणी एशियाई देशों में और भी दृढ हुआ है।
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