काबुल – नाटो तथा अमरीकी लष्कर ने सन २०१५ में अफगानिस्तान की जिम्मेदारी स्थानीय लष्कर एवं सुरक्षा यंत्रणा पर सौंपने के बाद, लगभग ३०,००० अफगानी सैनिकों ने युद्ध में अपनी जान गवाई है, यह जानकारी राष्ट्राध्यक्ष अशरफ गनी ने दी है। गनी इनके कथन से अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध में शुरू संघर्ष अधिकाधिक तीव्र हो रहा है, यह प्रस्तुत करनेवाले वृत को सही साबित किया है। पिछले सप्ताह में ही ‘कॉस्ट ऑफ वॉर’ नाम से प्रसिद्ध किए गए एक रिपोर्ट में १७ वर्षों से शुरू अफगान युद्ध में लगभग डेढ़ लाख लोगों की बलि जाने का दावा किया गया था।
चुनाव प्रचार, में राष्ट्राध्यक्ष पद पर आने के बाद अफगानिस्तान से सेना हटाने का ऐलान डोनाल्ड ट्रम्प ने किया था। मात्र राष्ट्राध्यक्ष पद पर आने के बाद ट्रम्प को अपनी भूमिका बदलनी पड़ गई थी। राष्ट्राध्यक्ष पद पर आने के बाद अलग ही दृश्य दिखाई देते हैं, ऐसा बता कर अफगानिस्तान के आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की अनिवार्यता ट्रम्प ने स्वीकार की थी। उसके पश्चात अमरीकी लष्कर ने तालिबान के विरोध के युद्ध में अपनी कार्रवाईयों की व्यापकता को अधिक बढ़ा दिया था। मात्र ऐसा होते हुए भी इसी दौरान तालिबान ने अफगानी लष्कर तथा सुरक्षा यंत्रणा को लक्ष्य करने का प्रमाण भी बढ़ जाने का सामने आया है।
साल २०१५ में अफगानिस्तान लष्कर तथा सुरक्षा यंत्रणा का भाग होने वाले ५००० जवानों ने अपनी जान गवा दी थी। परंतु उसके पश्चात २०१६, २०१७ तथा इस वर्ष में यह आंकड़े लगातार बढ़ते जाने का सामने आ रहा है। अमरिका के ‘सिगार’ इस यंत्रणा ने हाल ही में प्रसिद्ध किए रिपोर्ट में भी इस वर्ष की गर्मीयों में अफगानी सैनिकों की जान जाने का प्रमाण पहले से अधिक होने की ओर ध्यान आकर्षित किया था। अमरिका के रक्षामंत्री ‘जेम्स मैटिस’ ने भी अगस्त-सितंबर महीने के अवधी में लगभग १००० से अधिक अफगानी जवान मारे जाने की जानकारी दी थी।
इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष गनी ने तालिबान के विरोध के इस युद्ध में अफगानी सुरक्षा दल के लोगों को होने वाली हानि की तरफ फिर एक बार ध्यान आकर्षित किया है। गनी के कथन से सामने आई अफगानी सैनिकों की संख्या अन्य रिपोर्ट की तुलना में ज्यादा होने का दिखाई देता है। यह आंकड़े अफगानी सुरक्षा यंत्रणा तालिबान का पूर्ण क्षमता से मुकाबला करने में असमर्थ होने की बात रेखांकित करने वाली है। पिछले महीने के अवधी में फराह, गझनी, तकखार जैसे प्रांतों में तालिबान से लगातार होने वाले हमले इसी बात को सही साबित करते हैं।
इसी कारण आने वाले समय में अमरिका तथा नाटो को अफगानिस्तान में अपनी तैनाती अधिक बढ़ानी होगी ऐसे संकेत मिल रहे हैं।
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