‘ब्रेक्जिट डील’ को लेकर हुई गडबडी की पृष्ठभुमि पर ब्रिटेन के विपक्ष ने रखा दुसरे सार्वमत का प्रस्ताव

‘ब्रेक्जिट डील’ को लेकर हुई गडबडी की पृष्ठभुमि पर ब्रिटेन के विपक्ष ने रखा दुसरे सार्वमत का प्रस्ताव

लंडन – ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे इन्होंने ‘ब्रेक्जिट’ के मुद्दे पर रखे ‘प्लैन बी’ को संसद में जोरदार विरोध हो रहा है और अगले हफ्तें में हो रहे मतदान में यह प्रस्ताव ठुकराया जाएगा, ऐसे स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे है। प्रधानमंत्री में इनके प्रस्ताव पर सत्तारूढ एव विपक्ष ने कई सुधार करने का सुझाव रखा है और इस संबंधी प्रस्ताव संसद में पेश किया जा रहा है। इस धांदली की पृष्ठभुमि पर ब्रिटेन के विपक्षी ‘लेबर पार्टी’ ने ‘ब्रेक्जिट’ के मुद्दे पर दुसरे सार्वमत का प्रस्ताव संसद में पेश करने की संभावना व्यक्त की है।

पिछले हफ्तें में ब्रेक्जिट के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मे ने रखी योजना को हार का सामना करना पडा था। उसके बाद प्रधानमंत्री ने ‘प्लैन बी’ पेश किया है और उसमें ‘आयर्लंड’ के मुद्दे पर युरोपीय महासंघ से सहुलियत प्राप्त करना और कर्मचारियों के हक बरकरार रखने जैसे प्रवधानों का समावेश है। असल में बनाई ‘ब्रेक्जिट’ की योजना की तुलना में ‘प्लैन बी’ में ज्यादा फरक नही होने से इस प्रस्ताव के प्रति संसद में हो रहा विरोध भी बढ रहा है।

संसद सदस्यों के एक गुट ने ‘नो डील ब्रेक्जिट’ के लिए आक्रामक कोशिश शुरू की है और इसे सत्तारूढ पक्षे के कुछ मंत्री एवं सदस्यों का समर्थन होने की बात भी सामने आई है। ‘वर्क ऍण्ड पेन्शन्स’ विभाग के मंत्री अंबर रूड इन्होंने ‘नो ब्रेक्जिट’ के मुद्दे पर सत्तारूढ पक्ष के ४० मंत्री इस्तिफा दे सकते है, यह इशारा दिया है। सत्तारूढ पक्ष के वरिष्ठ संसद सदस्य ‘डॉमनिक ग्रीव’ इन्होंने इस संबंधी तैयार की योजना रखी है और ब्रेक्जिट संबंधी न्यायिक प्रावधान पूरी तरह से ठुकरा कर नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री मे इन्होंने ऐसी कोशिशों को पूरी तरह से विरोध किया है।

ब्रिटेन के विपक्षी नेता जेरेमी कॉर्बिन?इन्होंने ‘नो डील ब्रेक्जिट’ को विरोध किया है और स्वतंत्र प्रस्ताव रखने के संकेत दिए है। उसमें ‘ब्रेक्जिट’ के मुद्दे पर दुबारा सार्वमत आजमाने की योजना का समावेश है। विपक्षी लेबर पक्ष के साथ सत्तारूढ पक्ष के कुछ सदस्यों ने भी इस योजना का समर्थन किया है, इस से प्रधानमंत्री मे समस्या से घिर गई है, यह बताया जा रहा है। लेबर पक्ष के कुछ सदस्यों ने ‘पीपल्स वोट’ इस नाम से दुसरे सार्वमत के लिए स्वतंत्र मुहीम भी हाथ में ली है और ब्रिटीश जनता का इसे समर्थन प्राप्त हो रहा है, यह दावा भी किया गया है।

लेकिन ‘ब्रेक्जिट’ के लिए पहले सार्वमत की मुहीम शुरू करने वाले नेता एवं गुटों ने दुसरे सार्वमत के विरोध में भूमिका अपनाई है। पहली बार रखे सार्वमत प्रस्ताव का सन्मान करने में असफल साबित होने पर अब दुसरे सार्वमत की कोशिश सही नही है, यह भूमिका प्रधानमंत्री मे ने रखी है। वही अन्य विपक्षी नेताओं ने दुसरा सार्वमत ब्रिटीश जनता का अपमान साबित होगा, यह भूमिका अपनाई है। सत्तारूढ पक्ष के सदस्यों ने सार्वमत का समर्थन किया तो वह यह योजना संसद में मंजूर होने के संकेत प्राप्त हो रहे है।

ऐसा हुआ तो ब्रिटेन में फिर से अराजकता का निर्माण होने की संभावना है और इसका असर युरोपीय महासंघ पर भी होते दिखाई देंगे, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे है।

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