रशिया और चीन को रोकने के लिए अमरिका आर्क्टिक क्षेत्र में लष्करी अड्डा बनाए – अमरिकी संसद की मांग

रशिया और चीन को रोकने के लिए अमरिका आर्क्टिक क्षेत्र में लष्करी अड्डा बनाए – अमरिकी संसद की मांग

वॉशिंगटन  –  अप्रैल महीने में रशिया ने आर्क्टिक क्षेत्र में नया लष्करी अड्डा कार्यरत किया था। इस दौरान रशिया ने महत्वाकांक्षी ‘आर्क्टिक प्लैन’ का भी ऐलान किया था। इससे रशिया आर्क्टिक में प्रमुख दावेदार है और भौगोलिक नजरिए से भी वहां पर रशिया का ही अधिकार है, यह दिखाने की कोशिश रशिया ने की थी। रशिया के इस अधिकार को चुनौती देने के लिए अमरिका ने पहल की है और आर्क्टिक में तैनाती बढाने के लिए गतिविधियां शुरू की है। अमरिकी संसद ने रक्षा विभाग के सामने आर्क्टिक में नया लष्करी अड्डे का निर्माण करे, यह मांग रखी होने की जानकारी प्राप्त हुई है।

अमरिकी रक्षा खर्च का हिस्सा होनेवाले विधेयक पर संसद में बातचीत हो रही है। इस दौरान संसद का हिस्सा होने वाले ‘सिनेट आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ ने रक्षामंत्री को विशेष निदेश देने की बात उजागर हुई है। इसमें अमरिका के रक्षा विभाग ने ‘आर्मी कोअर’, तटरक्षक बल एवं सागरी व्यवस्थापन विभाग के सहयोग से आर्क्टिक में नए लष्करी अड्डे के लिए गतिविधियां शुरू करने को कहा गया है।

यह निदेश देते समय रशिया की बढती गतिविधियों का भी जिक्र किया गया है। आर्क्टिक में अमरिका का नया लष्करी अड्डा रशिया की बढती गतिविधयों को रोकनेवाला होगा, यह संकेत ‘सिनेट आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ के निदेशों में दिए गए है। साथ ही इस अड्डे पर राडार, मिसाइल और लष्करी दल की तैनाती करने को भी कहा गया है। आर्क्टिक में बरफ के चट्टान बडी मात्रा में पिघल रहे है और इससे धरती के उत्तरी छोर पर नया व्यापारी मार्ग तैयार हो रहा है, इस ओर भी अमरिकी संसद की सिनेट आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी ने ध्यान आकर्षित किया है।

आर्क्टिक में अमरिकी क्षेत्र के तौर पर जाने जा रहे अलास्का में ‘यूएसएआरएके’ नाम से अमरिकी मिलिटरी कमांड कार्यरत है। अमरिकी नौसेना एवं वायुसेना का अड्डा अलास्का में सक्रिय है, फिर भी आर्क्टिक महासागर का विचार करें तो स्वतंत्र लष्करी अड्डा अभी निर्माण नही किया है। अमरिका की इस कमी का लाभ उठाकर रशिया ने आर्क्टिक क्षेत्र में आक्रामक गतिविधियां शुरू की है और वर्तमान में रशिया के कम से कम तीन लष्करी अड्डे आर्क्टिक में कार्यरत है।

इस पृष्ठभूमि पर अमरिका को आर्क्टिक समुद्री क्षेत्र में स्वतंत्र अड्डे की जरूरत है, इस ओर अमरिकी संसद ने ध्यान केंद्रीत किया है। पिछले महीने में अमरिका के ‘नॉर्दन कमांड’ के प्रमुख जनरल टेरेन्स ओशॉघ्नेसी ने आर्क्टिक के संभावित खतरों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। ‘रशिया और चीन जैसे देशों से शुरू हरकतों में दिखाई दे रही बढोतरी की पृष्ठभूमि पर आर्क्टिक क्षेत्र अब अमरिका के लिए ‘फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेन्स’ बना है’, यह दावा जनरल टेरेन्स ओशॉघ्नेसी ने किया था।

अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने भी आर्क्टिक कौन्सिल की बैठक में आर्क्टिक २१ वी सदी का सुएझ एवं पनामा कनाल साबित होगा, इन शब्दों में इस क्षेत्र की बढती अहमियत रेखांकित की थी।

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